वेंकटेश प्रसाद ने जसप्रीत बुमराह को लेकर बड़ी बात कही है
हाल में ही बीसीसीआई ने कॉन्ट्रेक्ट की घोषणा की है, उससे A+ कैटेगरी में कप्तान विराट कोहली, रोहित शर्मा के अलावा जसप्रीत बुमराह की एकमात्र गेंदबाज हैं. टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज और गेंदबाजी कोच रह चुके वेंकटेश प्रसाद का मानना है कि बुमराह को अपना रोल मॉडल नहीं माना जा सकता
“ देखिये, बुमराह अपने अनोखे एक्शन की वजह से बिल्कुल एक अलग किस्म के ही गेंदबाज हैं जैसा कि लसिथ मलिंगा हुआ करते थे. हालांकि, उनका एक्शन तकनीकी तौर पर मलिंगा से बिल्कुल अलग है लेकिन वो बल्लेबाज के दिमाग में संदेह पैदा करने के लिए काफी है. ये उनकी कामयाबी की सबसे बड़ी वजह है, लेकिन आप उन्हें अपना मॉडल नहीं मान सकते हैं, उनकी तरह खुद को ढालने की कोशिश नहीं कर सकते हैं, क्योंकि हर किसी का एक्शन अलग होता है.”
ये कहना है प्रसाद का, जिन्होंने लेखक के साथ लंबी बातचीत की. आईपीएल के पहले ही सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए हेड कोच की भूमिका निभाने वाले प्रसाद ने इंटरनेशनल क्रिकेट में करीब 300 विकेट हासिल किए हैं, लेकिन कभी टी20 क्रिकेट नहीं खेले. उनके दौर के बाद से लेकर अब तक तो तेज गेंदबाजी में बहुत बदलाव आ गए हैं. खासकर सबसे छोटे फॉर्मेट में. ऐसे में युवा गेंदबाजों के पास इस फॉर्मेट में सबसे बड़ा हथियार क्या है?
“ मेरे लिए तो सबसे अहम बात है आपका नजरिया. तेज गेंदबाजी किसी भी दौर में आसान नहीं रही है. एक बात जो किसी दौर में नहीं बदली है और न बदलेगी वो ये कि आपको हर बार मैच में वापसी करने की चुनौती होगी. आप बल्लेबाज को खुद पर दबदबा हासिल करने की इजाजत नहीं दे सकते हैं. जब जब बल्लेबाज़ आप पर दबाव बनायेगा, आपको एक गियर और ऊपर जाना होगा और ये सब कुछ अचानक से मैच में नहीं होगा, इसके लिए आपको अपनी तैयारी नेट्स से ही शुरु करनी पड़ेगी. ”
वैसे प्रसाद एमएस धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स के लिए भी गेंदबाज़ी कोच की भूमिका निभा चुके हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि आज के दौर में शार्दुल ठाकुर और भुवनेश्वर कुमार के तौर अलग अलग स्कूल की सोच वाले गेंदबाज हैं जो अपने अपने तरीके से टीम के लिए मैच-विनर की भूमिका निभाते हैं.
“ देखिये, अगर कोई भी सधी हुई गेंदबाजी हर समय कर सकता है तो ये तो बहुत ही अच्छी बात होगी, लेकिन वो क्या है न कि आज के दौर में आपकी अच्छी गेंदों पर भी चौके पड़ जाते हैं. ऐसे में ये जरुरी होता कि जब आपको मार पड़े तो आप तुरंत वापसी करने के बारे में सोचें. ठाकुर की समझ बहुत अच्छी है और इसलिए वो मार पड़ने के बाद भी बड़े विकेट लेने में कामयाब होते हैं.”
भुवनेश्वर कुमार का मॉडल तो ठाकुर के मुकाबले बिल्कुल उल्टा है. वो विकेट भले न लें, लेकिन किफायती गेंदबाज़ी करके ही दबाव बनाते हैं और जीत में अहम भूमिका भी. ये सुनने पर प्रसाद तपाक से टोकते हैं-
“ देखिये, आपको ये बात तो सबसे पहले समझनी होगी कि क्रिकेट में कोई एक तरीका नहीं होता है गेंदबाज़ी का. भुवी भी विकेट लेने की उतनी ही कोशिश करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि बल्लेबाज एक खास गेंदबाज के खिलाफ जोखिम लेना नहीं चाहते हैं. अब मैं आपको खुद का उदाहरण दूंगा. मेरे साथ अक्सर दूसरे छोर पर जवागल श्रीनाथ गेंदबाजी कर रहे होते थे, जिनके खिलाफ कोई चांस लेने की कोशिश नहीं करता था, लेकिन उन्हें लगता था कि प्रसाद को आराम से धुनाई कर दूंगा और इस सोच के चक्कर में मेरा फायदा हो जाता था. आप ये नहीं कह सकते हैं कि मैं खासतौर पर एक विकेट लेने वाला गेंदबाज था. एक जोड़ीदार के तौर पर आपको टीम के लिए काम करना पड़ता है . जब बुमराह अच्छी गेंद डालकर दबाव बना रहे होते हैं तो विरोधी ठाकुर जैसे गेंदबाज़ों के खिलाफ फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. चाहे वो ठाकुर हो या कोई और गेंदबाज, अगर वो समझदार रहेगा तो ऐसे हालात का फायदा बखूबी उठायेगा.”
प्रसाद पिछले सालों से इस कोशिश में जुटे हैं कि उन्हें सीनियर चयन समिति में जगह मिले. उन्हें युवा प्रतिभाओं की खोज करने में और उन्हें मौका देकर सफल होते देखने में बहुत सुखद अनुभव होता है. वैसे, बहुत कम लोगों को शायद ये बात याद हो कि 2016 में प्रसाद जब जूनियर चयन टीम के अध्यक्ष थे, उन्होंने 2016 अंडर 19 वर्ल्ड कप के लिए टीम चुनी तो उसमें ऋषभ पंत से लेकर वाशिंगटन सुंदर तक शामिल थे.
“ देखिये, ईमानदारी से कहूं तो उन युवा खिलाड़ियों की कामयाबी का श्रेय खुद उनकी मेहनत को जाता है. आप चाहे कितने बड़े खिलाड़ी या चयनकर्ता हो, ये नहीं कह सकते हैं पूरे दावे के साथ कि 4 साल में ये खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए खेलेगा. अगर आज पंत या सुंदर इतनी तेज़ी से उभरकर आए हैं तो इसके लिए उन्होंने अपनी फिटनेस और गेम पर काफी मेहनत की है. हां इतना जरूर है कि आप बीसीसीआई से ये जरूर गुजारिश कर सकते हैं कि युवा प्रतिभाओं को जल्द से जल्द सीनियर क्रिकेट में मौका दिया जाए जैसा कि 2006 में अंडर 19 वर्ल्ड कप में फाइनल पहुंची टीम के खिलाड़ियों को रणजी टीमों में डालने की मैंनें वकालत की थी.”
अगर आपको याद न हो तो प्रसाद चेतेश्वर पुजारा की अगुआई वाली उस टीम की बात कर रहे हैं जिसमें रोहित शर्मा, पीयूष चावला और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी शामिल थे. मौका मिलने पर हर किसी ने चौका लगाया और ऐसा ही कुछ हाल के दिनों में तमिलनाडु के तेज गेंदबाज एन नटराजन ने किया है. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वो एक नेट बॉलर के तौर पर गये और वक्त ने उन्हें ऐसे मौके दिए कि वो भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेल गए.
“ नटराजन की कामयाबी आपको फिर से इस बात को दिखाती है कि भारत जैसे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन राज्यों के युवा खिलाड़ियों को ज़्यादा मौके मिल रहें है जहां उनकी घरेलू टी20 लीग हो रही है. एक अच्छा सिस्टम है जैसा कि आपको कर्नाटक या फिर तमिलनाडु या मुंबई में दिखता है.”
प्रसाद अपने जमाने में लेग कटर और विविधता के लिए जाने जाते थे. उनका नाम सिर्फ आमिर सोहेल को 1996 के वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल में परास्त करने तक ही सीमित नहीं है. मौजूदा दौर में भारत के पास हर फॉर्मेट के लिए कम से कम 5 उम्दा तेज गेंदबाज हैं. ये बात प्रसाद को काफी तसल्ली देती है, लेकिन उनका ये भी कहना है कि इस चक्कर में टीम इंडिया अपनी पारंपारिक मजबूती को भूल रही है.
“ हमारे पास लेग स्पिनर और लेफ्ट ऑर्म स्पिनर तो काफी अच्छे आ रहे हैं, लेकिन ऑफ स्पिनर के बारे में हम नहीं सोच रहे हैं. अब अश्विन के बाद हमारा अगला बड़ा ऑफ स्पिनर कौन है? आपको सुंदर के अलावा दूसरा नाम नहीं दिखता है, लेकिन सुंदर को बतौर टेस्ट स्पिनर बनने के लिए लंबा फासला तय करना है. हमें अब भी एक ऐसे ऑफ स्पिनर की जबरदस्त दरकरार है जो विकेट में उछाल का फायदा उठा कर अपनी टर्न करने वाली गेंदों से विरोधी को भौचक्का करे.”