महिलाओं और पुरूषों के पोलिंग पर्सेंट में चौदह प्रतिशत का अंतर परिणाम को किसी भी दिशा में ले जा सकता है. माना जा रहा है कि नेताओं के संक्रमित होने की सूचना ने वोटर में असुरक्षा का भाव पैदा किया. राज्य में संक्रमण के कारण होने वाली मौत की खबरों और खराब स्वास्थ्य सेवाओं के कारण भी वोटर घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं दिखा सका
Source: News18Hindi
Last updated on: April 18, 2021, 6:52 PM IST
दमोह विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को वोट डाले गए. कुल वोटिंग 59.81 प्रतिशत रहा. क्षेत्र में लगभग दो लाख चालीस हजार वोटर हैं. कुल महिला वोटरों की संख्या एक लाख पंद्रह हजार चार सौ पचपन (1,15,455) है. इसमें कुल साठ हजार सात सौ सत्तर (60,770) ने अपने मताधिकार का उपयोग किया जो कि 52.64 प्रतिशत होता है. जबकि पुरूषों का वोटिंग परसेंट 66.47 रहा है. महिलाओं और पुरूषों के पोलिंग पर्सेंट में चौदह प्रतिशत का अंतर परिणाम को किसी भी दिशा में ले जा सकता है. विधानसभा के आम चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर राहुल लोधी ने यह सीट 789 वोटों के अंतर से जीता था. लोधी ने बीजेपी के कद्दावर नेता और तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया को चुनाव में हराया था.
आम चुनाव में डाले गए थे 75 प्रतिशत से ज्यादा वोट
उपचुनाव में क्षेत्र में वोटिंग पर्सेंट का रिकॉर्ड बने इसके लिए चुनाव आयोग ने काफी प्रचार किया था. आम चुनाव में 75.27 प्रतिशत वोट डाले गए थे. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी सत्तर प्रतिशत से अधिक वोट डाले गए थे. पिछले चुनाव में लगभग पौने दो लाख वोट में से कांग्रेस और बीजेपी को 45-45 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार कुल 1,43,431 वोट डाले गए हैं. मतदान में चौदह प्रतिशत की गिरावट से राजनीतिक दलों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं. दोनों ही प्रमुख दलों के उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दावा जरूर कर रहे हैं लेकिन, चेहरे पर आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है. कांग्रेस के अजय टंडन ने कहा कि मतदान प्रतिशत में गिरावट कोरोना संक्रमण फैलने के डर के कारण आई है. वहीं, बीजेपी उम्मीदवार राहुल लोधी ने कहा कि कांग्रेस का वोटर हताशा के कारण पोलिंग स्टेशन तक गया ही नहीं.
महिला वोटरों से बीजेपी में बढ़ता है जीत का विश्वास
दमोह विधानसभा सीट पर पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से बीजेपी चुनाव जीतती रही है. बीजेपी के जयंत मलैया वर्ष 1990 से इस क्षेत्र का लगातार नेतृत्व करते आ रहे थे. आम चुनाव में उनकी हार बेहद कम अंतर से हुई थी. मलैया वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव दो सौ से कम वोटों के अंतर से जीते थे. दमोह राज्य के बुंदेलखंड का महत्वपूर्ण जिला मुख्यालय है. राज्य की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती बुंदेलखंड इलाके से ही आती हैं. इस क्षेत्र के वोटरों पर उनका भी खासा असर है. महिला वोटरों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता लाडली लक्ष्मी और कन्यादान योजना के कारण बनी है.
उपचुनाव में महिला वोटरों को बांधे रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने इस बात का खूब प्रचार किया था कि पंद्रह माह की कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के हितों से जुड़ी तमाम योजनाओं को बंद कर दिया था. बीजपी की हर चुनाव में रणनीति महिला वोटरों को साधने की रहती है. महिला वोटरों का मतदान प्रतिशत बढ़ने पर पार्टी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हो जाती है. लेकिन, दमोह में महिलाओं और पुरूषों के बीच 22 हजार से अधिक वोटों का अंतर विश्वास कमजोर कर रहा है. मतदान समाप्त होने के बाद से बीजेपी और कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने अपनी पार्टी की जीत का दावा नहीं किया. उपचुनाव के परिणाम दो मई को आएंगे.वोटिंग पर कोरोना का असर या प्रतिबद्ध वोटर में उदासीनता
मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ा है. संक्रमण बढ़ने के बाद भी दमोह में चुनाव प्रचार में किसी तरह की रुकावट नहीं आई. प्रचार के अंतिम दिन जरूर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रोड शो का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एक दिन ही प्रचार में रूके. कांग्रेस की ओर से कमलनाथ ने प्रचार में प्रमुख भूमिका निभाई. चुनाव प्रचार थमने के तत्काल बाद से दमोह में नेताओं के कोरोना संक्रमित होने की सूचनाएं आने लगी थीं. बड़ी संख्या में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेता संक्रमण के शिकार हुए हैं.
यह माना जा रहा है कि नेताओं के संक्रमित होने की सूचना ने वोटर में असुरक्षा का भाव पैदा किया. राज्य में संक्रमण के कारण होने वाली मौत की खबरों और खराब स्वास्थ्य सेवाओं के कारण भी वोटर घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं दिखा सका. बीजेपी के नेताओं की उदासीनता भी चर्चा का विषय बनी हुई है. राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं. उन्हें केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का समर्थन हासिल है. जबकि जयंत मलैया जैसे कद्दावर नेता लोधी की एंट्री से नाराज हैं. हालांकि मलैया ने नाराजगी की खबरों को खारिज किया है. (यह लेखक के निजी विचार हैं)
दिनेश गुप्ता
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. सामाजिक, राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखते रहते हैं. देश के तमाम बड़े संस्थानों के साथ आपका जुड़ाव रहा है.
First published: April 18, 2021, 6:52 PM IST