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सैलाना8 मिनट पहले
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पत्नी व बच्चों के साथ पैदल-पैदल घर पहुंचा श्रमिक कमलसिंह निनामा।
- ठेकेदार ने घर आने का किराया देकर भेजा, कहा : बाकी रुपए बाद में देंगे
कोरोना ने फिर सभी को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है। मजदूरी के लिए गए श्रमिकों को घर लौटना पड़ रहा है। लॉकडाउन की खबर सुनकर श्रमिक परिवार को जोधपुर से लेकर अपने गांव जांबू डाबरा रविवार दोपहर पहुंचा। श्रमिक के मजदूरी के बने 21 हजार के बदले ठेकेदार ने ढाई हजार रुपए देकर रवाना कर दिया। लिफ्ट लेकर वह गांव पहुंच गया, उसे 73 किमी पैदल चलना पड़ा।
सैलाना तहसील के अंतिम छोर पर बसे छोटे से ग्राम जांबू डाबरा में रहने वाले वाला कमलसिंह पिता गौतम निनामा मजदूरी के लिए डेढ़ माह पहले ही जोधपुर गया था। मप्र व राजस्थान में लॉकडाउन की खबर सुनकर सड़क निर्माण कार्य छोड़कर ठेकेदार से पत्नी संताबाई व उसका हिसाब करवाया। उसके 21 हजार रुपए बने जब ठेकेदार से रुपए मांगे तो उसने बीच में काम छोड़ने का बहाना बनाते हुए मात्र ढाई हजार रुपए देकर रवाना कर दिया। जोधपुर जिले में चल रहे काम को 15 अप्रैल को छोड़कर हाइवे के लिए निकला।
हाईवे तक आने के लिए कोई साधन नहीं मिला तो कमलसिंह पत्नी संताबाई, बेटी सुगना (12) और बेटा आयुष (8 माह) के साथ 20 किमी पैदल चल कर पहुंचा। इसके बाद ट्रक व अन्य साधनों से जैसे-जैसे साधन मिला वैसे वह ढोढर चौकी के माननखेड़ा पहुंचा। यहां से उसे साधन नहीं मिलने पर वह 53 किमी पैदल-पैदल अपने गांव रविवार दोपहर को पहुंचा। कमलसिंह ने बताया पिछले लॉकडाउन के पहले वह मजदूरी के लिए राजस्थान गया था। जहां कांकरोली क्षेत्र में सड़क निर्माण का काम किया था। उस दौरान 15 हजार रुपए ठेकेदार में बाकी जो अभी तक नहीं मिले हैं। घर तक पहुंचने के दौरान रास्ते में चाय, बिस्किट जो मिला उसका सेवन करते हुए घर आए। घर आने पर अब हमें सकुन मिला है। उसने बताया अब जबतक यह महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हो जाए तब तक दूसरे शहर में मजदूरी के लिए नहीं जाएंगे। यहीं क्षेत्र में छोटी-मोटी मजदूरी कर घर खर्च निकालेंगे।
ठेकेदार बोला- सभी एक साथ गए, रुपए सभी को देंगे
ठेकेदार नागेश्वर मीणा ने बताया लॉकडाउन के चलते एक साथ कई मजदूर काम छोड़ गए। एकाएक इतनी राशि का प्रबंध नहीं हो पाया। सभी को इतनी राशि दे दी थी कि वे अपने-अपने घर तक पहुंच जाए। बकाया राशि काम पर लौटने पर दे दी जाएगी और जो नहीं लौट पाएंगे उन तक पहुंचाई जाएगी।