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टीकमगढ़2 घंटे पहले
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माउंट एवरेस्ट को फतह करने 2830 मीटर की चढ़ाई और बाकी, 15 मई तक हो जाएगी पूरी।
इंसान की जिद और जुनून उसे कभी बूढ़ा नहीं होने देती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया 53 वर्षीय कैप्टन सुरेन्द्र सिंह यादव ने। 20 हजार फीट से अधिक ऊंची चोटी माउंट लोबुचे पर उन्होंने सोमवार को सुबह 8 बजे पहुंचकर तिरंगा फहराया। उन्होंने बताया कि ज्यों-ज्यों कदम ऊपर की तरफ बढ़े, त्यों-त्यों एक-एक सांस के लिए मानो संघर्ष करना पड़ा। चोटी पर पहुंचते-पहुंचते ऑक्सीजन लेवल 30 फीसदी ही बचा था। कैप्टन सिंह ने अपनी ट्रेकिंग काठमांडू से लुकला पहुंचकर शुरू की।

कैप्टन सुरेंद्र सिंह।
14 दिन में उन्होंने 6019 मीटर ऊंची माउंट लोबुचे पश्चिम की चोटी पर भारत का तिरंगा फहराया। कैप्टन सिंह ने बताया कि 5 अप्रैल से ट्रेकिंग शुरू की थी। रास्ता बहुत ही जोखिम भरा हुआ था। दिन-रात की ट्रेकिंग के बाद 20 हजार 75 फीट उंचाई की चढाई पूर कर सुबह 8 बजे चोटी के उच्चतम शिखर पर पहुंचा।
2019 में ली थी ट्रेनिंग, दो साल बाद फतह की माउंट लोबुचे चोटी
ट्रेनिंग के लिए पहले भारत सरकार ने अधिकतम 35 वर्ष उम्र निर्धारित थी, लेकिन बाद में 55 वर्ष कर दिया गया। उस समय उम्मीद जगी कि अब माउंट एवरेस्ट को फतेह करना है। इसके लिए 2019 में नेहरू इंस्टीट्यूट उत्तरकाशी में माउंटिंग का प्रशिक्षण लिया। बहुत जगह हमें पैदल नहीं चलना होता है। कुल्हाड़ी, जुमार, डिसेंडर, रस्सी जैसी चीजों के जरिए चढ़ाई हो पाती है। सोमवार को कैप्टन सुरेंद्र सिंह के साथ तीन भारतीय और दो विदेशियों ने भी ट्रेकिंग पूरी की। उन्होंने बताया कि अभी माउंट एवरेस्ट तक पहुंचना है। इसलिए लोबुचे गांव में ट्री हाउस बेस कैंप में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। यहां रोज छोटी पहाड़ियों पर प्रैक्टिस चल रही है। 20 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर ऑक्सीजन का लेवल 30-40 प्रतिशत है। दो कदम चलने में ही सांस फूलने लगती है।
2001 तक कमर्शियल पायलेट रहे सुरेंद्र सिंह
सुरेंद्र के अनुसार अक्सर लोग 50-55 की उम्र में अपने आप को बुजुर्ग मान लेते हैं। मैं उस भ्रम को तोड़ना चाहता हूं। मेरा बचपन से ही सपना था कि माउंट एवरेस्ट को फतेह करूं। अगर मौसम मेहरबान रहा तो 10-15 मई के बीच वहां तिरंगा फहराऊंगा। ओरछा में 20 अक्टूबर 1968 में जन्मे सिंह का ने अपनी पढ़ाई सैनिक स्कूल लखनऊ से पूरी की। इसके बाद 2001 तक कामर्शियल पायलेट के रुप में अपनी सेवाएं दीं।