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- If You See Symptoms Of Kovid, Then Do Not Delay In Getting Tested, Because 50% Of People Who Die From Corona In One And Half Months Are Less Than 40 Years Of Age.
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भोपाल2 मिनट पहले
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कोविड के लक्षण दिखें तो युवा जांच कराने में देर न करें। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। पिछले डेढ़ महीने में कोरोना से जान गंवाने वालों में से 50% लोग 40 से कम उम्र के हैं। हमीदिया के अधीक्षक डॉ. लोकेंद्र दवे के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में मरने वाले हर 15 में से सिर्फ 3-4 ही ऐसे होते थे, जिनकी उम्र 40 से कम होती थी। लेकिन मार्च-अप्रैल में अब यह आंकड़ा 7-8 तक पहुंच गया है। यानी कोरोना की कुल मौतों का 50 फीसदी। वजह- जांच में देरी संक्रमण की रफ्तार बढ़ी और जान गंवाना पड़ी।
मौत का ट्रेंड बदलने की 3 वजह
- युवाओं में साइटोकाइन स्टॉर्म के कारण मौत अधिक हो रही हैं। इस स्थिति में मरीज को पहले लगता है कि वह ठीक है, लेकिन 4-5 दिन में ही उसके शरीर का इम्यून सिस्टम हाइपर एक्टिव होने से मौत हो जाती है।
- युवा कोरोना जांच और सीटी स्कैन कराने से बचते हैं। अस्पताल जाकर इलाज कराने में रुचि नहीं लेते हैं। तब तक संक्रमण गंभीर हो चुका होता है। ऐसे में रिकवरी होने में परेशानी ज्यादा होती है।
- 45 साल से अधिक उम्र के लाखों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। यही वजह है कि इन्हें संक्रमण लगने के कारण भी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं कर पा रहा है।
हालत बिगड़ने से पहले ही ऐसे सुधार सकते हैं
- जैसे ही कोविड के लक्षण नजर आएं तो सबसे पहले बिना समय गवाए जांच कराएं।
- पॉजिटिव आए तो तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लें, अपने स्तर पर उपचार न करें।
- शरीर में कोई बदलाव या कोई नया लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लें।
- ऐसे में यदि साइटोकाइन स्टॉर्म की ओर बढ़ रहे होंगे तो समय पर कंट्रोल किया जा सकेगा।
इन दो मामलों में 4-5 दिन की देरी…मौत की वजह बनी
- बैरागढ़ निवासी 30 वर्षीय सोनू झा की अचानक तबियत बिगड़ी सांस लेने में परेशानी होने पर परिजन निजी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। यहां से हमीदिया भेजा गया। यहां जांच में कोरोना पाया गया, चार दिन इलाज चला और उनकी मौत हो गई।
- रविशंकर नगर निवासी 27 वर्षीय कृष्णा को हाथ में परेशानी थी इसके इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता था। इसी दौरान कोरोना संक्रमित हुए तो 25 मार्च को चिरायु अस्पताल में भर्ती हुए थे। जहां इलाज के दौरान 31 मार्च को उनकी मौत हो गई।
साइटोकाइन स्टॉर्म इसलिए घातक
जीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. निशांत श्रीवास्तव का कहना है कि शरीर में साइटोकॉइन बनना सामान्य है। कोरोना में ये अनकंट्रोल स्पीड से बनते हैं। इसलिए इसे ‘साइटोकॉइन-स्टॉर्म’ कहते हैं। यानी कोरोना से लड़ने वाला हमारा इम्यून सिस्टम ओवर-रिएक्ट करता है। रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं शरीर के विपरीत काम करने लगती हैं।
समय रहते जांच कराएं युवा, प्रोटोकॉल भी फॉलो करें
यह बात सही है कि पहले के मुकाबले कम उम्र के कोरोना मरीजों की मौत अधिक हो रही है। वजह- समय रहते जांच और उपचार नहीं लेना। युवा लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से सलाह लें व खुद अपने सेहत पर नजर रखें।
-डॉ. लोकेंद्र दवे, अधीक्षक, हमीदिया