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- Dr. Satyendra Mishra, The First Doctor In The World Who Continued To Treat Himself Even Though The Oxygen Saturation Was 56%
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सागर11 मिनट पहले
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- एयर एम्बुलेंस की टीम ने आने के बाद किया बेहोश
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में टीबी एंड चेस्ट रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सत्येंद्र मिश्रा का हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में इलाज शुरू हो चुका है। उन्हें एयर एबुलेंस के जरिए सोमवार दोपहर 12 बजे हैदराबाद पहुंचा दिया। वहां डॉ.अपार जिंदल उनका उपचार कर रहे हैं, डॉक्टरों का कहना है कि पहले उन्हें क्रिटिकल केयर द्वारा ठीक किया जाएगा। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो लंग्स ट्रांसप्लांट का रास्ता अपनाया जाएगा। अच्छी बात यह है कि सागर का कोरोना योद्धा डॉ.मिश्रा फिलहाल सुरक्षित हाथों में है लेकिन इस सफलता के पीछे सागर के डॉक्टरों की सोच, भाग्योदय अस्पताल प्रबंधन की तैयारी और मध्यप्रदेश शासन का सहयोग है।
इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है डॉ.सत्येंद्र मिश्रा की इच्छा शक्ति और कार्यशैली। जब शहर डॉक्टर और जिला प्रशासन मिलकर शनिवार को उन्हें हैदराबाद ले जाने का निर्णय ले रहे थे, तब अस्पताल में डॉ. मिश्रा का ऑक्सीजन सेचुरेशन लगातार गिरता जा रहा था। टीम आने में 48 घंटे थे। हमें समझ में नहीं आ रहा था कि डॉ. मिश्रा को टीम आने तक कैसे सुरक्षित रखा जाए।
ऐसे में 56% ऑक्सीजन सेचुरेशन और 85% फेफड़े संक्रमित होने के बाद भी डॉ.मिश्रा ने मेरा हाथ पकड़ा और बोले- तुम सिर्फ मेरी बात सुनो। जिस स्थिति में व्यक्ति बात भी नहीं कर सकता, उस स्थिति में वे मुझसे खुद का ट्रीटमेंट करा रहे थे। रविवार रात 12.30 बजे जब तक एयर एबुलेंस की टीम आई तब तक वे खुद के उपचार से अपने आप को स्थिर बनाए हुए थे। इसके बाद टीम ने वेंटिलेटर में लेने के लिए उन्हें बेहोश किया और हैदराबाद ले गए। डॉ. मिश्रा दुनिया के पहले ऐसे डॉक्टर हैं जो खुद के इलाज से जीवित हैं।
कोरोना शहीद डॉ. शुभम के लिए की गईं तैयारियां आईं काम
डॉ. मिश्रा की हालत में अचानक गिरावट आई। हम समझ नहीं पा रहे थे कि क्या उपचार किया जाए? कोई बोला- दिल्ली ले जाओ तो किसी ने भोपाल भेजने की सलाह दी। इसके बाद बीएमसी के डॉ.मनीष जैन और डॉ.उमेश पटेल से मेरी बात हुई। उन्होंने बताया डॉ.शुभम उपाध्याय के इलाज के लिए हैदराबाद में डॉ. अपार जिंदल से बात हुई थी लेकिन शुभम को उनके अस्पताल तक ही नहीं पहुंचा सके। इसके बाद डॉक्टरों ने एक बार फिर डॉ. जिंदल से संपर्क किया और इस बार बगैर देरी किए डॉ. मिश्रा को हैदराबाद पहुंचाने का फैसला ले लिया।
भाग्योदय अस्पताल में अपने बनाए वार्ड में ही भर्ती हुए, इलाज का अतिरिक्त खर्च ट्रस्ट भरेगा
डॉ. सत्येंद्र मिश्रा बीएमसी में जाने से पहले भाग्योदय अस्पताल में ही पदस्थ थे। 2020 के कोरोनाकाल में उन्होंने अपने उपचार से सैकड़ों मरीजों को जीवनदान दिया। भाग्योदय अस्पताल में डॉ.सत्येंद्र मिश्रा का जिस वार्ड में इलाज चल रहा था, वह वार्ड भी उन्हीं ने बनाया था। यहीं वजह है कि मुख्यमंत्री, विधायक और कलेक्टर की गई मदद में भाग्योदय ट्रस्ट भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा था। ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि डॉ. मिश्रा के इलाज में जो भी अतिरिक्त खर्च आएगा, उसे ट्रस्ट भरेगा। डॉ. मिश्रा को हैदराबाद भेजने के बाद हम उनके वापस आने का इंतजार कर रहे हैं।
(न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दीपांशु दुबे की रिपोर्ट)