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मुरैना20 घंटे पहले
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काेविड वार्ड में भर्ती मरीजों को तकलीफ बढ़ने पर भी नहीं मिलता इलाज।
- 196 नए संक्रमित, जिला अस्पताल के छह वेंटीलेटर पर एक साल में भी मरीज भर्ती नहीं किया
काेराेना संक्रमित मरीजाें की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। सोमवार को 562 सैंपल की जांच में 196 पॉजिटिव मिले हैं। इसमें 140 आरटी-पीसीआर जांच में संक्रमित पाए गए हैं और 56 पॉजिटिव रेपिड एंटीजन किट से हुई जांच में निकले हैं। एक युवक की कोरोना से मौत हो गई। सोमवार को हालत बिगड़ने पर 8 मरीजों को ग्वालियर रेफर कर दिया गया। जिन मरीजों को रेफर किया गया, उन्हें ग्वालियर में अस्पताल में भर्ती होने में पांच से छह घंटे भटकना पड़ा।
ग्वालियर के जेएएच में बेड फुल होने की वजह से 8 में से छह मरीजों को निजी नर्सिंगहोम में जाना पड़ा। जबकि मुरैना जिला अस्पताल के आईसीयू के सभी छह वेंटीलेटर खाली हैं। पिछले एक साल से इन वेंटीलेटर पर एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया। जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण मरीजों की जान पर आई। वेंटीलेटर चालू न हो पाने पर जिला अस्पताल प्रबंधन का बहाना भी बड़ा अजीब है। सिविल सर्जन डॉ. एके गुप्ता का कहना है कि वेंटीलेटर चलाने वाला विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण चालू नहीं हो पा रहे हैं।
मुद्दा; छोटी सी कमी, मरीजों की बड़ी परेशानी… ग्वालियर के सरकारी अस्पताल में रेफर मरीजों को नहीं ले रहे, कम सुविधा वाले नर्सिंगहाेम में भर्ती होना पड़ा
सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की तो ग्वालियर रेफर किया, यहां निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा
मुरैना जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती 55 साल की उर्मिला पत्नी मुन्नालाल को सोमवार को ग्वालियर रेफर कर दिया। उनके बेटे अरुण उपाध्याय ने बताया कि उन्हें काफी देर से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। यह बात मां ने डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्सिंग स्टाफ को बताई लेकिन एक ही रटा-रटाया जवाब मिला कि इसमें हम क्या कर सकते हैं। तकलीफ है तो झेलो।
हमने तो दवाइयां दे दी हैं। जब तकलीफ ज्यादा हुई तो कह दिया कि ग्वालियर चले जाओ। इसके बाद मुरैना से ग्वालियर लेकर आए। यहां अपने परिचितों से फोन पर पूछने पर बताया कि जेएएच में आसानी से भर्ती नहीं हो पाएंगे। मजबूरी में बहोड़ापुर पर एक निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। यहां जिला अस्पताल से भी कम सुविधाएं हैं लेकिन क्या करें जान तो बचानी है। लेकिन जिला अस्पताल मुरैना में भर्ती मरीजों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जेएएच में भर्ती कराने में छूटे पसीने, बढ़ गई तकलीफ
कैलारस के किरावली के रहने वाले 40 साल के जयपाल पुत्र सोबरन सिंह जादौन को भी सोमवार को जिला अस्पताल के कोविड वार्ड से ग्वालियर भेज दिया गया। जयपाल को सांस लेने में कष्ट के कारण ग्वालियर रेफर किया गया था। लेकिन यहां पर भी भर्ती कराने में जयपाल के परिजन को पसीने छूट गए। एक घंटे की मशक्कत के बाद मरीज को भर्ती करा पाए। जब तक सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई।
छह से आठ घंटे भर्ती कराने के लिए भटके, निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा
जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती 65 साल के नारायण सिंह यादव पुत्र मुन्ना सिंह यादव के परिजन प्रदीप यादव ने बताया कि रविवार की रात अचानक डॉक्टरों ने कह दिया कि आपके पिता को सांस लेने में तकलीफ ज्यादा हो रही है। इसलिए इन्हें ग्वालियर ले जाओ। करीब छह से आठ घंटे भटकने के बाद सोमवार को तानसेन नगर स्थित एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया। यहां भी इलाज की कोई सुविधा नहीं है। जबकि मुरैना में ही इससे अच्छा इलाज हो सकता था। लेकिन कोई इलाज करना ही नहीं चाहता।
जिले में 196 नए कोरोना संक्रमित मिले, सबलगढ़ के इलाज के दौरान युवक ने दम तोड़ा
जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में रविवार की रात 8 बजे सबलगढ़ क्षेत्र के 22 साल के वीरू पुत्र रामजीलाल ने दम तोड़ दिया। सोमवार को उसका अंतिम संस्कार कोविड गाइडलाइन के अनुरूप किया गया। वीरू को सांस लेने में तकलीफ के चलते सबलगढ़ से जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में रविवार की शाम 4 बजे भर्ती कराया गया था। उस समय डॉक्टर वार्ड का राउंड ले चुके थे। मुरैना में अब तक 32 मौत हो चुकी है।
ये बोले जिम्मेदार
वेंटीलेटर को चलाने के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर और सपोर्टिंग स्टाफ नहीं है
^कोविड वार्ड में 5 व आईसीयू में एक वेंटीलेंटर लगा है। लेकिन वेंटीलेटर को चलाने के लिए जिला अस्पताल में एक्सपर्ट 4 डॉक्टर व 8 लोगों का सपोर्टिंग स्टाफ नहीं उपलब्ध नहीं है। मेडिसिन के दो डॉक्टर ही 5 वार्ड में भर्ती मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
डा. एके गुप्ता, सिविल सर्जन मुरैना
अस्पताल के वेंटीलेटर क्याें बंद हैं, कलेक्टर-सीएमएचओ, सिविल सर्जन से बात करूंगा
^मुरैना जिला अस्पताल में वेंटीलेटर सिर्फ विशेषज्ञ डॉक्टर न होने की वजह से बंद हैं तो यह गंभीर मामला है। इस मामले के संबंध में वहां के कलेक्टर और सीएमएचओ-सिविल सर्जन से बात करूंगा। जो भी बेहतर हो सकता होगा, वो किया जाएगा। मरीजों के लिए बेहतर इलाज के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।
आशीष सक्सेना, संभागीय कमिश्नर, चंबल-ग्वालियर संभाग