कोरोना संक्रमण का डर: रीवा में 12 घंटे तक पत्नी का उपचार कराने फटकता रहा बीएसएफ का जवान, बिछिया अस्पताल से निजी अस्पताल पहुंचा, फिर संजय गांधी में मिला इजाल

कोरोना संक्रमण का डर: रीवा में 12 घंटे तक पत्नी का उपचार कराने फटकता रहा बीएसएफ का जवान, बिछिया अस्पताल से निजी अस्पताल पहुंचा, फिर संजय गांधी में मिला इजाल


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रीवा4 मिनट पहले

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  • सीधी जिले का बीएसएफ जवान मंगलवार की सुबह 6 बजे से निकला कोरोना का इलाज कराने, शाम 6 बजे तक इस अस्पताल से उस अस्पताल भटकता रहा

रीवा शहर के अस्पतालों में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां सीधी जिले का बीएसएफ जवान अपनी कोरोना संक्रमित पत्नी को इजाल कराने के लिए इस अस्पताल से उस अस्पताल में भटकता रहा। फिर भी किसी की मानवता नहीं जाग रही थी। ऐसे में वह शाम को धक हारकर मीडिया के सामने तेज तेज रोने लगा। कहा मंगलवार की सुबह 6 बजे से इलाज कराने के लिए निकला हूं।

पहले दोपहर हुई अब शाम के 6 बज रहे है। फिर भी कोई उपचार करने के लिए तैयार नहीं है। कोई ऑक्सीजन सिलेंडर न होने की बात कहकर भगा देता है। तो कोई बीएसएफ जवान के नाम पर उपचार करने को तैयार नहीं है। जबकि मैं अपनी पत्नी के बेहतर उपचार के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्च करने को तैयार हूं। फिर भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार सुनने को तैयार नहीं है।

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स त्रिपुरा में तैनात मूल रूप से सीधी जिले के निवासी विनोद तिवारी ने मीडिया को बताया कि उनका परिवार रीवा शहर में ही रहता है। जहां पत्नी को तेज बुखार आ रहा है। साथ ही चिकित्सकों के बताए अनुसार कोरोना संक्रमित हो सकती है। ऐसे में वह सुबह 6 बजे बिछिया स्थित कुशाभाउ ठाकरे जिला चिकित्सालय पहुंच गया।

जहां ओपीडी पर्ची कटाने के बाद कोरोना की जांच हुई। फिर सेंपल देने के बाद वह एक निजी अस्पताल पहुंचा। क्योंकि पत्नी की तबियत तेजी से बिगड़ रही थी। साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो रही। लेकिन उस अस्पताल में कोई नहीं सुना। पहले घंटों इलाज के नाम पर बैठाए रहे। अंत में ऑक्सीजन कम होने की बात पर लौटा दिया। धक हारकर फिर शाम को संजय गांधी अस्पताल पहुंचा। जहां पहले नर्सिंग स्टाप इस वार्ड से उस वार्ड में घुमाते रहे। बड़ी मिन्नते और बिनती के साथ रोते बिलखते देखने पर भर्ती किए है।

भगवान भरोसे विंध्य मे उपचार
बता दें कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन बेहतर उपचार के रोज दावे करते है। लेकिन जमीनी स्तर पर अमल नहीं हो रहा है। यहां कोरोना के डर से अच्छे चिकित्सक और नर्सिंग स्टाप हाथ लगाने के लिए तैयार नहीं है। कोई मरे या जिए कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। जबकि चिकित्सकों को भगवान का रूप बताया गया है, ेलकिन धीरे धीरे सभी की मानवता मर रही है।

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