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भोपालकुछ ही क्षण पहले
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गंभीर हालत में एक निजी अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज को यह कहकर दूसरे अस्पताल बुलाया गया कि वहां वेंटिलेटर उपलब्ध है। परिजन जब उन्हें वहां लेकर पहुंचे तो 45 मिनट से ज्यादा समय तक एंबुलेंस से उतारा ही नहीं गया। जब परिजनों ने हंगामा किया तो मरीज को भर्ती भी किया, लेकिन वेंटिलेटर पर नहीं लिया गया। रात में मौत हो गई।
ये आरोप सिद्धार्थ लेकसिटी निवासी शिवकुमार राय के परिजनों ने आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर लगाए हैं। उनका कहना है कि कोरोना पॉजिटिव होने पर राय को पटेल नगर स्थित अर्नव हॉस्पिटल में भर्ती किया था। तबियत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने वेंटिलेटर सपोर्ट पर लेने की बात कही, लेकिन यह सुविधा वहां उपलब्ध नहीं थी। परिजनों ने आरकेडीएफ में बात की। तब वेंटिलेटर उपलब्ध होने की बात कही गई। शाम 4:30 बजे परिजन एंबुलेंस से राय को लेकर पहुंचे तो वेंटिलेटर तैयार करने की बात कही गई।
वेंटिलेटर पर रखा ही नहीं गया
परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की बात कही थी। हमें आशंका हुई तो कर्मचारियों से बात की तो पता चला कि वेंटिलेटर नहीं लगाया है। हमने जिम्मेदारों से कहा कि हम मरीज को देखना चाहते हैं, लेकिन मना कर दिया। और रात में ही मौत होना बताया जा रहा है।
6 में से एक ही मोबाइल चोरी क्यों हुआ?
परिजनों की मानें तो नर्सिंग स्टाफ से पूछताछ के दौरान पता चला है कि राय के अलावा एक और मरीज की मौत रात में हुई थी। दोनों के अलावा स्टाफ के 6 मोबाइल रखे थे। लेकिन, राय का फोन गायब है। परिजनों का कहना है कि बिजनेस की डिटेल मोबाइल में थी। हो सकता है साजिश के तहत मोबाइल गायब कराया गया हो। इस संबंध में जब अस्पताल प्रबंधन से बात करनी चाही तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
मौत के तीन अलग-अलग समय बताए
वेंटिलेटर उपलब्ध बताकर बुलाया, लेकिन 45 मिनट से ज्यादा वक्त एंबुलेंस में इंतजार कराया। कर्मचारियों से बात की तो मौत के तीन अलग-अलग समय दो, ढाई और चार बजे बताया गया। मोबाइल भी गायब है, हमें आशंका है कि ये साजिश है।
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