सिस्टम के मैनेजमेंट से रसोई पर संकट: कोरोना कर्फ्यू में कृषि उपज मंडी चालू, लेकिन थोक सब्जी मंडी पर ताला; सुबह मंडी गेट पर फुटकर व्यापारियों की भीड़

सिस्टम के मैनेजमेंट से रसोई पर संकट: कोरोना कर्फ्यू में कृषि उपज मंडी चालू, लेकिन थोक सब्जी मंडी पर ताला; सुबह मंडी गेट पर फुटकर व्यापारियों की भीड़


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खंडवा2 घंटे पहले

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बुधवार सुबह पंधाना रोड स्थित सब्जी मंडी के बाहर लगी व्यापारियों की भीड़।

शहर में 30 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इस बीच सिस्टम की नाकामी कहें या फेल मैनेजमेंट। शासन ने एक तरफ समर्थन मूल्य पर उपार्जन से लेकर कृषि उपज मंडी खोलने के आदेश दे रखे है, वहीं शहर की एकमात्र थोक सब्जी मंडी पर ताला लगा दिया है। बाजार में सब्जियों नहीं आने से महंगाई आसमान छू रही है। लोगों का बजट बिगड़ गया है। इसके अलावा बुधवार को सब्जी मंडी के बाहर थोक एवं फुटकर व्यापारियों की भीड़ लग गई।

कोरोना कर्फ्यू क्या लगा, पांच दिन में सब्जी व फलों के दाम तीन से चार गुना तक बढ़ गए। 10 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर 30 रुपए व 15 रुपए किलो वाला आलू 35 रुपए किलो तक पहुंच गया। फलों की भी यही स्थिति है। 150 रुपए वाला सेवफल पांच दिन में 250 रुपए तक पहुंच गया। इसकी वजह पंधाना रोड स्थित थोक सब्जी मंडी को बंद रखना है।

मंडी बंद होने से व्यापारियों ने किसानों से बाहर से ही सब्जी व फल थोक में खरीद रहे और बाजार में उन्हें तीन से चार गुना दामों में बेच रहे हैं। 16 अप्रैल को जिन सब्जियों के दाम 10 रुपए किलो प्रति तक थे, वह अब बढ़कर 30 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। सबसे ज्यादा दाम आलू और टमाटर के बढ़े हैं। यह दोनों सब्जियां 10 से बढ़कर 30 रुपए किलो तक पहुंच गई हैं।

किसानों से स्थानीय बड़े सब्जी व्यापारी थोक में ही सब्जी खरीद कर स्टॉक कर रहे हैं। जिससे दाम बढ़े। सब्जी विक्रेता जमील चौहान ने बताया कोरोना कर्फ्यू के कारण किसान सब्जियां नहीं ला रहे। हम व्यापारियों से महंगी खरीद रहे हैं। ऐसे में हमें भी सब्जियां महंगी बेचनी पड़ रही है।

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