कोरोना से डर तो लगता है, लेकिन मजबूरी है: पापी पेट का सवाल है, अगर कोरोना से डरते हैं  तो भूख से मर जाते, कहते हैं मुरैना शहर के सबसे बड़े बड़ोखर शमशान घाट के कर्मचारी

कोरोना से डर तो लगता है, लेकिन मजबूरी है: पापी पेट का सवाल है, अगर कोरोना से डरते हैं  तो भूख से मर जाते, कहते हैं मुरैना शहर के सबसे बड़े बड़ोखर शमशान घाट के कर्मचारी


  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Gwalior
  • Morena
  • The Sinner Is Concerned About The Stomach, If He Is Afraid Of Corona, He Would Die Of Hunger, It Is Said That The Staff Of The Biggest Badokhar Crematorium In Morena City

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

मुरैना17 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

बढ़ोखर शमशान घाट

  • हर एक दिन छोड़कर कोरोना से मरने वाले मरीज आ रहे शमशान पर जलने
  • कोरोना से मरने वालों के फूल तक देरी से आते हैं परिजन

मुरैना। एक दिन छोड़कर यहां कोरोना से मरने वालों के शव जलने के लिए आते हैं। हमें सब काम करने होते हैं। डर तो लगता है, लेकिन क्या करें, पापी पेट के लिए सब कुछ करना पड़ता है। घर भी जाते हैं तो डर लगता है कि कहीं बच्चे संक्रमित न हो जाएं। यह कहना है, मुरैना शहर के सबसे बड़े शमशान घाट बड़ोखर के सफाई कर्मचारी जगदीश बाल्मीक का।
जगदीश बाल्मीक ने बताया कि आज भी गुरुवार को दो लाशें जलने के लिए शमशान में आईं थीं। एक गोपाल पुरा, कंसाना गली निवासी 60 वर्षीय महिला की थी तथा दूसरी जैन बगीची निवासी, मधु जैन की थी। मधु जैन की उम्र 58 वर्ष थी। एक की लाश की चिता जल चुकी थी तथा दूसरे की जल रही थी।
परिजन भी देर से आते फूल बीनने
ज्ञान सिंह ने बताया कि कोरोना से मरने वाले लोगों की चिता पर से फूल बीनने वाले देरी से आते हैं। ऐसे में अगर कोई जानवर आकर चिता पर लोट जाए या गंदगी कर जाए तो उनके लिए मुसीबत हो जाती है। लेकिन लोग समझ नहीं रहे हैं और संक्रमण के डर से देरी से पहुंच रहे हैं।
बच्चों के पास जाने में लगता है डर
शमशान घाट के दूसरे कर्मचारी ज्ञान सिंह ने बताया कि जब वे घर शाम को लौटकर जाते हैं तो उन्हें अपने बच्चों के पास जाने में डर लगता है कि कहीं वे संक्रमित न हो जाए। लेकिन उनके सामने मजबूरी है कि वे कहां जाएं?
हाथ ठेले पर तैयार रखे रहते कंडे
उन्होंने बताया कि कभी-कभी ऐसा होता है कि कई लाशें एक साथ जलने के लिए आ जाती हैं, इसलिए कंडे व लकड़ी को बिल्कुल तैयार रखते हैं। कंडों को हाथ ठेलों पर तैयार रखते हैं। जैसे ही कोई शव आता है तुरंत सारा सामान उपलब्ध हो जाता है। इससे लोगों को इंतजार नहीं करना पड़ता है।
बहुत कम ही लोग आ रहे शवों के साथ
कर्मचारियों ने बताया कि शवों के साथ बहुत कम ही लोग आ रहे हैं। वैैसे भी शासन ने शवयात्रा में शामिल होने वाले लोगों की संख्या 20 तक सीमित कर दी हैै।

खबरें और भी हैं…



Source link