आपदा में ये मुनाफाखोरी शर्मनाक: महामारी में महालूट; आईसीयू का चार्ज थ्री स्टार होटल से भी ज्यादा, खून की जांच में भी मनमानी वसूली

आपदा में ये मुनाफाखोरी शर्मनाक: महामारी में महालूट; आईसीयू का चार्ज थ्री स्टार होटल से भी ज्यादा, खून की जांच में भी मनमानी वसूली


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ग्वालियर5 मिनट पहलेलेखक: अंशुल वाजपेयी

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  • कोविड में निजी अस्पतालों में भर्ती हुए तो लाखों रुपए से लुटना तय

कोरोना महामारी में सरकारी इंतजाम कम पड़ने के कारण ज्यादातर कोरोना संक्रमित निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए मजबूर हैं और उनकी इसी मजबूरी का भरपूर फायदा भी उठाया जा रहा है। भास्कर की पड़ताल में यह सामने आया कि अधिकांश कोविड अस्पतालों में मरीज से आईसीयू का हर रोज का किराया साढ़े चार हजार से साढ़े आठ हजार रुपए तक लिया जा रहा है, जो कि शहर के थ्री स्टार होटल के कमरे से भी कहीं ज्यादा है। यही नहीं कोरोना वायरस को खत्म करने की अभी तक कोई दवा नहीं बनी है।

केवल लक्षण और समस्या के आधार पर मरीज की जांच और इलाज किया जा रहा है। लेकिन इसमें भी अस्पतालों द्वारा इतनी मनमानी की जा रही है कि मरीज का हर रोज का खर्चा हजारों में पहुंच रहा है। कई मरीज तो ऐसे भी हैं, जिन्हें खून संबंधी जांच कराने के एवज में 40 हजार से ज्यादा का भुगतान करना पड़ा। ऐसे में आप केवल अनुमान लगा सकते हैं कि मरीज का कुल बिल कितना रहा होगा।

कलेक्टर बोले- दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करेंगे

कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि अस्पतालों में मनमाने बिल वूसलने की कुछ शिकायत प्राप्त हुई हैं। इसकी जांच कराई जा रही है। दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जानिए… किस तरह अस्पताल ले रहे मनमाने शुल्क

  • पीपीई किट: हर मरीज के बिल में पीपीई किट का पैसा जोड़ा जा रहा है। किसी अस्पताल का पीपीई किट का रोज का खर्च 400 रुपए है तो किसी अस्पताल का 1200 रुपए। स्टाफ एक पीपीई किट पहनकर सभी मरीजों के पास जाता है, फिर भी पीपीई किट का शुल्क प्रत्येक मरीज के बिल में जोड़ा जा रहा है।
  • डॉक्टर शुल्कः भर्ती मरीज का चेकअप रोज एक विशेषज्ञ डॉक्टर करता है। मरीज से उसका शुल्क भी वसूला जा रहा है। भास्कर पड़ताल में पता चला कि एक ही विशेषज्ञ एक से अधिक अस्पताल में संक्रमितों का चेकअप कर रहे हैं। एक अस्पताल में उनकी हर विजिट का शुल्क 1000 तो दूसरे अस्पताल में 1500 रुपए है।
  • रूम चार्जः शहर में हर निजी अस्पताल का रूम चार्ज अलग-अलग है। कोई अस्पताल डीलक्स रूम बताकर मरीज से साढ़े तीन से साढ़े पांच हजार रुपए तक (प्रतिदिन का किराया) वसूल रहे हैं। जबकि आईसीयू का हर रोज का शुल्क आठ से साढ़े आठ हजार रुपए तक वसूला जा रहा है।
  • एचआरसीटी व एक्स-रेः संक्रमितों के फेफड़ों की जांच के लिए चेस्ट का एचआरसीटी और एक्स-रे करवाया जा रहा है। किसी अस्पताल में एचआरसीटी के साढ़े तीन हजार तो किसी में लगभग पांच हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। एक्स- रे चेस्ट के लिए मरीजों से पांच सौ से लेकर पंद्रह सौं रुपए वसूले जा रहे हैं।
  • खून संबंधी जांचः संक्रमण की तीव्रता का पता लगाने के लिए मरीजों का मुख्य रूप से डी-डाइमर, आईएल-6, फेरिटिन सीरम, सीआरपी, एसजीपीटी टेस्ट कराया जाता है। बड़ी लैब इन टेस्ट के महज 2000 रुपए ले रही हैं। जबकि निजी अस्पताल इन टेस्ट के 7 से 8 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं।
  • ऑक्सीजन चार्जः जिन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, उन्हें आक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा है। मार्च और अप्रैल के शुरुआती दिनों में आंक्सीजन का प्रत्येक घंटे का शुल्क 100 रुपए लिया जा रहा था। आँक्सीजन की किल्लत के बीच इसे बढ़ाकर अब दो सौ रुपए प्रतिघंटा कर दिया गया है।

इधर, बीमा कंपनी ने पीपीई किट की राशि देने से किया इनकार

ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं, जहां 100 प्रतिशत कैशलेस मेडिकल बीमा पॉलिसी होने के बाद भी लोगों को पीपीई किट व अन्य चीजों का शुल्क खुद भुगतना पड़ रहा है। जो पीपीई किट मात्र 400 रुपए में मार्केट में उपलब्ध हैं, अस्पताल उसके मनमाने शुल्क वसूल रहे हैं। ताजा उदाहरण मप्र हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के परिजन का है। उनका परिजन सांई बाबा मंदिर स्थित निजी अस्पताल में सात दिन भर्ती रहा और कोविड का इलाज कराया। अस्पताल ने पीपीई किट का 8400 (1200*7) रुपए शुल्क वसूला लेकिन बीमा कंपनी ने इसका शुल्क देने से मना कर दिया। इस पर मरीज के परिजनों को नगद भुगतान करना पड़ा।

परिजन काे बिल देने से पहले अस्पताल प्रबंधन अफसराें काे बताए, किसका क्या शुल्क वसूला

कोविड अस्पतालों में मरीजों से जो रेट वसूले जा रहे हैं, उसकी निगरानी का जिम्मा प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के पास होना चाहिए। मरीज के डिस्चार्ज होने पर परिजनों को बिल थमाने से पहले उसे अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। अधिकारी जब बिल को मंजूर करें, तभी परिजनों को बिल दिया जाए। किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति से बचने के लिए अस्पताल प्रबंधन को वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए। अस्पताल प्रबंधन को प्रत्येक मरीज की केसशीट की जानकारी भी ऑनलाइन साझा करना चाहिए। – विनोद शर्मा, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी

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