सिस्टम की मनमानी से परेशान बेटे का दर्द: ठेले पर बैठाकर असहाय मां को लेकर पहुंचा बैंक, क्योंकि खाते को आधार से लिंक करने के लिए मैनेजर ने सामने होने का जारी किया था फरमान

सिस्टम की मनमानी से परेशान बेटे का दर्द: ठेले पर बैठाकर असहाय मां को लेकर पहुंचा बैंक, क्योंकि खाते को आधार से लिंक करने के लिए मैनेजर ने सामने होने का जारी किया था फरमान


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उमरिया10 मिनट पहले

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ठेले पर बैठाकर मां को लाना पड़ा बैंक

जिले के नौरोजाबाद में 62 वर्ष की बुजुर्ग महिला को ठेले पर बैठाकर बैंक तक जाना पड़ा। मां को बैंक तक लाने वाले बेटे मुकेश ने बताया कि बैंक मैनेजर जिद पर अड़ा था कि जब तक खाताधारक बैंक नहीं आएगा तब तक आधार नंबर खाते से लिंक नहीं होगा। यह स्थिति तब है जब भारतीय स्टेट बैंक की शाखा खाताधारक के घर से महज डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर ही स्थित है।
ठेले पर बैंक तक आने वाली 62 वर्षीय शकुन बाई ने बताया कि कोरोना के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है। खाता आधार से लिंक नहीं होने के कारण पैसे निकालने के लिए बैंक आने की मजबूरी थी। इसके लिए बेटा कई बार बैंक गया और खाते को आधार से लिंक करने की गुजारिश करता रहा। दो माह से ज्यादा समय से बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी बैंक मैनेजर नहीं माना तो आखिर ठेले पर ही शकुन बाई को बैंक तक लाना पड़ा।
दो साल में नहीं बनी पेंशन
नौरोजाबाद नगर परिषद में 40 साल तक सफाई कर्मी के रूप में सेवाएं देने वाली शकुन बाई फरवरी 2019 में रिटायर हुई हैं। उन्होंने बताया कि दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी पेंशन जारी नहीं की गई। पहले तो वे चल लेती थी तो कई बार नगर परिषद गईं, लेकिन अब अब उम्र बढऩे के साथ चलना फिरना भी मुश्किल हो गया है, फिर नगर परिषद ने पेंशन जारी नहीं की। शकुन बाई बताती हैं कि क्या नगर परिषद के लोग मौत के बाद पेंशन देंगे।

लॉकडाउन में पैसे की मजबूरी ने ठेले से बैंक तक आने को विवश
शकुन बाई ने बताया कि घर पर 6 सदस्यों का परिवार है, बेटे की कमाई ज्यादा नहीं है। नौकरी के समय की कुछ जमा पूंजी है, उसी से काम चल रहा है। लॉकडाउन के बाद पैसे नहीं निकलने से परेशानी बढ़ गई थी और बैंक मैनेजर जिद पर अड़ा था कि खाताधारक को बैंक आना पड़ेगा। इसलिए ठेले पर आना पड़ा।

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