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भोपाल5 मिनट पहले
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खतरा बढ़ रहा, क्योंकि जो एक्टिव केस 27 अप्रैल को होने थे, वो 23 को हो गए (फाइल फोटो)
- जुगाड़ में जुटी सरकार : प्रदेश के दो मंत्रियों ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मांगी मदद
कोरोना के एक्टिव केसों की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है, उससे प्रदेश सरकार की भी सांसें फूलने लगी हैं। इस समय सरकार के पास 70 ऑक्सीजन टैंकर हैं। सात दिन बाद सरकार को 700 टन ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी है और इतनी ऑक्सीजन दूसरे राज्यों से लाने के लिए इससे तीन गुना टैंकर चाहिए। इसलिए अब सरकार वक्त बचाने में भी जुट गई है। शुक्रवार को इंदौर से एक टैंकर जामनगर के लिए एयरलिफ्ट कराया गया है। शनिवार को भी एक टैंकर एयरलिफ्ट कराएंगे। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि एक्टिव केसों की संख्या का जो अनुमान लगाया गया था, उससे वह काफी तेजी से बढ़ रहा है।
अनुमान था कि 23 अप्रैल को 72 हजार 386 केस होंगे, लेकिन यह 87 हजार से अधिक हो गए। जबकि इस आंकड़े पर मप्र को 27 अप्रैल तक पहुंचना था। ऑक्सीजन की इसी मारामारी के बीच मंत्री अरविंद भदौरिया शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व इस मंत्रालय के सचिव से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ स्टील सेक्रेटरी को और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को मप्र की स्थिति बताई। सूत्रों का कहना है कि राज्यों को ऑक्सीजन के अलॉटमेंट के साथ ही अब टैंकरों की उपलब्धता को भी जल्द ही केंद्र सरकार अपने हाथ में लेगी। ऑक्सीजन आयात करने के साथ ही केंद्र सरकार जहाज द्वारा दूसरे देशों से टैंकर भी बुलाने की तैयारी कर रही है।
नरहरि का ट्वीट : कैसे ज्यादा ऑक्सीजन सप्लाई करें?
ऑक्सीजन जुटाने के लिए बने प्रदेश स्तरीय टॉस्क फोर्स के सदस्य व औषधि नियंत्रक पी नरहरि ने शुक्रवार को अजीबो-गरीब ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा कि जान बचाने के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई ज्यादा कैसे कर दें। लिक्विड ऑक्सीजन से भरे टैंकर 50 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा की रफ्तार से नहीं चल सकते। इनकी स्पीड कैसे बढ़ा दें? इसीलिए समय बचाने रहे हैं और टैंकरों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है।
सीएम ने कहा-ऑक्सीजन ऑडिट होगा
प्रधानमंत्री के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की चर्चा के बाद मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन बचाने के लिए ‘ऑक्सीजन ऑडिट’ की व्यवस्था की गई है। सभी अस्पतालों को पोर्टल से जोड़ते हुए, ऑक्सीजन के किफायती उपयोग किए जाने के लिए कहा गया है। खंडवा ने यह कर दिखाया है। यहां 80 सिलेंडर उपयोग में आते थे, इनकी संख्या घटकर 25 हो गई है। बीना रिफाइनरी में उपलब्ध ऑक्सीजन का उपयोग करने के लिए रिफाइनरी के पड़ोस में ही 1000 बिस्तर का अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है।
प्रदेश को 30 से 50 टैंकर तुरंत चाहिए
मप्र को इस समय 30 से 50 टैंकर तुरंत चाहिए। तभी हालिया जरूरत का ऑक्सीजन मिल पाएगा। दूसरी तरफ बैड्स तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अब पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ है। जिला अस्पतालों के 2 हजार 302 बैड्स में से 603 बिस्तरों तक पाइप लाइन बिछ गई है।
मप्र को रोज मिलेगी 643 मीट्रिक टन गैस
इस बीच प्रदेश सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार से 22 अप्रैल से 643 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन आपूर्ति की स्वीकृति मिली है। सरकार का दावा है कि गुरुवार को 463 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी जुटाए जा रहे हैं। सरकार ने 2000 कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं। एक हजार से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स लगाए जा चुके हैं। प्रदेश अपने स्तर पर छोटे ऑक्सीजन प्लांट लगा रही है।