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- In Ujjain There Is No Place To Burn The Dead Bodies, The Bodies Are Being Burnt Only On The Way To The Crematorium And On The Parking Of Vehicles, 60 To 70 Cremations Daily At Three Ghats
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उज्जैन4 घंटे पहले
कोरोना का एक भयावह रूप यह भी सामने आया है कि अस्पतालों के बाद अब श्मशान में शव जलाने तक की जगह नहीं बची। ऐसे में श्मशान के रास्ते और वाहन पार्किंग की जगह पर भी शव जलाए जा रहे हैं। चक्रतीर्थ घाट की सड़क पर ही शव जलाने पर अव्यवस्थाएं भी उजागर हुई है।
उज्जैन में कोरोना संक्रमण से हालात कितने भयावह होते जा रहे हैं यह एक फोटो को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे चक्रतीर्थ श्मशान घाट के बाहर दो पहिया वाहन स्टैंड और सड़क का यह फोटो तेजी से वायरल हुआ। इस फोटो में जलती हुई लाशों का ढेर और ठंडी पड़ी राख दिखाई दे रही है। इसके अलावा रात होने के बाद भी लाशें लाते हुई दिखाई दे रही हैं। यह फोटो श्मशान के बाहर स्टैंड से घाट तक जाने वाले रास्ते का है। घाट पर चिता जलाने के स्टैंड पर जगह नहीं मिली तो सड़क पर ही लोगों ने चिता जलाना शुरू कर दिया।
उज्जैन में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से तो रोजाना लगभग एक या दो कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है लेकिन असली कहानी तो श्मशान घाट कह रहे हैं। उज्जैन के तीन अलग श्मशान घाट चक्रतीर्थ घाट, मंगलनाथ मंदिर के समीप ओखलेश्वर घाट और त्रिवेणी स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि तीनों घाटों पर रोजाना 60 से 70 अंतिम संस्कार हो रहे हैं। रहवासियों और श्मशान घाट पर काम करने वालों ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए लगातार लाशें आ रही है। कर्मचारी राजेश कह रहे हैं कि इतनी अधिक लाशें आने से जगह कम पड़ रही है।