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टीकमगढ़एक घंटा पहलेलेखक: सुमित चौबे
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आचार्य विद्यासागर ने की थी परिकल्पना, पीले संगमरमर से बनाया जाएगा भवन।
टीकमगढ़ से 45 किमी दूर झांसी मार्ग पर अतिशय क्षेत्र बंधा में विश्व के पहले रजत मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इसकी परिकल्पना आचार्य विद्यासागर महाराज ने की थी और 18 नवंबर 2018 को मंदिर का शिलान्यास किया था। इस मंदिर का निर्माण 200 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण जैसलमेर से मंगाए गए पीले संगमरमर से किया जाएगा, जो स्वर्ण का आभास देता है।
मंदिर में विराजमान 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं 2-2 क्विंटल चांदी की होंगी और ये 25 इंच ऊंची होंगी। जानकारों की मानें तो वर्तमान भाव के हिसाब से एक प्रतिमा करीब 1.32 करोड़ रुपए से अधिक की होगी। कमेटी के सदस्य प्रदीप जैन के अनुसार रजत मंदिर का नक्शा अहमदाबाद के आर्किटेक्ट विपुल ने बनाया है। मंदिर के सामने सहस्त्र कूट जिनालय का निर्माण भी होगा, जिसमें 1008 श्रीजी की प्रतिमाएं विराजमान होंगी। यह पांच साल में तैयार हो जाएगा।
- 130 फीट लंबाई
- 96 फीट चौड़ाई
- 81 फीट ऊंचाई

अतिशय क्षेत्र बंधा में निर्माण कार्य चल रहा है।
जून 2018 में किया गया था मंदिर का शिलान्यास
आचार्य विद्यासागर 30 जून 2018 काे बाबा अजितनाथ के दरबार में पहुंचे थे। तब उनका 50वां दीक्षा दिवस मनाया गया। कमेटी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जैन ने बताया कि आचार्यश्री ने प्रवचन में कहा कि मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे भगवान मुझे यहां रोक रहे हों। उसी समय उनके मन में एक परिकल्पना ने जन्म लिया और आचार्यश्री ने कहा अतिशय क्षेत्र बंधा में विश्व के प्रथम रजत मंदिर का निर्माण होगा। बंधा कमेटी ने इस बात को सहर्ष स्वीकारा।