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- 6 Junior Doctors Came To Deliver Plasma Samples In Medical Camp, Now Data Bank Will Be Made For Young Patients Who Are Healthy
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जबलपुर8 घंटे पहले
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प्लाज्मा डोनेशन कैम्प में जान बचाने आगे आए जूनियर डॉक्टर।
कोरोना संक्रमण के बीच मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने मिसाल पेश की है। कोरोना संक्रमित होकर स्वस्थ्य हुए 6 जूडा ने कैम्प में पहुंच कर अपने ब्लड का सैंपल दिया, ताकि जरुरतमंद को समय पर प्लाज्मा डोनेट कर पाएं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अब ऐसे युवा मरीजों का डाटा बैंक बनाने की तैयारी में है। सुपर स्पेशियलिटी में इलाजरत ऐसे युवकों के स्वस्थ होने पर संपर्क कर उन्हें प्लाज्मा डोनेट के लिए प्रेरित किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थैरेपी के लिए नोडल अधिकारी डॉ. नीरज जैन के अनुसार पिछले साल कोरोना की पहली लहर में प्लाज्मा थैरेपी को आखिरी उपचार के रूप में प्रयोग किया गया था, लेकिन यह प्रभावी तब है, जबकि शुरुआती दौर में मरीज को दी जाए। कोरोना के लक्षण उभरने के सात दिन के अंदर जरुरतमंद को प्लाज्मा थैरेपी देने पर स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होगा। उसकी हालत गंभीर नहीं होगी। जिस कोरोना मरीज को सिर्फ ऑक्सीजन लगी है, उसके लिए प्लाज्मा थैरेपी को रेमडेसिविर इंजेक्शन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
कैम्प में सिर्फ 6 लोग पहुंचे प्लाज्मा डोनेट करने
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में आयोजित कैम्प में 6 जूनियर डॉक्टर स्वस्थ्य होने के बाद फिर से संक्रमितों की मदद के लिए आगे आए हैं। कोरोना मरीज की हालत बिगड़ने से बचाने के लिए स्वस्थ हो चुके संक्रमित के प्लाज्मा से थैरेपी की जरुरत है। मेडिकल कॉलेज में आयाेजित प्लाज्मा डोनेशन कैम्प छह लोगों ने ही कोविड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए प्रक्रिया पूरी की। एंटीबॉडी टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद संबंधित का प्लाज्मा लेकर जरुरतमंद कोरोना मरीज को चढ़ाया जाएगा।
अब युवाओं को करेंगे जागरुक
मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा डोनेशन कैम्प में आम व्यक्ति नहीं आया। लोगों के प्लाज्मा दान में रुचि नहीं लेने से प्रबंधन ने फिर से पिछले वर्ष जैसी तैयारी शुरू कर दी है। इसमें कॉलेज से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होने वाले युवा मरीजों से एनएससीबीएमसी का स्टाफ फोन से संपर्क करेगा। उनकी भ्रांतियों और समस्या का निराकरण करेंगे। कोरोना को हरा चुके युवा प्लाज्मा दान करें, इसके लिए फोन करके उन्हें जागरुक करेंगे।
रेडक्राॅस बना रहा प्लाज्मा डोनेट करने वालों का डाटा बेस
रेडक्राॅस प्लाज्मा डोनेट करने वालों का डाटा बेस बनाएगा। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी टेस्ट करा चुके हैं। वहीं, कई युवा संगठन भी इसके लिए आगे आ रहे हैं। ब्लड के लिए बना सोशल ग्रुप अब प्लाज्मा डोनेट के लिए भी लोगों को जागरुक कर रहा है। संक्रमित व्यक्ति एक महीने के अंदर प्लाज्मा डोनेट कर गंभीर मरीज की जान बचा सकता है।
खून का 55 % हिस्सा प्लाज्मा होता है
प्लाज्मा थैरेपी के लिए नोडल अधिकारी डॉ. नीरज जैन के मुताबिक खून चार चीजों से मिलकर बनता है। पहला, रेड ब्लड सेल यानि कि लाल रक्त कणिका। दूसरा, वॉइट ब्लड सेल यानि श्वेत रक्त कणिका। तीसरा है, प्लेट्लेट्स और चौथा है प्लाज्मा। शरीर के खून का करीब 55 फीसदी हिस्सा प्लाज्मा ही होता है। इसमें भी करीब 92 फीसदी पानी, 7 फीसदी वाइटल प्रोटीन और एक फीसदी में मिनरल्स, साल्ट, शुगर, फैट, हार्मोन और विटामिन होते हैं।
एंटीबॉडी बनाता है प्लाज्मा
प्लाज्मा का सबसे ज़रूरी काम एंटीबॉडी बनाना है। इसमें एल्बुमिन और फाइब्रिनोजेन नाम के दो प्रोटीन होते हैं, जो संक्रमण से लड़ते हैं। इसके अलावा प्लाज्मा शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। खून के थक्के जमने पर वहां प्रोटीन भेजकर थक्के को खत्म करता है। शरीर की मांसपेशियों को सोडियम और पोटेशियम जैसे साल्ट की सप्लाई करता है।
प्लाज्मा को अलग कर शेष ब्लड वापस शरीर में चढ़ा देते हैं
प्लाज्मा डोनेशन का तरीका अलग है। इसके लिए डॉक्टर आपके एक हाथ में निडिल लगाता है, ताकि ब्लड बाहर आ सके। इस ब्लड को एक स्पेशल मशीन में रखा जाता है। मशीन ब्लड से रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को एक साथ अलग कर देती और ब्लड के लिक्विड पार्ट यानि प्लाज्मा को अलग कर देती है। अलग हुए प्लाज्मा को डॉक्टर इकट्ठा कर लेते हैं, जबकि दूसरी ओर इकट्ठा हुए रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को सलाइन के जरिए शरीर में वापस ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसमें सामान्य ब्लड डोनेशन की तुलना में वक्त अधिक लगता है।
एक वर्ष तक सुरक्षित रख सकते हैं
प्लाज्मा निकलने के 24 घंटे के अंदर उसे सुरक्षित करना होता है। ये प्लाज्मा अगले एक साल तक किसी मरीज के इलाज के काम आ सकते हैं। कोरोना के लिए भी फिलहाल इसी प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। प्लाज्मा में कोरोना के खिलाफ तैयार एंटीबॉडी के जरिए कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है।