मुरैना के इस गांव में अब नहीं जमती महफिल: गांव में एक भी संक्रमित नहीं फिर भी खौफ इतना कि दूसरे के पास बैठने में डर लगता है, दिन भर घर में रहते हैं लोग

मुरैना के इस गांव में अब नहीं जमती महफिल: गांव में एक भी संक्रमित नहीं फिर भी खौफ इतना कि दूसरे के पास बैठने में डर लगता है, दिन भर घर में रहते हैं लोग


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मुरैना12 घंटे पहले

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बामौर गांव मुख्य सड़क से करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर है। बाहर बोर्ड लगा है।

  • गांव में बिजली दिन भर और पानी एक समय ही आता है

मुरैना-ग्वालियर हाइवे पर मौजूद बामौर गांव में अब पहले जैसा माहौल नहीं रहा है। इस गांव में पहले लोग एक साथ घंटों बैठा करते थे। दोपहर में ताश-पत्ते खेला करते थे, लेकिन अब लोगों को पास बैठने में भी डर लगता है। लोग दिन भर घरों में ही रहते हैं। यह स्थिति तब है, जबकि गांव में आज तक एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं आया है। यह कहना है, गांव के शीतला मंदिर के पुजारी मथुरादास का।

गांव के शीतला माता मंदिर के पुजारी मथुरा दास

गांव के शीतला माता मंदिर के पुजारी मथुरा दास

मथुरा दास ने दैनिक भास्कर को बताया, गांव में अभी तक एक भी केस नहीं है। बावजूद लोग अब साथ में नहीं बैठते हैं। लोगों के मन में डर है, कहीं वे संक्रमित न हो जाएं।

पहले बाजार में लगाते थे दुकान, अब घर से ही बेचते हैं सामान
हाइवे से करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर बामौर गांव है, जबकि हाइवे से लगा बामाैर कस्बा है। गांव में रहने वाले विनोद ने बताया कि उसकी कस्बे में दुकान है। जब से लॉकडाउन शुरु हुआ है, उसकी दुकान बंद हो गई। इससे वह अब गांव में ही ठेला लगाकर श्रंगार के सामान को बेच रहा है।

श्रंगार का सामान बेचने वाला विनोद।

श्रंगार का सामान बेचने वाला विनोद।

घर तो हर हाल में चलाना ही है

विनोद की पत्नी गीता ने बताया कि पहले सामान खूब बिक जाता था, जिससे उनके परिवार का आसानी से गुजारा हो जाता था, लेकिन अब जब से दुकान बंद हो गई है, गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है, इसलिए् वह भी पति के साथ ठेले पर बैठती है, जिससे मदद हो सके।

सड़क पर पानी भरती ललिता।

सड़क पर पानी भरती ललिता।

कोरोना से डर रहे हैं लोग
गांव की स्वास्थ्य कार्यकर्ता नीलम यादव ने बताया, गांव में अभी तक न तो कोई संक्रमित आया है और न ही किसी की मौत हुई है। बावजूद लोग डरे हुए हैं। लोग दिन भर टीवी के सामने बैठे रहते हैं या जिनके पास स्मार्टफोन हैं, वे उस पर दिन भर खबरों पर नजर लगाए रहते हैं। कोई भी व्यक्ति अब जमघट लगाकर नहीं बैठता।

दिन में एक बार ही आता है पानी
गांव की महिला ललिता ने बताया कि यहां पानी दिन भर में सिर्फ एक ही बार आता है, वह भी सुबह के समय। पानी के लिए हैंडपंप भी लगे हैं, जिससे लोग पानी लेते हैं। हम लोगों को सड़क के किनारे लगी पाइप लाइन से पानी भरना होता है।

पुलिस वाले कम आते हैं गांव में
गांव वालों ने बताया कि यहां पुलिस वाले बहुत कम ही आते हैं। जब कोई घटना होती है, तभी आते हैं। कोरोना की वजह से पुलिस नहीं आती। पुलिस को पता है कि गांव में पहले से ही लोग डरे हुए हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति फालतू बाहर नहीं घूमता।

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