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- A Hospital Lying Vacant In Bhopal, Patients Have No Place Even After Having Beds, Gas Victims Are Wandering For Treatment
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भोपाल6 घंटे पहले
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इमरजेंसी वार्ड तक खाली नजर आया
जिस दौर में शहर के सभी कोविड अस्पताल फुल हाउस का परचम अपनी छाती पर लहराए खड़े हैं, ऐसे में गैस पीड़ितों के लिए समर्पित बीएमएचआरसी पूरी तरह से खाली होने के बावजूद मरीजों के लिए नो इंट्री का ऐलान किए बैठा है। कोविड के अलावा अन्य बीमारियों के लिए भी पहुंचने वालों को इमरजेंसी सेवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष शम्सुल हसन ने यह आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
हजारों गैस पीड़ितों के लिए जिंदगी के सहारे के तौर पर स्थापित किया गया, भोपाल मेमोरियल अस्पताल इन दिनों अपने खालीपन के साथ मौजूद है, लेकिन यहां पहुंचने वाले मरीजों को न इलाज मुहैया कराया जा रहा है, न दवाई और न ही बेड।
बताया जा रहा है कि यहां विभिन्न बीमारियों के लिए मौजूद बड़ी तादाद में रूम और हॉल में से अधिकांश खाली ही हैं। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने यहां मरीजों की इंट्री पर पाबंदी लगा दी है। गैस पीड़ित संगठनों द्वारा डायरेक्टर प्रभा वैसीकर से लगातार मांग की जा रही है कि महामारी के दौर में कोविड के अलावा गैस पीड़ितों की अन्य समस्याओं के लिए अस्पताल की व्यवस्थाएं सुचारू की जाएं, लेकिन प्रबंधन इस बारे में कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
संयुक्त संघष मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष शम्सुल हसन ने स्वास्थ्य मंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप किया जाए, ताकि गैस का दर्द लेकर बैठे मरीजों को अब कोविड के जख्म मौत की आगोश में न ले सकें।
अव्यवस्थाएं देख स्टाफ भी ले रहा दूसरे अस्पतालों की शरण
शहर के बड़े अस्पतालों में शामिल बीएमएचआरसी में सुविधाओं और व्यवस्था का ये आलम है कि बीमार होने पर यहां के डॉक्टर और अन्य स्टाफ भी दूसरे अस्पतालों की शरण ले रहा है। मात्र दवाओं की उपलब्धता के बीच यहां न वेंटीलेटर मुहैया हो पा रहे हैं और न ही ऑक्सीजन के प्रबंध। पिछले दिनों यहां के एक डॉक्टर के पॉजिटिव होने पर उन्होंने दूसरे अस्पताल की राह ली तो उन्हें भर्ती होने के लिए उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की हाथ जुड़ाई तक करने के हालात बन गए।
दो पीआरओ, एक बीमार दूसरा व्यस्त
बीएमएचआरस में जन के संपर्क को जीवित रखने के लिए दो पीआरओ मौजूद हैं। इनमें से एक रितेश पुरोहित कॉल पिक करने और किसी तरह की जानकारी देने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। दूसरे जनसंपर्क अधिकारी मजहर उल्लाह खान फोन उठाते ही बहुत मुश्किल में होने की बात कह डालते हैं। उनकी पत्नी, भाई और बेटा पॉजिटिव बताया जा रहा है, जिसके चलते अस्पताल की गतिविधियों से वे पिछले 15 दिन से दूरी बनाए हुए हैं। वे भी अपने परिवार के लिए अन्य निजी अस्पतालों का सहारा ले रहे हैं।
इधर, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हमारे द्वारा बाकायदा मरीजों को भर्ती किया जाता है। सरकार के पोर्टल पर भी जानकारी अपडेट की जाती है। आरोप गलत है।
रिपोर्ट: खान आशु