नई दिल्ली: भारत में इस वक्त कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर के चलते कोहराम मचा हुआ है. कोरोना का असर आईपीएल के मौजूदा सीजन पर भी देखा जा रहा है. विदेशी खिलाड़ियों को अब इस बात का डर सता रहा है कि वो भारत से सुरक्षित अपने देश जा भी पाएंगे या नहीं.
हालांकि अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने मंगलवार को कहा है कि वह इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भाग ले रहे खिलाड़ियों की टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद बिना किसी रुकावट के स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करेगा.
कई विदेशी खिलाड़ियों ने छोड़ा आईपीएल
भारत में कोविड-19 के मामले बढ़ने के कारण तीन आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के स्वदेश लौट जाने के बाद बीसीसीआई ने यह बयान दिया है. दरअसल राजस्थान रॉयल्स के एंड्रयू टाई और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के केन रिचर्डसन और एडम जांपा ने आईपीएल से हटने का फैसला किया था.
बीसीसीआई ने दिया भरोसा
बीसीसीआई (BCCI) सीओओ हेमांग अमीन ने खिलाड़ियों को संबोधित पत्र में कहा, ‘हम जानते हैं कि आप में से कई इस बात को लेकर आशंकित हैं कि टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद स्वदेश कैसे लौटेंगे. हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘बीसीसीआई यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से सब कुछ करेगा कि आप अपने धर बिना किसी रुकावट के पहुंचे. बीसीसीआई स्थिति पर करीबी निगरानी रख रहा है और टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद आपको स्वदेश पहुंचाने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है. हम आपको आश्वस्त करते हैं कि बीसीसीआई के लिए तब तक टूर्नामेंट समाप्त नहीं होगा जब तक आप सकुशल अपने घर नहीं पहुंच जाते.’
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को है ज्यादा डर
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने कोविड-19 मामलों के बढ़ने के कारण मंगलवार को भारत से सभी सीधी उड़ानों को 15 मई तक तुरंत प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है. इस बीच कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के मेंटोर डेविड हस्सी ने भी स्वीकार किया कि आईपीएल से जुड़े आस्ट्रेलियाई यहां की स्थिति को देखकर स्वदेश वापसी को लेकर थोड़ा नर्वस हैं. आस्ट्रेलिया के 14 खिलाड़ी अभी लीग में हैं । उनके अलावा कोच रिकी पोंटिंग और साइमन कैटिच, कमेंटेटर मैथ्यू हेडन, ब्रेट ली, माइकल स्लेटर और लीजा सठालेकर भी यहां हैं
भारत में पिछले कुछ दिनों से तीन लाख से अधिक कोरोना मामले आ रहे हैं तथा आक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण दवाईयों की कमी के कारण स्वास्थ्य ढांचा चरमरा रहा है.