एक्सपर्ट्स की कमी: कोरोना कमांड कन्ट्रोल सेंटर के हाल: न वेण्टिलेटर का पता न बेड का, रिपोर्ट की तक जानकारी नहीं

एक्सपर्ट्स की कमी: कोरोना कमांड कन्ट्रोल सेंटर के हाल: न वेण्टिलेटर का पता न बेड का, रिपोर्ट की तक जानकारी नहीं


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जबलपुर3 घंटे पहले

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कोविड कमांड एंड कंट्राेल सेंटर में तैनात कर्मचारी।

  • खोलने के बाद भूल गए जिम्मेदार, फोन उठाते हैं पर कुछ बता नहीं पाते कर्मचारी
  • इनके भरोसे अस्पताल रवाना हुए तो रास्ते में निकल जाता है पीड़ित का दम

कोरोना का संक्रमण शहर में जैसे ही फैला तो इसके लिए कमांड कन्ट्रोल सेंटर बड़ी जोर-शोर से चालू किया गया। इस कमांड सेंटर के माध्यम से बेड स्टेटस, वेण्टिलेटर, रिपोर्ट की जानकारी और वैक्सीनेशन जैसी कई समस्याओं का समाधान करने का दावा किया गया। जनता से कम्युनिकेशन और अधिकारियों से को-ऑर्डिनेशन का स्लोगन दिया गया पर कुछ दिन में सब कुछ फेल साबित हुआ।

शुरुआत में लगा जैसे इनसे कुछ हद तक आदमी को मदद मिलेगी, लेकिन जैसे ही महामारी काल पीक पर आया तो इनने न केवल समाधान कम दिया, बल्कि समस्या ज्यादा पैदा कर दी। यह कन्ट्रोल सेंटर एक प्रकार से खुद वायरस का शिकार जैसा हो गया है। न इसको बेड का पता है न वेण्टिलेटर और न रिपोर्ट की जानकारी है। चंडाल भाटा दमोहनाका में संचालित यह सेंटर अफरा-तफरी भरे आलम में फिलहाल नागरिक को दी जाने वाली सुविधाओं के मामलों में कागजों में तो ठीक है, लेकिन हकीकत में जीरो साबित हो रहा है।

8 दिन बाद रिपोर्ट पाॅजिटिव होने का पता

परिवारजन जब इस कमांड सेंटर से पाॅजिटिव रिपोर्ट की जानकारी माँगते हैं तो कई दिनों में यही उत्तर मिलता है अभी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। जब जानकारी पता चलती है तब तक आदमी अनेक लोगों को यह संक्रमण बाँट चुका होता है। पाॅजिटिव और निगेटिव रिपोर्ट का यहाँ से पता कर पाना बेहद कठिन काम है।

सवाल पर मिलते हैं ऐसे उत्तर

किसी पीड़ित ने यदि फोन लगाया कि वेण्टिलेटर वाला बेड कहीं खाली है तो बतायें। इस प्रश्न का उत्तर मिलता है कि आप मेडिकल काॅलेज अस्पताल, विक्टोरिया का दूरभाष नंबर हम से लेकर खुद बात कर लें। इसी तरह किसी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड का स्टेटस माँगा जाए तो पता चलता है कि इनके रिकाॅर्ड में पलंग खाली है, वहाँ तक गंभीर मरीज परिजन के साथ घर से निकलकर गया तो पता चलता है कि बेड भरा है। इन हालातों में पीड़ित की जान साँसत में पड़ जाती है।

भोपाल तक पूरा अपडेट

भोपाल तक यह जानकारी है कि यहाँ से जो सेंटर रन कर रहा है वह जनता को बेहद संजीदगी के साथ जानकारी दे रहा है। इनकी इंफॉर्मेशन से जनता को राहत मिल रही है, लेकिन यह सब आँकड़ों में हो रहा है। यहाँ फाेन लगाने पर कभी किसी को मदद मिल जाए यह बहुत बड़ी बात है।

अब तो बैठने की भी जगह नहीं

तीन शिफ्ट में 150 के करीब कर्मचारी यहाँ पर तैनात किये गये हैं, लेकिन बैठने की क्षमता 50 लोगों के लिए ही बनाई गई है। साथ ही आधे से ज्यादा कर्मचारी कागजों में सेवा दे रहे हैं। किसी के रिश्तेदार पाॅजिटिव हैं तो किसी के परिवार वाले क्वारंटीन हैं। इस तरह कई तरह की समस्या के चलते अनेकों कर्मचारी गायब हैं। जो फँसे हैं वे ही लगातार सेवा दे रहे हैं।पी-4

यह सेंटर का काम

  • होम आइसोलेशन वालों को टेलीमेडिसिन ।
  • वैक्सीनेशन का पूरा विवरण केन्द्र सहित देना।
  • अस्पतालों में मौजूद बिस्तर संख्या का विवरण देना।
  • कितने बेड खाली हैं यह जरूरतमंद को बताना।
  • कहाँ पर वेण्टिलेटर मिल सकता है मदद करना।
  • कोरोना रिपोर्ट की वास्तविक जानकारी पीड़ित को देना।
  • पीड़ित जनता और अधिकारियों के बीच को-ऑर्डिनेशन।

जो सेंटर है वह पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहा है। हम हर दो घण्टे में अपडेट कर रहे हैं। जो जानकारी हमें मिलती है उसी के अनुसार हम सूचित करते हैं। कर्मचारी नहीं आ रहे हैं उनके परिवार में कोरोना है या अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हैं। जहाँ कमी है हम उसको तुरंत दूर करते हैं।
निधि सिंह राजपूत सीईओ स्मार्ट सिटी

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