सरकारी आंकड़े सही हैं या जलती चिताएं: शहर के दो श्मशान व तीन कब्रिस्तान में दो सप्ताह में 281 शव लाए गए

सरकारी आंकड़े सही हैं या जलती चिताएं: शहर के दो श्मशान व तीन कब्रिस्तान में दो सप्ताह में 281 शव लाए गए


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खंडवा5 घंटे पहले

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किशोर कुमार मुक्तिधाम पर जलती चिताएं, यहां भी जगह कम पड़ गई है।

  • सरकारी आंकड़ा : अप्रैल में कोरोना से 13 मौतें
  • प्रोटोकाॅल : 15 दिन में 141 का अंतिम संस्कार

अप्रैल के 28 दिनों में कोरोना से मरने वालों की संख्या 13 हो चुकी है। यह इस साल अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस तरह कोरोना से मरने वालों की संख्या सरकारी रिकार्ड में 80 हो चुकी है। सवाल यह है कि सरकारी आंकड़े सच मानें या श्मशान में जलती चिताएं। क्योंकि… शहर के दो श्मशान में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 14 से 28 अप्रैल की शाम 5 बजे तक 128 लोगों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया। जबकि तीन कब्रिस्तान में अप्रैल में 66 लोगों को दफनाया गया। जिनमें 13 लोगों को कोरोना प्रोटाेकॉल के तहत दफनाया।

अस्पताल से लेकर श्मशान और कब्रिस्तान तक भयावह स्थिति बनी हुई है। घाट पर शव जलाने की जगह नहीं बची। मृतकों की संख्या बढ़ती देख निगम ने अपने कर्मचारी तैनात किए, ताकि लोगों को परेशानी न हो। हमने श्मशान और कब्रिस्तान के रजिस्टर देखे तो ये चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। शहर के राजा हरीशचंद्र व किशोर कुमार मुक्तिधाम पर निगम के 16 कर्मचारी दो शिफ्ट में सुबह 8 से रात 8 बजे तक अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

भयावह आंकड़े- श्मशान और कब्रिस्तान के रजिस्टर में दर्ज आंकड़े भी कुछ कहते हैं

श्मशान व कब्रिस्तान की स्थिति

  • राजा हरीशचंद्र मुक्तिधाम

15 दिन में 88 शवों का अंतिम संस्कार

25 का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल से।

  • किशोर कुमार मुक्तिधाम

15 दिन में 127 शवों का अंतिम संस्कार

103 अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल से।

  • बड़ा कब्रिस्तान में

1 से 28 अप्रैल तक 60 शवों में से 7 को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत दफनाया।

  • बायपास स्थित कब्रिस्तान

1 व नागचून रोड स्थित कब्रिस्तान में 5 को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत दफनाया।

नोट- जानकारी रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों के अनुसार

जीवन में कभी नहीं देखा, घाट के बाहर जल रही चिताएं, दूसरे दिन ही दे रहे अस्थियां, क्योंकि जगह कम पड़ गई

20 साल से श्मशान की चौकीदारी कर रहा हूं। कभी नहीं घबराया, लेकिन अब लोगों को रोते-बिलखते देखता हूं तो मेरा भी मन उदास हो जाता है। पता नहीं ईश्वर कब तक ऐसे दिन दिखवाता रहेगा। अस्पताल से किशोर कुमार मुक्तिधाम पास होने के कारण कोरोना पॉजिटिव ज्यादातर शव इसी घाट पर लाए जा रहे हैं। घाट पर जगह नहीं होने से बाहर तक नदी की चट्‌टानों पर दाह संस्कार करना पड़ रहा है। इतने शव कभी नहीं देखे। लकड़ियाें के ढेर खत्म होते जा रहे हैं। अस्थियां तीसरे दिन देते थे। अब दूसरे ही दिन सुबह अस्थियां देनी पड़ रही हैं, क्योंकि श्मशान में जगह ही नहीं है।
(रमेश उर्फ किशोर बंगाली, चौकीदार किशोर कुमार मुक्तिधाम)

दो दिन से कम हुआ शवों का आना
चौकीदार रमेश उर्फ किशोर बंगाली ने बताया दो दिन से शवों का आना कम हुआ है। रोज 12-15 शव आ रहे हैं। प्लेटफार्म पर जगह नहीं होने से नदी की चट्‌टानों पर दाह संस्कार किया जा रहा है। बुधवार शाम तक यहां 6 शवों का अंतिम संस्कार किया। जिनमें एक सामान्य व पांच कोरोना पॉजिटिव थे। राजा हरीशचंद्र मुक्तिधाम पर तैनात सुपरवाइजर दीपक सारसर ने बताया मंगलवार को 3 शव पहुंचे। दो दिन से शवों की संख्या कम हुई है। इससे पहले प्रतिदिन 10-12 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था।

निगमकर्मी बोले- नौकरी नहीं, मानव सेवा कर रहे

श्मशान घाटों पर निगम के विजय चौहान, जितेंद्र अठवाल, अमित गोहर, दीपक सारसर, अवधेश गौसर, अशोक बलवा, रवि चौहान और उनके साथी सुबह 8 से रात 8 बजे तक दो शिफ्ट में पूरे समय काम कर रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव शव आते ही पीपीई किट पहनकर मृतक के परिजन की मौजूदगी में दाह संस्कार कर रहे हैं। निगम कर्मचारियों ने बताया कि यह ड्यूटी नहीं, बल्कि मानव सेवा है। निगम में कई कर्मचारी हैं, लेकिन मानव सेवा के लिए ईश्वर ने हमें ही चुना।

और इधर... कोरोना पॉजिटिव शव का अंतिम संस्कार करते निगमकर्मी।

और इधर… कोरोना पॉजिटिव शव का अंतिम संस्कार करते निगमकर्मी।

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