टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल इन दिनों कॉमेंट्री में व्यस्त है. कभी हिंदी तो कभी अंग्रेज़ी स्टूडियो का चक्कर काटते-काटते नहीं थकते हैं क्योंकि उनका मानना है कि आईपीएल में खेलने की बजाए ‘ज्ञान देने का काम’ काफी आसान है. पार्थिव ने 13 साल आईपीएल में खेलने के बाद 2020 में जैसे ही संन्यास का ऐलान किया तो पल भर बाद ही उन्हें एक फोन कॉल आया जिस पर उन्हें यकीन करना मुश्किल लगा. ये कॉल था आईपीएल की सबसे कामयाब टीम मुंबई इंडियंस से. पूछा गया कि क्या वो मुंबई टीम के साथ जुड़ना चाहते हैं? पटेल को एक पल नहीं लगा हां कहने में क्योंकि मुंबई के लिए Talent Scout के तौर पर जुड़ना उनके लिए गर्व की बात थी. ‘कौन मना करता है दुनिया की सबसे कामयाब फ्रैंचाइजी के साथ काम करने का,’ पटेल पलटकर हंसते हुए पूछते हैं. ‘मज़ेदार बात ये है कि अब आईपीएल को लेकर मेरा नज़रिया बिलकुल बदल गया है. मेरे पास अब जीतने का दबाव नहीं है. अब मैं सिर्फ कॉमेंटेटर की हैसियत से इस बार टूर्नामेंट को देख रहा हूं और ये शानदार अनुभव है,’ इस लेखक के साथ ख़ास बातचीत में पटेल ये बात कहते हैं.
Mumbai Indians ने जब 2015 और 2017 में खिताब जीता था, पटेल उसके अहम नायकों में से एक थे. उन्होंने इस टीम के साथ जितना अच्छा वक्त बिताया उसकी मिसाल उनके पास और नहीं है. ‘अगर आप मेरे करियर पर नज़र दौड़ाएंगे तो ये साफ है कि मैं कोई महान खिलाड़ी नहीं था. औसत खिलाड़ी ही था या फिर उससे थोड़ा बेहतर. लेकिन, क्रिकेट को लेकर मेरी सोच तगड़ी रही है. मुंबई ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुझे ये ज़िम्मेदारी दी जिसके चलते मैं बहुत खुश हूं.’ ये कहना है 36 साल के पार्थिव पटेल का जो अपने आखिरी सीज़न में विराट कोहली की कप्तानी में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेले थे.
आपने तो रोहित और विराट दोनों के साथ ख़ासा वक्त बिताया है तो आप ही बताएं कि क्या वजह है कि रोहित ने 5 बार आईपीएल ट्रॉफी जीत ली और विराट अभी तक खाता भी नहीं खोल पाए हैं? ‘देखिये, अगर आपको लगता है कि सिर्फ एक कप्तान के बूते आप आईपीएल ट्रॉफी जीत सकते है तो यह आपकी भूल है. इस शो में कई सारे किरदार होते हैं. मुंबई के साथ भी ऐसा ही होता है. विराट का भारत के कप्तान के तौर पर असाधारण रिकॉर्ड है. इसलिए आप नाकामी का पूरा ठीकरा उनपर नहीं फोड़ सकते हैं. विराट को दोषी करार देना सबसे आसान तरीका है. आप माइक हेसन (Director of cricket) या फिर साइमन कैटिच (Head coach) के बारे में RCB के मैनेजमेंट से सवाल क्यों नहीं करते हैं?,’ ऐसा तर्क है पटेल का.
पार्थिव पटेल को जब हमने ये याद दिलाने की कोशिश की कि ऐसा एक या दो नहीं बल्कि 9 साल से होता आ रहा है. मैदान पर या मैदान के बाहर कोहली के फैसलों पर काफी सवाल उठते आ रहे हैं. ख़ासकर, हालिया ऑक्शन में क्रिस मॉरिस को लेकर कितने असमंजस में दिखे थे कप्तान कोहली. ‘अच्छा तो ऑक्शन की ग़लतियों के लिए आप कोहली को ही पकड़ेंगे. अरे, वो तो ऑक्शन में बैठते भी नहीं है. कोई भी कप्तान नहीं बैठता है. एक-दो मौके पर गौतम गंभीर और दिनेश कार्तिक को ही आपने ऑक्शन टेबल पर देखा होगा वर्ना ये काम पूरी तरह से मैनेजमेंट का होता है. वो काफी अहम काम होता है और वहां पर आपके फैसलों से जीत की बुनियाद पड़ती है,’ पटेल कहते हैं.
पार्थिव ने 13 साल के आईपीएल में 6 अलग-अलग फ्रैंचाइजी के साथ क्रिकेट खेली. लेकिन, मुंबई ही उन्हें सबसे ख़ास टीम लगी. ‘ये जो हर समय जीतने की भूख और हमेशा नंबर.1 बने रहने की जो हसरत है, ना वही बात मुंबई को हर टीम से जुदा करती है. मैं जानता हूं कि आईपीएल में हर टीमें जीतना चाहती हैं लेकिन मुंबई को जीत की लत है और वो हराने से नफरत करते हैं और शायद यही वजह है कि वो किसी भी मैच के नतीजे या हार को हल्के में नहीं लेतें है.’ खुलासा करते हैं पार्थिव पटेल.
Mumbai Indians के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज़ ने साल 2015 में 339 रन 26 की औसत और 137 के स्ट्राइक रेट से बनाए थे. 2017 में भी पटेल के बल्ले से 395 रन निकले थे, 24 की औसत और 134 के स्ट्राइक रेट से.पटेल को Kochi Tuskers Kerala के लिए एक बार कप्तानी करने का मौका भी मिला था. एमएस धोनी की कामयाबी ने विकेटकीपर बल्लेबाज़ की भूमिका ही भारतीय क्रिकेट में अब बदल डाली है. पार्थिव ने इस बदलाव के दौर को बेहद करीब से देखा है और इसलिए वो ऋषभ पंत के डेल्ही कैपिटल्स का कप्तान बनाए जाने पर बेहद खुश हैं. ‘मुझे जो सबसे बड़ी बात पंत के खेल में नज़र आती है वो है अकेले दम पर टेस्ट मैचों का रुख़ बदलना. देखिये, टी20 और वनडे फॉर्मेट में अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है लेकिन टेस्ट क्रिकेट में ये मुमकिन नहीं है. लेकिन, पंत ने ऐसा ऑस्ट्रेलिया में कर दिखाया और पिछली सीरीज़ में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भी यही किया. उनकी शानदार बल्लेबाज़ी का आत्मविश्वास अब कीपिंग में भी देखने को मिल रहा है, जिसमें पहले से काफी ज़्यादा सुधार हुआ है.’ ऐसा मानना है पटेल का जिन्होंने 2002 में 17 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट खेलकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
पिछले 2 दशक में विकेटकीपर-बल्लेबाज़ के रोल में सबसे अहम चीज़ क्या बदली है? इसके जवाब में पटेल कहते हैं, ‘ज़्यादा कुछ तो नहीं बदला है. विकेटकीपर को हमेशा से ही ऑलराउंडर के तौर पर देखा गया है. हां, एक बात जो आईपीएल ने बदली है वो ये कि अब आपको विकेटकीपर बल्लेबाज़ के तौर पर किसी भी क्रम पर बल्लेबाज़ी के लिए तैयार रहना पड़ता है. ईशान किशन की तरह. ओपन करा लो, नंबर 3 पर खिला दो या फिर फिनिशर की भूमिका दे डालो. आज के दौर में विकेटकीपर बल्लेबाज़ को कहीं भी बल्लेबाज़ी करने के लिए तैयार रहना पड़ता है.’ सिर्फ किशन ही नहीं अगर आप जॉनी बेयरस्टो, रिद्धिमान साहा, दिनेश कार्तिक या फिर जोस बटलर और संजू सैमसन की भूमिका पर गौर फरमाएंगे तो आपको महसूस होगा कि इस तर्क में दम है.
चलते-चलते पटेल ये भी कहना नहीं भूलते हैं कि इस सीजन उनकी नज़रें सबसे ज़्यादा पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल के बल्ले पर टिकी हैं. ये दोनों खिलाड़ी भारत के लिए भविष्य के खिलाड़ी है और ये देखना दिलचस्प होगा कि इस सीज़न वो आईपीएल में कैसा खेल दिखाते हैं.
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.