कोरोना का कहर: बच्चों के लिए तलाक की जिद छोड़ी, कोरोना ने ली दोनों की जान; 4.5 साल से कोर्ट में चल रहा था मामला

कोरोना का कहर: बच्चों के लिए तलाक की जिद छोड़ी, कोरोना ने ली दोनों की जान; 4.5 साल से कोर्ट में चल रहा था मामला


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इंदौर10 मिनट पहलेलेखक: राहुल दुबे

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  • 17 साल के बेटे और 14 साल की बेटी के सिर से माता-पिता का साया उठ गया

छावनी स्थित श्रद्धानंद मार्ग पर रहने वाले दंपती मनीष और नेहा। 20 नवंबर 2003 को शादी हुई। एक बेटा और बेटी हैं। 13 साल साथ रहने के बाद पति ने 7 अक्टूबर 2016 को अलग होने के लिए परिवार न्यायालय में अर्जी दायर की। साढ़े चार साल से केस चल रहा था। पत्नी तलाक नहीं चाहती थी। लगातार काउंसलिंग के बाद गृहस्थी फिर पटरी पर लौटती दिख रही थी।

कोर्ट पूरी तरह खुलने के बाद अंतिम बहस होना थी। दंपती भी साथ जिंदगी बिताने को तैयार हो गए थे, लेकिन कोरोना ने दोनों को चपेट में ले लिया। पहले पति की मौत हुई। पति के जाने का सदमा ऐसा लगा कि पत्नी भी गुजर गई। 17 साल के बेटे और 14 साल की बेटी के सिर से माता-पिता का साया उठ गया।

परिवार की कीमत समझाने में सफल हो गए थे
राठौर के मुताबिक दंपती को समझा रहे थे कि इस कठिन समय में जब परिवार ही सबसे बड़ी पूंजी है। बच्चों को सुरक्षित रखना उनकी सबसे बड़ी चुनौती है। माता-पिता का साथ सबसे ज्यादा जरूरी है। देश-दुनिया के किस्से भी बताए। वे दोनों साथ रहने को राजी होने लगे थे, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।

पति के गुजरने के चौथे दिन वह भी विदा हो गई
​​​​​​​पत्नी नेहा ने अधिवक्ता अमरसिंह राठौर के जरिए तलाक से बचने अपना पक्ष रखा था। केस अंतिम पड़ाव पर आ रहा था कि अप्रैल की शुरुआत में मनीष को संक्रमण हो गया, जो फेफड़ों में काफी बढ़ गया था। नेहा अपनी चिंता किए बगैर पति के पास चली गई। मनीष की हिम्मत बंधाती रही। इस बीच वह भी संक्रमित हो गई। 16 अप्रैल को मनीष और 20 अप्रैल को नेहा की भी मृत्यु हो गई। फैमिली कोर्ट में तलाक की फाइल खुली ही रह गई।

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