BJP महिला मोर्चा की पूर्व मंत्री का गुस्सा फूटा: सोशल मीडिया पर राज्यपाल को लिखा- CM शिवराज को बर्खास्त कर किसी और को जिम्मेदारी सौपें; इनसे नहीं संभल रहा MP

BJP महिला मोर्चा की पूर्व मंत्री का गुस्सा फूटा: सोशल मीडिया पर राज्यपाल को लिखा- CM शिवराज को बर्खास्त कर किसी और को जिम्मेदारी सौपें; इनसे नहीं संभल रहा MP


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इंदौर21 मिनट पहले

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सोशल मीडिया पर जोशी का लिखे इस पोस्ट पर कई कमेंट्स आए हैं।

इंदौर में कोरोना के हालात को देख अब भाजपा नेता भी अपनों से दुखी नजर आने लगे हैं। भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश मंत्री श्रेष्ठा जोशी ने मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा- माननीय राज्यपाल जी, एमपी के सीएम को बर्खास्त कर नए सीएम की नियुक्त की जाए।

उनका कहना था, मेरी आंखों के सामने कार्यकर्ता मर रहे हैं। मैं उनकी मदद नहीं कर पा रही। मदद के लिए अस्पताल से लेकर हर स्तर पर कोशिश की, लेकिन न तो कई इंजेक्शन है और ना ही बेड की व्यवस्था। यह महामारी पिछले एक साल से है, लेकिन सीएम ने अपने स्तर पर क्या किया। मुझे तो उनकी मजबूरी कहीं नजर नहीं आती। उनकी मंशा ही सही नहीं है। उनसे नहीं संभल रहा, तो उन्हें आगे आकर किसी और को जिम्मेदारी दे देनी चाहिए।

जोशी महिला मोर्चा में प्रदेश मंत्री के साथ इंदौर उज्जैन संभाग की प्रभारी भी रही हैं।

जोशी महिला मोर्चा में प्रदेश मंत्री के साथ इंदौर उज्जैन संभाग की प्रभारी भी रही हैं।

जोशी ने बातचीत में बयां की पीड़ा…

जोशी ने कहा, मैं एक कार्यकर्ता हूं। मेरे साथ पार्टी में काम करने वाली कई जमीनी कार्यकर्ता कोरोना से हार गईं। राजनीति में महिलाओं के लिए काम करना कठिन होता है। इसके बाद भी हम रात-दिन संगठन के लिए काम करते रहे। कार्यकर्ताओं को उम्मीद रहती है कि दीदी प्रदेश में रही हैं, तो संकट की इस घड़ी में वे हमारी मदद करेंगी। प्रतिदिन 15 से 20 फोन मेरे पास आते हैं। इनमें से मैं 2 लोगों की भी मदद नहीं कर पाती हूं।

पिछले एक साल से कोरोना हमारे बीच है। अब मेरी आत्मा कचोटने लगी है। गलत बात की, कब तक वकालत करूं। नहीं हो रहा है, तो माफी मांगिए। आगे बढ़कर किसी और को व्यवस्था सौंप दीजिए। आपको बने भी रहना है। व्यवस्था भी नहीं करनी है, तो आपको हमने जिताया, इतनी मेहनत की। हमने अपना पैसा लगाया, समय दिया। जब तक जनता का मसला था, तो उतना हमें भी समझ नहीं आ रहा था, लेकिन अब जब मेरी आंखों के सामने अपनों को मरते हुए देखा, तो दिमाग हिल गया। मेरे कार्यकर्ता मर रहे हैं, मैं मदद नहीं कर पा रही हूं। प्रतिदिन की बात है, किसी को ऑक्सीजन, चाहिए तो किसी को बेड नहीं मिल रहा। कोई रेमडेसिविर के लिए भटक रहा है।

पहले कह रहे थे कि 1 मई से वैक्सीन लगनी है, अब आप कह रहे हैं कि हमारे पास तो वैक्सीन ही नहीं है। पिछले एक साल से ऐसी परिस्थिति है। सांवेर चुनाव में हम भी गए। जैसे-जैसे कोराेना को समझने लगे, हम भी पीछे हटने लगे। हमने अपनी गलती सुधारी। आप न तो कोई व्यवस्था कर पा रहे हैं और न ही कोई जिम्मेदारी वाला जवाब दे रहे हैं। मैंने कई अस्पतालों में बात की। किसी अस्पताल में रेमडेसिविर नहीं है। यहां के नेता तो अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन आप तो प्रदेश के हैं ना। दमोह चुनाव में जा रहे हैं।

जोशी ने कहा कि उनकी कोई विचार धारा नहीं बदली है और ना ही किसी और संगठन से निष्ठा बनी है। मैंने जो महसूस किया। अपनी बात स्पष्ट रूप से रखी है। मैं गलत को सही नहीं कह सकती। हमारे नेता, हमारी सरकार, प्रशासन हमारा… फिर भी हम कालाबाजारी नहीं रोक पा रहे हैं। यह सब रोकने की हमारी मंशा नहीं है। मुझे कहीं से कहीं तक उनकी मजबूरी नहीं दिख रही। उनकी मंशा ही नहीं है। कम से कम आने कार्यकर्ताओं से संवाद कर उन्हें हकीकत तो बताएं। आप संवाद तो कर नहीं रहे हैं और चाहते हैं कि हम आपकी वकालत करें। मेरे सामने लोग मर रहे हैं, कैसे मैं करूं।

जोशी ने एक कार्यकर्ता के बारे में बताया कि दोनों भाईयों ने बचपन से संगठन का काम किया। एक बार्डर पर लड़ने चला गया। दूसरा गंभीर माता-पिता को संभाल रहा था। उनके पिता शांत हो गए, जबकि भाई और मां की हालत गंभीर है। बाॅर्डर से उसका भाई आकर सेवा कर रहा है। उनके लिए मैंने कई कॉल किए, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। सुबह 9 बजे से रात 12 बजे तक मदद के लिए कॉल ही लगाती रहती हूं। मेरी निष्ठा संगठन के प्रति है, व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं। मुझे तो लगा मैंने कर दिया। कोरोना कोई अचानक नहीं आया है कि हम स्थिति नहीं संभाल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जनता को इतनी पाबंदी में रख रहे हैं तो हमें भी रहना चाहिए। अनुशासन सबके लिए अलग-अलग नहीं होता, उसकी परिभाषा एक ही होती है। नियम सबके लिए एक होना चाहिए।

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