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- High Court Said Corona Sample Taken 4 Times A Day, Right To Health Is Included In The Right To Live Life
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जबलपुर2 घंटे पहले
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मप्र हाईकोर्ट
मप्र हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी को लेकर कहा है कि जीवन जीने का अधिकार राइट टू हेल्थ में शामिल है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कोरोना टेस्ट की आरटीपीसीआर रिपोर्ट 36 घंटे में नहीं मिल पा रही है।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिवीजन बैंच ने अपने 22 पृष्ठीय आदेश में कहा है कि दिन में दो बार की जगह चार बार कोरोना सैम्पल लिए जाएँ, ताकि 36 घंटे में कोरोना की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आ सके। आरटीपीसीआर टेस्ट बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को तकनीकी स्टाफ भी बढ़ाने और कोरोना टेस्ट की अधिकृत लैबों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है।
रेमडेसिविर के आयात की अनुमति पर विचार हो| डिवीजन बैंच ने कहा है कि 19 अप्रैल को निर्देश दिए गए थे कि गंभीर मरीजों को एक घंटे में रेमडेसिविर उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए केन्द्र सरकार राज्यों को रेमडेसिविर और अन्य जीवनरक्षक दवाओं को आयात करने या स्वयं खरीदी करने की अनुमति देने पर विचार करे, ताकि रेमडेसिविर और अन्य जीवनरक्षक दवाओं की कमी को दूर किया जा सके।
विशेष अभियान चलाकर बायो मेडिकल वेस्ट का हो डिस्पोजल | कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आवेदन दायर कर कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर में कोरोना मरीजों व डॉक्टर्स के पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स को खुले मैदान में फेंका जा रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को विशेष अभियान चलाकर कोरोना मरीजों के इलाज से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट काे हटाने का निर्देश दिया है।
ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन काॅरिडोर बनाया जाए| डिवीजन बैंच ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाए। इसके पूर्व केन्द्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल जेके जैन ने आश्वासन दिया कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी राज्य में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं रोका जाएगा।
इस संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को निर्देश जारी किए जाएँगे। हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने आवेदन दायर कर बताया कि बोकारो से ऑक्सीजन लेकर सागर आ रहे टैंकर को झांसी में रोक लिया गया था।
शासकीय योजनाओं के मरीजों को भर्ती करने से मना नहीं कर सकते अस्पताल | हाईकोर्ट ने कहा कि निजी अस्पतालों द्वारा आयुष्मान, दीनदयाल, बीपीएल और सीजीएचएस योजना के अंतर्गत मरीजों को भर्ती करने से इनकार किया जा रहा है। मरीजों को भर्ती करने से इनकार करने वाले अस्पतालों पर राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई की जाए।