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भोपाल19 मिनट पहले
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रमजान में बच्चों दवारा भी की जा रही इबादत।
तीन अशरों (भागों) में बंटे रमजान माह के दो हिस्से पूरे होकर सोमवार से तीसरा भाग शुरू हो जाएगा। इस आखिरी अशरे में रमजान की ताक (विशेष इबादत वाली) रातें होगी। इन रातों को शब ए कद्र कहा जाता है और इनकी इबादत को इस्लाम के मुताबिक खास मान्यता बताई गई है। रमजान के आखिरी अशरे की कुछ रातों में से किसी एक में शब ए कद्र होने की बात कही गई है। इस माह की 21, 23, 25, 27 या 29 में से किसी एक रात में से इस खास रात के होने की उम्मीद जताई जाती है। इस रात की इबादत को खास मुकाम दिए जाने और इसकी निश्चित तारीख तय न होने के कारण मुस्लिम धर्मावलंबी इन सभी 5 पांच रातों में जागकर इबादत करते हैं।
इसलिए है खास
जिस इस्लामी किताब कुरान के दिशा निर्देश के मुताबिक मुस्लिम समुदाय अपने क्रियाकलाप करता है, उस किताब के इसी रात में मुकम्मल (पूर्ण) होकर आसमान से उतारे जाने की मान्यता है। इसके चलते इस रात में कुरान का पाठ करने और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी, जीवन में मिले वरदानों का शुक्र अदा करने और बेहतर कल की दुआएं करने का रिवाज है।
होते हैं बड़े जलसे, लेकिन अब सब घरों में होगा
शब ए बरात की रात कुरआन के बड़े जलसे, बयान और तकरीर, कब्रिस्तान और दरगाहों की जियारत (दर्शन) के रिवाज है। लेकिन लॉकडाउन के हालात के चलते पिछले साल भी लोगों को घरों में इबादत करना पड़ी थी। इस बार के हालात भी इसी तरह के बने हुए हैं।
एकांतवास भी होगा शुरू
अपनी बस्ती, शहर, सूबे से लेकर शहर की भलाई, खुशहाली और सुरक्षा के लिए रमजान की 21वीं रात से मस्जिद में एकांतवास (अहतेकाफ) करने का रिवाज है। 21वीं रात से शुरू होने वाला अहतेकाफ़ ईद का चांद दिखाई देने पर पूरा होता है। इस दौरान एकांतवास में बैठने वाला व्यक्ति रोजा, नमाज, कुरआन की तिलावत और सबके लिए खास दुआएं करता है।
ईद होगी सादगी से
रमजान माह के आखिरी दौर में पहुंच जाने के बावजूद लोगों में ईद की तैयारी को लेकर कोई उत्साह नहीं है। लॉकडाउन के कारण बंद पड़े बाजारों की वजह से लोगों की तैयारी तो रुकी ही है। साथ ही महामारी के कारण लोगों के मन में छाई उदासी ने त्यौहार के लिए अरुचि बना दी है। सामाजिक संस्था से जुड़े सारिम खान, फरहान और उनके साथियों ने इस साल सादगी से ईद मनाने की अपील मुहिम शुरू की है। इस दौरान लोगों से सोशल मीडिया के जरिए अपील की जा रही है कि ईद पर किए जाने वाले खर्च की बचत कर जरूरतमंद लोगों की मदद की जाए। ताकि इस पैसे से वह अपने और परिवार के लिए खाने या दवाओं का इंतजाम कर सकें।
रिपोर्ट: खान आशु