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- The CMHO Office Is Standing In Junk Outside The Premises, The Administration Is Not Taking Care Of The Ambulance
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छिंदवाड़ा3 मिनट पहले
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सीएमएचओ कार्यालय परिसर में कबाड़ में खराब हालत में पड़ी एंबुलेंस
- कोविड संक्रमण से पीडि़त मरीजों को लाने ले जाने में लेना पड़ रहा निजी वाहनों का सहारा
छिंदवाड़ा। कोरोना संक्रमित मरीजों को कोविड केयर सेंटर तक लाने ले जाने में कोई परेशानी न हो और उन्हे त्वरित उपचार मिल सके इसको लेकर जहां जिले के सभी विधायक अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में एबुंलेंस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 19 लाख रूपए अपनी विधायक निधि से प्रशासन को प्रदाय कर रहे है, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण जिले के सीएमएचओ कार्यालय परिसर में 10 से ज्यादा एबुंलेंस मेंटनेंस के अभाव में दम तोड़ रही है, कबाड़ में तब्दील हो रही इन एबुंलेंस में मामूली खराबी के बाद इन्हे ठीक कराने के लिए मेंटनेंस राशि का उपयोग नहीं किया गया जिसके कारण यह कबाड़ बनकर स्वास्थ्य सुविधाओं को चिढ़ा रही है, गौर करने वाली बात यह है कि वर्तमान में कोरोना से पूरे जिले में हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे में लोगों को जिला चिकित्सालय तक कोविड संक्रमित मरीजों को लाने के लिए निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इस दौरान एबुंलेंस की कमी के कारण निजी एबुंलेंस चालक भी आपदा में अवसर तलाशते हुए लोगों से मनमाने रूपए ऐंठ रहे है जिस पर प्रशासन का कोई अंकुश तक नहीं है।
ऐसे में कैसे कहे कि बेहतर है हमारे जिले की स्वास्थ्य सुविधा
मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी जीसी चौरसिया की माने तो जिले में वर्तमान कोविड मरीजों को लाने ले जाने के लिए वर्तमान में 108 संजीवनी वाहन की सेवाएं ली जा रही है जिसमें से 4 एबुलेंस को कोविड मरीजों के लिए अधिग्रहित कर लिया गया है जबकि 12 एबुंलेंस ब्लाक स्तर पर उपलब्ध कराई जा रही है ऐसे में 108 पर डायल कर इनकी सेवाएं ली जा सकती है ऐसा दावा किया जा रहा है, लेकिन यथार्थ में यह देखने को मिल रहा है कि 108 में काल करने के बाद भी सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती है।
पूर्व विधायक को निजी एबुंलेंस में लाना पड़ा था जिला चिकित्सालय
सीएमएचओ के दावे में कितना दम है इसका उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिल चुका है जब पांढुर्णा के पूर्व विधायक रामराव कवडेती को किडनी संक्रमित होने के बाद पांढुर्णा से छिंदवाड़ा रिफर किया गया था जहां उन्हे एबुंलेंस नहीं मिली थी तो उन्हे २५ हजार खर्च कर निजी एबुंलेंस का सहारा लेना पड़ा था, हालांकि बाद में उनका निधन हो गया।
इन एबुंलेंस को चाहिए प्राण वायु
कोरोना काल में कबाड़ में तब्दील हो रही एबुंलेंस को प्राणवायु की जरूरत है क्योंकि यदि इनको समय पर ठीक करा दिया गया तो ये लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में कारगर होगी, यहां तक कि लोगों को अपने जेब के पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे।