हमने 100 साल पुराने पीपल, नीम और बरगद के पेड़ काट दिए, इनके आगे ज्यादा नहीं टिकता कोरोना

हमने 100 साल पुराने पीपल, नीम और बरगद के पेड़ काट दिए, इनके आगे ज्यादा नहीं टिकता कोरोना


डॉक्टर हर्षल डफार का मानना है कि हमें पेड़ किसी कीमत पर नहीं काटने चाहिए थे. (File)

शहर के जाने-माने रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. हर्षल डफार कम्युनिटी मेडिसिन पढ़ाते हैं. इनका कहना है कि कोरोना को हमने खुद निमंत्रण दिया. हमने 100 साल पुराने पीपल, नीम और बरगद के पेड़ काट दिए. कोरोना इनके आगे ज्यादा नहीं टिकता.


  • Last Updated:
    May 2, 2021, 2:52 PM IST

भोपाल. विकास के नाम पर अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण को नुकसान तो है ही, लेकिन कुछ पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन की भूमिका कोरोना के इस जानलेवा काल में संजीवनी का काम करती. अगर हम 100 साल पुराने पीपल, बरगद और नीम के पेड़ नहीं काटते तो ऑक्सीजन की किल्लत नहीं होती. और तो और वायरस को मारने में भी इन पेड़ों से मदद मिलती. इस तरह के तमाम बड़े दावे जाने-माने सीनियर डॉक्टर ने किए हैं. डॉक्टर हर्षल डफार पिछले 40 सालों से MBBS स्टूडेंट्स को कम्युनिटी मेडिसिन पढ़ा रहे हैं. भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में लंबे समय तक सेवाएं देने के बाद रिटायर्ड डॉ. हर्षल डफार अब प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में भी स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे हैं. News 18 से बातचीत में उन्होंने कहा कि कम्युनिटी मेडिसिन में फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम के बारे में पढ़ाया जाता है. बीमारी जब फैलती तब तीन फैक्टर एक साथ काम करते हैं. टीके से ही वायरस को रोका जा सकता है डॉक्टर हर्षल डफार ने कहा- बीमारी करने वाले एजेंट बैक्टीरिया भी हो सकता है, वायरस भी हो सकता है और कीड़े-मकोड़े भी हो सकते हैं. उसके बाद का महत्वपूर्ण फैक्टर है मरीज. ऐसे में अगर एजेंट और वातावरण के बीच की कड़ी को तोड़ दे दो, तो उसे ब्रेक द चैन कहा जाता है. आज कोरोना वायरस वातावरण में फैला है. वायरस की कोई भी दवा इजात नहीं हुई है. फिलहाल इसकी रोकथाम टीके से ही की जा सकती है. डॉ. डफार के मुताबिक, टीका लगने के बाद उसे वातावरण में फैलने से रोक सकते हैं. इसके अलावा जिस व्यक्ति में वायरस है उससे दूरी बनाकर, मास्क लगाकर बचा जा सकता है. 6 फीट की दूरी जरूर होती है, क्योंकि कोई व्यक्ति अपनी सांस से 3 फीट तक वायरस को फैला सकता है.पेड़ों की कटाई ने पैदा कर दी दिक्कत डॉक्टर हर्षल डफार ने कहा कि आज हम किसी भी शहर और गांव में देख लें. सभी जगह जंगल साफ कर दिए गए. उन्होंने दावा किया कि भोपाल में पिछले 3 साल में 45 लाख से ज्यादा पेड़ काट दिए गए. इसमें ज्यादातर 40 से लेकर 100 साल तक पुराने पेड़ थे. यह सब पेड़ बरगद, पीपल  और नीम के थे. यह तीनों पेड़ वातावरण में ऑक्सीजन पैदा करते हैं. 24 घण्टे पीपल का पेड़ ऑक्सीजन देता है. बरगद और नीम  दिन में ऑक्सीजन और रात में  कार्बन डाई ऑक्साइड देते हैं.







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