West Bengal Elections: मनोज तिवारी ने जीत के बाद क्यों कहा- फैसला जोखिम भरा था? जानिए

West Bengal Elections: मनोज तिवारी ने जीत के बाद क्यों कहा- फैसला जोखिम भरा था? जानिए


West Bengal Elections: मनोज तिवारी ने 15 इंटरनेशनल मुकाबले खेले हैं. (Manoj Tiwari Instagram)

क्रिकेटर मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) अब विधायक बन गए हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि राजनीति में आने का फैसला आसान नहीं था. लेकिन वे दीदी काे ना नहीं कर सके.

नई दिल्ली. मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) शुरू से राजनीति में जाने के बारे में सोचते थे, लेकिन पिछले साल कोविड-19  (Covid-19) के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दशा देखकर उन्होंने आखिर में क्रिकेट के बजाय राजनीति का दामन थाम लिया. तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज तिवारी ने बंगाल विधानसभा चुनावों में शिबपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के रतिन चक्रवर्ती को 6000 से अधिक मतों से हराया. बंगाल के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक मनोज तिवारी ने कहा, ‘मेरे क्षेत्र में प्रभावी कोविड-19 प्रबंधन, जागरूकता बढ़ाना तथा और अपने क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित रखना. यह मेरा पहला काम होगा और यह चुनौती है.’ तिवारी को विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी जीत का पूरा भरोसा था. उन्होंने कहा, ‘मैं इन चुनावों के लिए अच्छी तरह से तैयार था और मैंने जीत के लिए कड़ी मेहनत की थी. मैं जानता हूं कि राजनीति आसान काम नहीं है और एक अलग क्षेत्र से जुड़े रहे नए व्यक्ति के लिये यह अधिक मुश्किल हो जाती है. मैंने शिबपुर में घर घर जाकर प्रचार किया. वे मेरे इरादों से वाकिफ थे.’ यह भी पढ़ें: IPL 2021: जोस बटलर के शतक से राजस्थान रॉयल्स की तीसरी जीत, सनराइजर्स हैदराबाद की छठी हार घुटने की चोट के कारण क्रिकेट से हटकर सोच सकाहालांकि मनोज तिवारी ने स्वीकार किया कि घरेलू क्रिकेट में अच्छा करियर होने के बावजूद राजनीति को चुनना जोखिम भरा था. उन्होंने कहा, ‘हां यह जोखिम भरा था लेकिन आप दीदी को ना नहीं कह सकते थे. दीदी मेरी प्रेरणास्रोत रही हैं. जब दीदी ने बात की तो मैं घुटने की चोट के कारण विजय हजारे ट्राफी में नहीं खेल रहा था. मैंने तब सोचा कि चोट गंभीर भी हो सकती है और मुझे क्रिकेट से इतर सोचना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने भी मुझसे संपर्क किया था, लेकिन जब मैंने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा देखी तो फिर मुझे लगा कि उनसे जुड़ना मेरे आदर्शों और विश्वास के अनुरूप नहीं होगा. मैंने जो देखा उससे मैं आहत था. मैंने भाजपा को जवाब नहीं दिया. उन्होंने अपने वादों को पूरा नहीं किया और यह कोविड प्रबंधन अन्य उदाहरण था.’







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