Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
जबलपुर6 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
अंतिम संस्कार के बाद खारी संग्रहण के लिए भी मृतकों के परिजनों को समय दे दिया जाता है।
- आम दिनों की तुलना में ग्वारीघाट पर अंतिम संस्कारों का लोड बढ़ा
कोरोना महामारी के कारण आम लोगों का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। अस्पतालों में आईसीयू, ऑक्सीजन, इंजेक्शन की जद्दोजहद किसी से नहीं छिपी है। कोरोना महामारी के कारण दूसरी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। लेकिन अब यदि दुनिया से िवदा हो गए तो अंतिम संस्कार में भी लंबी कतार का सामान करना पड़ रहा है।
कोरोना किस स्तर पर कहर बरपा रहा है इसकी बानगी देखिए शहर के सबसे प्रमुख मुक्तिधाम ग्वारीघाट में फ्यूनरल के लिए प्रबंधन की जरूरत पड़ रही है। जो शव आ रहे हैं, वो कोरोना से ग्रसित होने के बाद मौत का िशकार भले ही न हुए हों, लेकिन औसत रूप में जितने अंतिम संस्कार यहाँ होते थे, अब उससे कहीं ज्यादा हो रहे हैं। इन हालातों में शवों को पंचतत्वों में विलीन करने के लिए परिजनों को अलग-अलग समय दिया जा रहा है, और नंबरों के हिसाब से फ्यूनरल किया जा रहा है।
ऐसे चल रहा मैनेजमेंट
अपने रिश्तदारों का अंतिम संस्कार ग्वारीघाट मुक्तिधाम में करने के लिए लोगों को पहले से सूचना देनी होती है। जिसके बाद परिजनों को दाह संस्कार की जगह का नंबर अलॉट कर दिया जाता है। इसके लिए बाकायदा लकड़ियाँ पहुँचाने वाले मृतक के नाम की पर्ची लकड़ी के साथ निर्धारित स्थान पर रख देते हैं, और अंतिम संस्कार कराने वाली टीम के सदस्य आगे का काम करते हैं।
कोरोना प्रोटोकॉल के तहत परिजनों से निर्धारित समय के अंदर क्रियाकर्म करने के लिए कहा जाता है। इतना ही नहीं