मौत के बाद अपने ही भूल गए: कोरोना में अपनों ने अंतिम संस्कार करना तो दूर अस्थियां लेने भी नहीं आए, रखी हैं 100 से ज्यादा लावारिस अस्थियां, नाम-पता तक गलत लिखाया

मौत के बाद अपने ही भूल गए: कोरोना में अपनों ने अंतिम संस्कार करना तो दूर अस्थियां लेने भी नहीं आए, रखी हैं 100 से ज्यादा लावारिस अस्थियां, नाम-पता तक गलत लिखाया


  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Gwalior
  • In Corona, People Turned Their Faces So That Even The Burning Of Dead Bodies Did Not Come To Take Away The Bones, More Than 100 Unclaimed Bones Have Been Kept In Muktidham.

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

ग्वालियर5 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

ग्वालियर के लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में पेड़ पर बंधे अस्थि कलश।

कोरोना को ऐसे ही आपदा या महामारी नहीं कहा जा रहा है। कोरोना के चलते लोगों ने अपनों को पराया कर दिया है। एक सैकड़ा से अधिक मामले ऐसे हैं, जिनमें कोविड से मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार करना तो दूर परिजन अपनो की अस्थियां तक लेने नहीं आए हैं। इतना ही नहीं, अस्पताल में भर्ती करते समय जो नाम-पता लिखवाया था, वह भी फर्जी निकले।

लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में एक साल में एक सैकड़ा से अधिक अस्थियां स्टोर में जमा हो गई हैं। इन अस्थियों को अब अपनों का इंतजार है, जो आकर इन्हें मुक्ति दिलाए, पर ऐसा हो नहीं रहा है। अब नगर निगम इस मामले में पहल करने जा रहा है। आने वाले गंगा दशहरा को इन अस्थियों को विधि विधान से गंगा में विसर्जन करने की योजना है।

एक साल में 100 से ज्यादा लावारिस जले
अभी कोविड संक्रमित बॉडी का अंतिम संस्कार का जिम्मा नगर निगम के पास है। निगम की ओर से यह जिम्मेदारी उपायुक्त नगर निगम अतिबल सिंह यादव संभाल रहे हैं। उनकी मानें, तो बीते एक साल में 100 से ज्यादा लावारिस कोविड संक्रमित बॉडी का अंतिम संस्कार यहां हुआ है, जिनकी अस्थियां तक उठाने परिजन नहीं आए हैं। इसे कोविड के कारण अपनों से मुंह मोड़ना कहें या दहशत, लेकिन यह 100 लोग अभी तक अपनी मुक्ति के लिए भटक रहे हैं।

लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में जगह नहीं होने पर जमीन पर जलती चिताएं।

लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में जगह नहीं होने पर जमीन पर जलती चिताएं।

फर्जी नाम पते पर भर्ती करा गए परिजन
पिछले कुछ समय में ऐसा हुआ है कि कोविड आने के बाद रिश्तेदार ऐसे बुजुर्ग महिला या पुरुष को अस्पताल में भर्ती तो करा जाते हैं, लेकिन उनकी खैर खबर नहीं लेते। भर्ती कराते समय रिश्तेदारों के नाम व पते जो दर्ज कराए गए थे वह भी फर्जी थे, क्योंकि कभी इन नंबर पर या पते पर संपर्क भी किया गया तो वहां इस नाम का कोई था ही नहीं।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है- जब तक अस्थि विसर्जन नहीं, मुक्ति नहीं

इस मुद्दे जब पंडित रामानंद शास्त्री से बात की गई तो उनका कहना है कि हिंदू धर्म में सिर्फ अंतिम संस्कार करना ही सब कुछ नहीं होता। अस्थियों को गंगा में पूरे विधि विधान के साथ विसर्जन करने के बाद ही मरने वाले को मुक्ति मिलती है। ऐसे में यह 100 लोगों की आत्मा की शांति के लिए इनकी अस्थियों को विसर्जित करना बहुत जरूरी हो जाता है।

नगर निगम दिलाएगी 100 आत्माओं को मुक्ति

नगर निगम उपायुक्त डॉ. अतिबल सिंह ने बताया है कि एक साल में लगभग 100 से अधिक अस्थियां लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में एकत्रित हो गई हैं। इनको कोई लेने तक नहीं आया है। अब हम जून तक लोगों का इंतजार करेंगे। इसके बाद निगम आयुक्त के आदेश पर इन सभी अस्थियों को गंगा दशहरा के दिन गंगा में विसर्जित किया जाएगा।

खबरें और भी हैं…



Source link