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- Allegations Of Relatives Of Corona affected Teacher: IC Bed Not Found In Private Hospital Even After Giving One Lakh 10 Thousand, Condition Deteriorated Then Referred To Another Place, Could Not Save Life
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4 मिनट पहले
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चंदनगांव रोड स्थित सोनारे क्लीनिक, जिसके प्रबंधन पर लगा है लापरवाही का आरोप
- मृतक शिक्षक की चचेरी बहन ने वीडियो जारी कर सोनारे क्लीनिक प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप
छिंदवाड़ा। सरकार ने भले ही कोरोना काल में निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के बेहतर उपचार के लिए एडवाईजरी जारी कर दी है लेकिन बावजूद इसके अस्पतालों पर सरकार के निर्देशों का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है,जिसको लेकर आए दिन कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे है लेकिन सबंधित अस्पताल पर कोई कार्रवाई तक नहीं हो रही है, ताजा मामला छिंदवाड़ा नगर में संचालित सोनारे नर्सिंग होम मेें सामने आया है, दरअसल यहां दो दिन पहले एक कोरोना संक्रमित शिक्षक को उपचार के लिए भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई, शिक्षक की मौत के बाद उसकी चचेरी बहन ने अस्पताल प्रबंधन जो आरोप लगाए है, वह जिला प्रशासन की आंखे खोलने के लिए काफी है। दरअसल जिले के परासिया तहसील के उमरेठ स्कूल में मोहल्ला क्लास लगाने के दौरान शिक्षक सर्वेश बाथारे संक्रमित हो गए थे जिन्हे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था लेकिन यहां आईसीयू बेड ना मिलने के कारण, शिक्षक बाथारे को चंदनगांव रोड स्थित सोनारे नर्सिंग होम में एडमिट कराया गया था। शिक्षक की बहन सोनल मालवीय की माने तो सोनोरे क्लीनिक में भर्ती कराने के दौरान प्रबंधन ने उन्हे आईसीयू वार्ड में एडमिट किए जाने के एवज में 1 लाख 20 हजार रूपए बात कही थी जिसके बाद जैसे तैसे परिजनों ने 50 हजार रूपए अस्पताल में जमा कर दिए थे, लेकिन दूसरे दिन जब वे अस्पताल पहुंचे तो सर्वेश आईसीयु की जगह उन्हे केज्युलटी वार्ड में एडमिट मिला, बाद में जब उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात की तो अस्पताल के कर्मचारियों बाकि पैसे देने की बात कही, जैसे तैसे उन्होंने 60 हजार रूपए भी जमा कर दिए थे, लेकिन सर्वेश को बेहतर इलाज नहीं मिल पाया। बाद में उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जहां बिगडने के कारण उसकी मौत हो गई।
सोनारे क्लीनिक में होता उपचार बच जाती जान
मृतक शिक्षक की बहन सोनल मालवीय ने जो वीडियों जारी किए है उसमें यह आरोप लगाया है कि सोनारे क्लीनिक में 1 लाख 10 हजार रूपए देने के बाद भी सोनारे अस्पताल में उनके भाई को आईसीयु वार्ड में भर्ती नहीं किया गया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई थी, सोनल की माने तो जब वे तीसरे दिन क्लीनिक में गए हुए थे तो उन्हे सर्वेश फर्श पर अचेत अवस्था में मिला था, वहीं उसके आधे बदन पर कपड़े भी नहीं थे, जब उन्होंने इसका विरोध किया तो अस्पताल के कर्मचारी जबरन सर्वेश को अन्य अस्पताल के लिए रिफर कर दिया, जहां दूसरे अस्पताल में उसकी मौत हो गई। फिलहाल मृतकों के परिजनों ने अस्पताल पर पैसे लेने के बाद भी आईसीयु वार्ड न देने का आरोप लगाया है, मामले में कितनी सच्चाई है यह कहा नहीं जा सकता है लेकिन इतना तो जाहिर है कि निजी अस्पतालों में लंबा चौड़ा बिल जिन सुविधाओं के नाम पर काटा जा रहा है वे मरीज को नसीब नहीं हो पा रही है।
परिजनों के विरोध के बाद अस्पताल को लौटाने पड़े 72 हजार
गौरतलब हो कि शिक्षक की मौत के बाद उनके परिजन अस्पताल के द्वारा दिए गए बिल की राशि की जानकारी लेेने लगे तो अस्पताल प्रबंधक बैक फुट पर आ गया और विवाद बढ़ता देख 72 हजार रूपए वापस कर दिए, अब इस दावे में कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है, लेकिन कहा जा सकता है कि अस्पताल प्रबंधन ने राशि लौटाकर यह स्वीकार किया है कि उससे गलती हुई है।
अस्पताल प्रबंधन से नहीं हो सका संपर्क
इस सबंध में हमने सोनारे अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने फोन तक रिसीव नहीं किया..