भास्कर एक्सक्लूसिव: मध्यप्रदेश में जहां सबसे पहले लॉकडाउन, वहां अब कंट्रोल में आ गया कोरोना, छिंदवाड़ा में रिकवरी रेट 92%

भास्कर एक्सक्लूसिव: मध्यप्रदेश में जहां सबसे पहले लॉकडाउन, वहां अब कंट्रोल में आ गया कोरोना, छिंदवाड़ा में रिकवरी रेट 92%


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छिंदवाड़ा/ सचिन पांडे13 मिनट पहले

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कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन।

महाराष्ट्र में केस बढ़ने पर प्रदेश में सबसे पहले लॉकडाउन छिंदवाड़ा के सौंसर कस्बे में लगा। प्रदेश के 52 जिलों के चार सबसे कम संक्रमण दर वाले जिले में हैं छिंदवाड़ा। रिकवरी रेट 92% है, तो एक्टिव केस भी 300 ही बचे हैं। जिस तरह से कोरोना संक्रमण बढ़ा, उतनी ही तेजी से यहां आंकड़ों में कमी आई है। सौंसर की रिपोर्ट के साथ कलेक्टर से वीडियो इंटरव्यू से समझेंगे कि क्या फॉर्मूला था।

भास्कर- बड़े शहरों में लॉकडाउन जैसे कदम उठाए जा रहे थे, आपने छोटे से कस्बे से लॉकडाउन लगाया?

कलेक्टर- कोरोना से निपटने के लिए दो तरह की स्ट्रेटजी जरूरी थी। एक तो इसके स्प्रेड को जितनी जल्दी रोकने के प्रयास शुरू हो सकें, दूसरा अस्पताल प्रबंधन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता थी। हमने महसूस किया, नागपुर में लगातार बड़ी संख्या में मामले आ रहे थे। हमने शासन से लॉकडाउन लगाने की अनुमति मांगी। इसके बाद महाराष्ट्र से लगी सीमा में सबसे पहले सौंसर में लॉकडाउन लगाया। दूसरी सीमाएं भी कर दीं। इससे स्प्रेड रुक गया।

भास्कर: लॉकडाउन के पहले रिकवरी रेट क्या थी? अब क्या है?

कलेक्टर: इसके बाद स्थानीय स्तर पर कर्फ्यू का सख्ती से पालन करवाया। वर्तमान में यहां रिकवरी रेट करीब 92% है। साथ ही, जिले में ऐसे क्षेत्रों की पहचान की, जो पूर्व से संक्रमित हो चुके हैं, जहां संक्रमण की संभावना ज्यादा है। ऐसे क्षेत्र देखे, जहां जहां न तो संक्रमण था और न फैलने की संभावना थी। जिले को तीन हिस्सों मेें बांटा। एक को आंरेंज जो, दूसरे को रेड जोन का और तीसरे को ग्रीन जोन कहा। रेड और आरेंज जोन में ही कंटेनमेंट जोन घोषित कर स्प्रेड आगे नहीं बढ़ने दिया।

भास्कर: मुश्किल दौर में राजनीतिक दलों के बीच कैसे सामंजस्य बनाया?

कलेक्टर: आपदा के समय राजनीति नहीं होती। उस समय राजनीतिक दलों से सहयोग मिला। जरूरत के मुताबिक सभी से सहयोग लिया। अभी हम उस स्थिति में हैं कि जिले के मरीजों के साथ आसपास के जिलों के मरीजों को इलाज उपलब्ध करवा सकते हैँ।

भास्कर: टीकाकरण के लिए क्या प्रशासन नया तरीका अपनाएगा ?

कलेक्टर: कई क्षेत्रों में टीकाकरण को लेकर भ्रम है। खासकर आदिवासी क्षेत्रों में। ऐसी जगह कार्यक्रम, जनप्रतिनिधि, सेलेब्रिटी के माध्यम से अपील कराएंगे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहायता से जागरूकता करके माहौल बनाएंगे। इसके पहले जहां आसानी से टीकाकरण हो रहा है, जहां संक्रमण ज्यादा फैलने की संभावना है, उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।

भास्कर: शुरुआती दौर ऑक्सीजन बेड की किल्लत थी, उसके लिए क्या प्रयास किया?

कलेक्टर: छिंदवाड़ा में बमुश्किल चार या पांच दिनों के लिए क्राइसिस झेली थी। पहली लहर आने से पहले ही हमने पर्याप्त ऑक्सीजन बेड बना लिए थे। इस कारण तत्काल में तुरंत में बेड बढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। हमने प्राइवेट सेक्टर में अस्पताल बढ़ाकर पूर्ण किया था। ऑक्सीजन की जिले में किल्लत नहीं रही। आज भी हम यहां से 10 से 12 जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई कर रहे हैं।

भास्कर: छिंदवाड़ा पहले जो सबसे बुरे हालात में था और आज बेहतर है। दूसरे जिलों की अपेक्षा क्या महसूस करते है?

कलेक्टर: एक टीम एक्सपर्ट होनी चाहिए। राजनीतिक दल हो, हमारी टीम या प्रशासनिक टीम हो, पुलिस टीम हो, हमारा जो क्षेत्रीय अमला है, क्षेत्र में जो काम कर रहा है, सभी ने मिलकर प्रयास किए, उसी का परिणाम है 8-10 दिनों के बीच ज्यादा दिक्कतें हुई, उसके बाद लगातार सुधार की तरफ बढ़ते चले गए।

भास्कर: फरवरी माह में छिंदवाड़ा सेफ जोन में था। क्या उम्मीद करते हैं कि कब तक ऐसे हालात हो जाएंगे ?

कलेक्टर: अनुमान लगाना ठीक है, लेकिन जो स्थिति चल रही है, उसके हिसाब से अगले दो से तीन हफ्तों में कंफर्टेबल सिचुएशन हो जानी चाहिए। चूंकि अभी आसपास में संक्रमण की दर ज्यादा है, तो जब तक आसपास के जिलों में महाराष्ट्र के जिलों सहित में संक्रमण नहीं घटेगा, तब तक हम असावधानी नहीं बरत सकते। हमें सख्ती बरतनी पड़ेगी।

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