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- Due To Kairana, Dada Kheya Ate, After Learning His Life Of Service, Nikita Will Give Free Duty For Kavid Sanctuaries In Itarsi Hospital.
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इटारसीएक घंटा पहले
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डॉ. निकिता पांडेय
- पहली पोस्टिंग चिरायु के कोविड वार्ड में थी, पिता और परिजनों की मिली सहमति, 24 वर्षीय डॉ. निकिता पांडेय बनीं फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर
इटारसी के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की बहुत कमी है। यह पता चलने पर भोपाल से एमबीबीएस कर डॉक्टर बनी 24 वर्षीय निकिता पांडेय ने बिना वेतन लिए प्रतिदिन 8 घंटे कोरोना मरीजों के बीच रहकर उनके इलाज व देखरेख करने का साहसिक निर्णय लिया है।
निकिता के दादा सुरेशचंद पांडे का कुछ दिन पहले कोरोना से निधन हो गया। उनकी सीख अपनाकर निकिता अब इटारसी अस्पताल में कोविड संक्रमितों की सेवा करेंगी। डॉ. निकिता ने कहा, उनके करियर की शुरुआत ही कोविड वार्ड से ही हुई है। उन्होंने दिसंबर 20 में एक महीने भोपाल के चिरायु हॉस्पिटल में ड्यूटी की। उस समय कोविड की दूसरी लहर नहीं आई थी।
ऐसे हालात नहीं थे। इसी कारण अस्पताल छोड़कर नीट की तैयारी पर फोकस किया। जब एक्जाम आगे बढ़ गए तो परिजनों की सहमति से गृहनगर के सरकारी अस्पताल में अवैतनिक सेवा देने का निर्णय लिया एसडीएम व अस्पताल अधीक्षक की अनुमति से ड्यूटी शुरू करने के पहले उन्होंने बतौर फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर कोविशील्ड का पहला टीका लगवा लिया। सरकारी अस्पताल का कोविड वार्ड देखा। उनका ध्यान इस तरफ भी गया कि कोविड पेशेंट से कोई भी परिजन आकर मिल रहा है। उन्होंने कहा ऐसे में तो अस्पताल ही वायरस का हॉटस्पॉट बन जाएगा।
निकिता बोलीं- फ्रंटलाइन काम करने पर रिस्क है
डॉ. निकिता ने अस्पताल से घर आकर खुद को बाहर ही सैनिटाइज किया। उन्होंने माना कि फ्रंटलाइन काम करने पर रिस्क तो रहता है। थोड़ी सी असावधानी खुद को और परिवार को संक्रमित कर सकती है। वे खुद एक चूल्हा व 23 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार में रहती हैं।
इनके पिता शिवभूषण पांडे और चाचाओं का इटारसी में रिजार्ट व होटल है। पिछले महीने ही परिवार के मुखिया सुरेशचंद पांडे का देहांत हुआ है। उनकी स्मृति में परिवार में शांतिधाम में दो डेडबॉडी फ्रीजर और व्हीलचेयर दान की हैं। निकिता ने कहा, उनके दादाजी कहा करते थे -मानव सेवा पहला धर्म होना चाहिए। मैंने सोचा जिस शहर में पली-बड़ीं, वहीं के सरकारी अस्पताल में मरीजों को जाकर देखूं।