वातावरण रहे ठीक: शहर के विश्रामघाटों में अंतिम संस्कार के लिए अब 90% गो काष्ठ का उपयोग

वातावरण रहे ठीक: शहर के विश्रामघाटों में अंतिम संस्कार के लिए अब 90% गो काष्ठ का उपयोग


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भोपाल3 मिनट पहले

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भदभदा और सुभाष नगर… चिता स्थल पर पहले से ही जमा देते हैं गो काष्ठ।

  • भदभदा, छोला और सुभाष नगर विश्रामघाट में पर्यावरण सुरक्षा का ध्यान
  • विद्युत शवदाह गृह… एक महीने में 125 अंतिम संस्कार

कोरोनाकाल को ध्यान में रखते हुए इन दिनों शहर के तीन बड़े विश्रामघाटों भदभदा, छोला और सुभाष नगर में मृतकों के अंतिम संस्कार में सबसे ज्यादा यानी 90 प्रतिशत गो काष्ठ का उपयोग किया जा रहा है। इसी के साथ दो विश्रामघाटों में विद्युत शवदाहगृह में भी अंत्येष्टि होने से न केवल पर्यावरण की सुरक्षा हो रही है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी काफी हद तक राहत महसूस हो रही है, क्योंकि लकड़ी के जहरीले धुंए और गंध के कारण उन्हें काफी परेशानी हो रही थी।

  • भदभदा विश्रामघाट कमेटी के अध्यक्ष अरूण चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार में 3 क्विंटल में से 2 क्विंटल गो काष्ठ व 1 क्विंटल लकड़ी उपयोग हो रही है, जबकि सामान्य मृतक के शव का गो काष्ठ से ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को लकड़ी जमाने की मशक्कत और लंबा इंतजार न करना पड़े, इसलिए पहले से ही चिता स्थल पर गो काष्ठ जमा कर रख देते हैं। वहीं विद्युत शवदाहगृह में 1 माह में करीब 125 मृतकों के अंतिम संस्कार किए जा चुके हैं।
  • छोला विश्रामघाट कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रमोद चुग ने बताया कि छोला विद्युत शवदाह गृह में अब तक 6 अंतिम संस्कार हुए हैं। इससे लकड़ी की भी बचत हो रही है और पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आ रही है। यह नि:शुल्क है।
  • सुभाष नगर विश्रामघाट में अंतिम संस्कार में 50% लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है। प्रबंधक शोभराज सुखवानी ने बताया कि विश्रामघाट परिसर में वृद्धजनों व असहाय लोगों को अंदर ले जाने और बाहर छोड़ने ई-रिक्शा भी चलाया जा रहा है।

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