सागर संभाग के 4 जिले से भास्कर पड़ताल: सुविधा के नाम पर केवल बेड व नर्स, दुविधा-डॉक्टर, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर का इंतजाम नहीं, नतीजा- बन गए रैफर पाइंट

सागर संभाग के 4 जिले से भास्कर पड़ताल: सुविधा के नाम पर केवल बेड व नर्स, दुविधा-डॉक्टर, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर का इंतजाम नहीं, नतीजा- बन गए रैफर पाइंट


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सागर4 घंटे पहले

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  • जिला अस्पताल का लोड कम करने के लिए बनाए कोविड सेंटरों की हकीकत
  • पांच जिले में 1000 बेड, इनमें सुविधा जुटा ले तो इलाज के अभाव में नहीं होगी मौतें

जिला मुख्यालय पर मौजूद सरकारी और निजी अस्पतालों के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी लोगों को इलाज मुहैया कराने के लिए कोविड केयर सेंटर शुरू किए गए हैं। लेकिन इन केंद्रों में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही उपकरण। लिहाजा यह सिर्फ रैफर पाइंट की भूमिका में हैं। सागर संभाग के पांच जिलों में सामुदायिक स्तर पर कुल 19 कोविड केयर सेंटर शुरू किए गए हैं।

इनमें सबसे ज्यादा 8 छतरपुर जबकि सबसे कम 1 दमोह में है। इन सेंटरों पर सुविधाओं के नाम पर सिर्फ पलंग और कई सेंटरों पर नर्सें हैं। इन किसी पर भी पर्याप्त ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है। छोटे सिलेंडर और कंसंट्रेटर के भरोसे मरीजों का इलाज हो रहा है। इन सेंटरों पर कुल 1000 पलंग हैं। यदि सेंटरों पर पर्याप्त स्टाफ और ऑक्सीजन सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएं तो जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज सहित निजी अस्पतालों में लगे हाउसफुल के बोर्ड उतर सकते हैं।

जमीनी हकीकत: लवकुशनगर में डॉक्टर के 9 पद स्वीकृत लेकिन 2 ही पदस्थ, पथरिया में बेड लगाए लेकिन ऑक्सीजन नहीं

सागर : कोविड सेंटरों पर स्टाफ का टोटा, छोटे सिलेंडरों के भरोसे इलाज
जिले के राहतगढ़, देवरी, शाहगढ़ और बंडा के सेंटरों में सुविधाएं तो हैं ही नहीं स्टाफ का भी टोटा है। देवरी में सेंटर 3 डॉक्टरों के हवाले है। इन पर फ्लू ओपीडी की भी जिम्मेदारी है। यही हाल राहतगढ़, शाहगढ़ और बंडा का है। यहां करीब 69 पद स्वीकृत हैं। लेकिन 46 खाली पड़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा खाली डॉक्टरों के पद हैं। जबकि बीना, खुरई में स्टाफ भी संक्रमण की चपेट में है। यहां डॉक्टर और नर्सों को मिलाकर करीब आधादर्जन स्टाफ कोरोना के ग्रसित हो चुका है।

छतरपुर : गौरिहार सेंटर एक डॉक्टर के हवाले, खजुराहो से रैफर होते हैं मरीज

जिले के गौरिहार का सेंटर एक डॉक्टर और घुवारा अस्पताल की जिम्मेदारी आयुष डॉक्टर के भरोसे है। कोविड सेंटर नहीं होने से मरीज बड़ामलहरा भेजे जा रहे हैं। जबकि लवकुशनगर में स्वीकृत 9 डॉक्टरों में 2 ही उपलब्ध हैं। खजुराहो, ईशानगर में स्टाफ है लेकिन सेंटर नहीं बनाया है। बिजावर, बक्स्वाहा में स्टाफ और ऑक्सीजन की कमी है। स्टाफ पर फ्लू ओपीडी की भी जिम्मेदारी है। बड़ामलहरा सेंटर में भी केवल इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था है।

टीकमगढ़ : जरूरत पर देते हैं ऑक्सीजन, हालत बिगड़ी तो टीकमगढ़-दतिया रैफर

पलेरा में तीन कोविड सेंटर बनाए हैं। यहां 306 मरीज होम आइसोलेट हैं। गंभीर मरीजों को जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन देते हैं। हालत खराब होती है तो जिला अस्पताल रैफर कर देते हैं। पृथ्वीपुर में छात्रावास में कोविड केयर सेंटर बनाया है। गंभीर मरीजों को दतिया मेडिकल कॉलेज रैफर करते हैं। सेंटर में भर्ती 11 कोविड मरीजों का इलाज 4 डॉक्टरों की टीम कर रही है। बल्देवगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काेविड सेंटर नहीं है। यहां से आधा स्टाफ रामराजा अस्पताल भेजा है।

दमोह : किसी भी सेंटर पर नहीं सुविधा, इलाज का पूरा भार जिला अस्पताल पर

जिले के हटा में कोविड केयर सेंटर बनाया है। लेकिन संसाधन नहीं होने से यहां पर एक भी मरीज भर्ती नहीं हैं। केवल सिविल अस्पताल के प्री-कोविड वार्ड में ही सामान्य मरीज रखे जा रहे हैं। पथरिया के सरकारी कॉलेज में 50 पलंग का कोविड सेंटर है। लेकिन यहां एक भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है। बटियागढ़ के सरकारी कॉलेज में सेंटर बनाया गया है। यहां 5 ऑक्सीजन सिलेंडर व पांच कंसंट्रेटेर के भरोसे मरीज हैं।

(सीधी बात; मुकेश शुक्ला, संभागायुक्त सागर)

सवाल : संभाग के नए कोविड सेंटरों में संसाधनों की पूर्ति कब तक होगी?
जवाब: सेंटर में संसाधनों की पूर्ति करेंगे, सभी आवश्यक संसाधन जुटाए जाएंगे।
सवाल : कुछ सेंटर पर ऑक्सीजन बेड, दवाएं व डॉक्टर पर्याप्त नहीं है?
जवाब : पेशेंट को जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन, बेड व दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
सवाल : लवकुशनगर में डॉक्टर, टीकमगढ़ में ऑक्सीजन की कमी है?
जवाब : संभाग के सारे सेंटर पर सभी व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं।

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