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जबलपुर4 मिनट पहले
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- कैलाशपुरी गुप्तेश्वर में रहने वाले मजदूर के परिवार पर गंभीर संकट, रेडक्रॉस ने पहुँचाई मदद
कोरोना महामारी की चपेट में आकर सिर्फ लोग जान नहीं गवाँ रहे, बल्कि हजारों ऐसे गरीब परिवार हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण भुखमरी की कगार पर पहुँच चुके हैं। ऐसी ही एक दर्द भरी कहानी कैलाशपुरी गुप्तेश्वर में रहने वाले विजय धुर्वे की है। लॉकडाउन लगने के बाद विजय पूरी तरह बेरोजगार हो गया। जो कुछ जोड़ा था उससे कुछ दिन तक जैसे-तैसे परिवार का भरण-पोषण चलता रहा।
जुड़ा हुआ राशन और पैसा खत्म होने के बाद पिछले 15 दिन से विजय और उसका परिवार बेटियों को आँगनबाड़ी से मिलने वाले दलिया खाकर गुजारा करता रहा, लेकिन दो दिन पूर्व वो भी खत्म हो गया। दो दिन से यहाँ-वहाँ काम और भोजन की तलाश में भटकने के बाद एक मददगार के जरिए विजय ने रेडक्रॉस दफ्तर पहुँचकर अपनी परेशानी बताई, जिस पर रेडक्रॉस के सचिव आशीष दीक्षित ने उसके घर राशन पहुँचाया।
विजय का कहना है कि इस मदद से कुछ दिनों के लिए तो उसकी समस्या हल हो गई, लेकिन जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो क्या होगा। विजय सिवनी जिले का रहने वाला है, कुछ साल पूर्व वह पत्नी बबली धुर्वे के साथ जबलपुर में आकर मजदूरी करने लगा। वह कैलाशपुरी में किराए के मकान में रहता है, उसकी दो बेटियाँ खुशी 6 वर्ष व साक्षी 1 वर्ष हैं।
विगत वर्ष कोरोना संकट की शुरुआत होने के बाद विजय परिवार के साथ सिवनी चला गया था। हालात सुधरने के बाद वह वापस लौटा और काम शुरू किया, लेकिन मार्च 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद वह सिवनी नहीं लौट सका। ये परेशानी सिर्फ विजय की ही नहीं, बल्कि शहर में विजय की तरह हजारों गरीब परिवार इस दर्दनाक मुसीबत को झेल रहे हैं।
इस बार दानदाता-मददगार गायब
कोरोना की शुरुआत होने के बाद वर्ष 2020 में कई दानदाता, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएँ सक्रिय थीं, जिनके जरिए ऐसे गरीबों काे भोजन-राशन जैसी मूलभूत मदद मिलती रही, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में चंद लोग ही मदद कर रहे हैं, जिसके कारण गरीबों की मुसीबतें बढ़ गई हैं।