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टीकमगढ़6 घंटे पहलेलेखक: रवि ताम्रकार
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20 साल तक सरकारी मदद के बगैर बच्चों का लालन-पालन किया।
ये हैं टीकमगढ़ की शिवकली रूसिया। उम्र 91 साल लेकिन जोश युवाओं से कम नहीं। आज भी न केवल अपने सारे काम खुद करती हैं बल्कि अनाथ बच्चों के लालन-पालन में लगी रहती हैं। बच्चे भी एक-दो नहीं, दर्जनों। इसलिए इन्हें बुंदेलखंड की मदर टेरेसा कहा जाता है। शिवकली मां 24 साल से अनाथ बच्चों को अपना रही हैं। अब तक 42 बच्चों को सहारा दे चुकी हैं। ये सभी बच्चे इन्हें मां कहकर ही पुकारते हैं। बच्चों की परवरिश के लिए अनाथ आश्रम शुरू किया। इसके लिए अपना आधा मकान ट्रस्ट को दान कर दिया।
ऐसे शुरू हुई कहानी
खुद को संतान नहीं होने पर पति-पत्नी घर में अकेले रहते थे। 1997 में एक दिन उन्हें लावारिस नवजात मिला, जिसे अपने घर पर रखने की अनुमति मिल गई। इसके बाद उन्होंने अनाथ बच्चों की देखभाल, संरक्षण और दत्तक ग्रहण यानी गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी। एक-एक करके उनके पास कई बच्चे हो गए। बच्चों के पालन के लिए जब सरकारी मदद नहीं मिली तो खुद की जमापूंजी खर्च की। शिशु गृह के लिए खुद के घर का आधा हिस्सा दान दे दिया।
65 साल से कर रहीं समाज सेवा

शिवकली मां 1956 से समाज सेवा कर रही हैं। उन्होंने होम्योपैथी की डिग्री और वकालत की है। 1960 में चेचक महामारी आने पर स्वास्थ्य विभाग के साथ घर से बाहर निकलकर सेवा की। पति प्रेमनारायण रूसिया शिक्षा विभाग में डायरेक्टर थे, कुछ साल पहले उनका निधन हो गया।
झांसी कलेक्टर ने दिया था नाम : शिवकली मां महिलाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कई बच्चों को अच्छे परिवार में गोद दिया। यह देखकर झांसी कलेक्टर ने उन्हें सम्मानित किया था। तब उन्हें बुंदेलखंड की मदद टेरेसा नाम दिया। वर्ष 2017 तक संस्था के निजी खर्च से बालगृह का संचालन किया। अब महिला बाल विकास ने सहयोग देना शुरू कर दिया है।