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जबलपुर9 घंटे पहले
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सिटी अस्पताल का संचालक सरबजीत मोखा।
मल्टी स्टेट नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन स्कैम में फंसा सिटी अस्पताल का संचालक सरबजीत मोखा गिरफ्तारी से बचने का हर जतन करता रह गया। माइनर अटैक का बहाना कर खुद के अस्पताल में भर्ती मोखा, एफआईआर दर्ज होते ही फरार हो गया था। शाम को अचानक प्रकट हुआ। इस बार खुद को कोविड संक्रमित बता खुद के अस्पताल में आईसीयू में भर्ती हो गया। रात भर पहरा दे रहे पुलिस ने रैपिड रिपोर्ट निगेटिव आते ही उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर थाने ले आई। उससे पूछताछ जारी है।
जानकारी के अनुसार सरबजीत के झूठ को बेनकाब करने पुलिस ने उसका कोरोना जांच कराया। रैपिड टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव आई है। वहीं, आरटीपीसीआर जांच के लिए भी सैंपल लिया गया है। दोनों जांच पुलिस लाइन अस्पताल के चिकित्सकों ने किया है। माइनर अटैक समेत स्वास्थ्य की जांच डाॅक्टर एसके पांडे, डॉक्टर एलएन पटेल व डॉक्टर आलोक श्रीवास्तव की टीम ने किया। इसके बाद मंगलवार सुबह 9.30 बजे ओमती पुलिस उसे थाने ले आई। जहां एसआईटी उससे पूछताछ कर रही है।
सवालों के जवाब में चुप रहा मोखा
आरोपी सरबजीत मोखा शातिर अपराधियों की तरह पुलिस के एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। पुलिस ने सपन, देवेस के कबूलनामे और रेमडेसिविर इंजेक्शन के बारे में पूछा, लेकिन उसने जुबान नहीं खोली। ज्यादातर सवालों के जवाब में वह कहता रहा कि उसे कुछ भी नहीं मालूम। हालांकि पुलिस उसे सवालों में उलझाने का प्रयास करती रही, लेकिन वह चुप्पी साध लेता था। एक ही रट लगाता रहा कि वह बेगुनाह है और उसे फंसाया जा रहा है।
बुजुर्ग बोला, मेरे भाई-भाभी को मार डाला
नकली इंजेक्शन मामला सामने आने के बाद सिटी अस्पताल का संचालक सरबजीत मोखा लोगों के निशाने पर है। एक तरफ जिला अधिवक्ता संघ ने उसका प्रकरण लड़ने से मना कर दिया है। वहीं देवेंद्र नायडू नाम का एक बुजुर्ग पहुंचा। दावा किया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा नकली इंजेक्शन लगाने के चलते ही उसके भाई व भाभी की मौत हुई। मौत के बाद मोखा ने पूरा बिल भुगतान करने के बाद ही शव दिए थे।
सीएम के तल्ख तेवर:जबलपुर अचानक पहुंचे सीएम, एयरपोर्ट पर कलेक्टर-एसपी को आने से रोका, नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में कहा, बख्शे नहीं जाएंगे आरोपी
सीएसपी ओमती करेंगे मामले की विवेचना
मामले में ओमती थाने में दर्ज केस में ट्रेनी आईपीएस एएसपी रोहित काशवानी की अगुवाई में एसआईटी गठित की गई है। मामले की अग्रिम विवेचना सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज को सौंपी गई है।
18 सदस्यीय एसआईटी टीम गठित
एएसपी साउथ गोपाल प्रसाद खांडेल, सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज, डीएसपी अजाक पंकज मिश्रा, टीआई ओमती एसपीएस बघेल, टीआई भेड़ाघाट शफीक खान, टीआई रांझी आरके मालवीय, टीआई घमापुर दिलीप श्रीवास्तव, क्राइम ब्रांच के एएसआई रामसनेही शर्मा, मृदलेश शर्मा, आरक्षक हरिशंकर गुप्ता, अजित पटैल, राजेश केवट, अनिल कुमार, अनूप कुमार, रवि सागर, मानस, अजय जैन, अखिलेश कुमार एसआईटी टीम में शामिल किए गए हैं।

सरबजीत मोखा को गिरफ्तार कर ले आती ओमती पुलिस।
मोखा व देवेश के खिलाफ एनएसए की तैयारी
पुलिस सूत्रों की मानें, तो मामले में सीएम के तल्ख तेवरों के बाद एसपी ने सरबजीत मोखा और उसके कर्मचारी देवेस चौरसिया के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दोनाें के खिलाफ एनएसए का प्रकरण तैयार कर ओमती पुलिस एक-दो दिन में एसपी के माध्यम से कलेक्टर के समक्ष पेश कर सकती है।
सीजीएचएस सूची से सिटी हॉस्पिटल को हटाया गया
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में सिटी हॉस्पिटल के संचालक सरबजीत मोखा का नाम सामने आने के बाद पहली कार्रवाई हुई। सिटी हाॅस्पिटल को सीजीएचएस की सूची से हटा दिया गया है। पेंशनर्स एसोसिएशन की शिकायत के बाद अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सीजीएचएस सूची से निलंबित कर दिया गया। अस्पताल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। आदेश के तहत अस्पताल में पहले से इलाज करा रहे सीजीएचएस लाभार्थियों को को इसका लाभ मिलेगा। इलाज पूरा होने पर उनके बिल यूटीआई 1 टीएसएल / संबंधित विभाग को पेश करने होंगे।
ये है मामला
01 मई को गुजरात की मोरबी जिले की टीम ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन फैक्टरी का भंडाफोड़ किया। मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया। पूछताछ के आधार पर 6 मई को जबलपुर के आशा नगर निवासी सपन जैन को गुजरात पुलिस गिरफ्तार कर ले गई। सपन जैन, सिटी अस्पताल के कर्मी देवेश चौरसिया और इंदौर में गिरफ्तार क्षितिज राय, यश मेहंदी और विजय सहजवानी ने सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा की भूमिका को उजागर किया। मोखा ने 23 व 28 अप्रैल को गुजरात की नकली फर्म से दो काॅर्टून इंजेक्शन अम्बे ट्रांसपोर्ट के माध्यम से वाया इंदौर मंगवाया था।