दूसरी लहर का कहर: कोरोना के साथ कार्डियक अरेस्ट, रोज 2 लोगों की हो रही मौत, 40 दिन में 82 की थमी धड़कन

दूसरी लहर का कहर: कोरोना के साथ कार्डियक अरेस्ट, रोज 2 लोगों की हो रही मौत, 40 दिन में 82 की थमी धड़कन


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रतलाम2 घंटे पहले

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घर का एक व्यक्ति भी यदि शुरुआती लक्षण में जांच करवा लेता है तो वह अपनी पूरी फैमिली को सेफ कर लेता है।

  • मेडिकल कॉलेज में 40 दिन में 247 लोगों की कोरोना से मौत, शरीर में खून के थक्के बन रहे

कोरोना की दूसरी लहर असल में कहर बनकर सामने आ रही है। इस बार कोरोना से पहले कार्डियक अरेस्ट मरीज को मौत दे रहा है। मेडिकल कॉलेज में रोज औसतन 2 लोग कार्डियक अरेस्ट से दम तोड़ रहे हैं। 1 अप्रैल से (दूसरी लहर) अब तक ऐसे 82 लोगों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड काल के दौरान कार्डियक अरेस्ट की पूरी आशंका रहती है। ऐसा खून के थक्के जमने से होता है।

कोरोना से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। 1 अप्रैल से अब तक मेडिकल कॉलेज में 247 लोग कोरोना से दम तोड़ चुके हैं। इनमें से 139 रतलाम तो वहीं, 108 मृतक आसपास के जिले मंदसौर, नीमच, झाबुआ, उज्जैन, धार के हैं। इधर, बड़ी बात यह है कि 40 दिन में 82 लोगों की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है, यानी धड़कन थम गई।

युवा तोड़ रहे दम

कार्डियक अरेस्ट के मामले सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं, बल्कि 30-40 साल के युवाओं में भी सामने आ रहे हैं। परिजन लगातार संपर्क में बने रहते हैं, लगता भी है कि मरीज ठीक हो जाएगा लेकिन अचानक से मिली दु:खद खबर सभी को चौंका रही है। सोमवार को ऐसे ही एक मामले में सिर्फ 38 साल की महिला ने दम तोड़ दिया।

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में है अंतर… ऐसे समझें

हार्ट अटैक- इसमें दिल के अलग-अलग हिस्सों में खून जम जाता है। ऐसे मामलों में तत्काल इलाज मिलने से मरीज की जान बच सकती है। इलाज मिलने में जितनी देर होती है, उससे हृदय और शरीर को नुकसान होता जाता है। आम तौर पर हार्ट अटैक के लक्षण पहले और बाद में भी दिख सकते हैं।

कार्डियक अरेस्ट- हृदय के भीतर के हिस्सों में सूचनाओं का आदान-प्रदान गड़बड़ा जाता है। इस कारण हार्ट रेट को नियमित करने की कोशिश होती है। दिल की धड़कन अचानक बंद हो जाती है। जिन मरीजों को पहले हार्ट अटैक आ चुका है, या खतरा था, उन्हें कार्डियक अरेस्ट होने की आशंका ज्यादा रहती है।

इन दो केस से समझिए… किस तरह घर के जवान लोग अचानक छोड़ रहे साथ, किसी को मौत का कारण पता चल रहा, किसी को नहीं

1. कुछ घंटों पहले अच्छे से बात की, अचानक दम तोड़ा

रतलाम के 27 साल के युवक का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। 3 अप्रैल को भर्ती किया। दोपहर में सेवफल भी खाया, अच्छे से बात की, लेकिन, रात में फोन आया कि आईसीयू में शिफ्ट कर रहे हैं। सुबह 6 बजे कॉलेज परिजन को कॉलेज बुलवाया, बेटे की मौत हो चुकी थी। 16 अप्रैल को इन्हीं के भाई भी ऑक्सीजन लेवल कम होने पर भर्ती हुए व बच नहीं पाए। परिजन को मौत की वजह नहीं बताई।

डाॅ. राजेश शर्मा, संचालक, निजी कोविड हॉस्पिटल

2. सिर्फ 38 साल की महिला की कार्डियक अरेस्ट से मौत

गांधीनगर निवासी 38 साल की महिला को 4 मई को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। उनका सिटी स्कोर 40 में से 17 था। मामले की गंभीरता को देख जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में शिफ्ट किया गया। महिला के बचने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन सोमवार को महिला ने दम तोड़ दिया। मौत का कारण डॉक्टरों ने कार्डियक अरेस्ट बताया।

डॉ. महेंद्र चौहान, एमडी, मेडिकल कॉलेज

कोविड रक्त का थक्का बनाता है

कार्डियक अरेस्ट के केस बढ़ रहे हैं। दरअसल, कोविड आर्गेनिज्म रक्त का थक्का बनाता है। दो कंडीशन रहती है, यदि कोविड के दौरान 10 से 15 दिन तक किसी की बॉडी में कोई मूवमेंट नहीं है, तो रक्त के प्लाट्स होना स्वाभाविक है।

अत: व्यक्ति को चलते-फिरते रहना चाहिए। दूसरा ये कि कोविड खुद ही थम्बो एल्बोलिजम बनाता है। इसमें ट्रीटमेंट होते हैं। देशभर में लो मॉल्यूक्यूलर का इंजेक्शन लगाते हैं, इससे कुछ केस में यूरीन या मुंह से ब्लड आने लगता हैै। तत्काल राेकने पर क्रियाएं जल्दी होती हैं। ऐसे में ब्लड को पतला करने वाली दवाई कंटीन्यू करना चाहिए।

तनाव की वजह से भी होता है

कार्डियक अरेस्ट में डर ज्यादा हावी होता है। हार्ट की डिमांड और सप्लाय में लगातार अंतर आता रहता है। तनाव से ऐसा ज्यादा होता है। कोविड केस में खून में थक्का बनने लग जाता है। इससे अटैक की आशंका बढ़ती जाती है। समय पर जांच करवा लेंगे तो निश्चित तौर पर कुछ नहीं होगा।

लापरवाही के मामले बहुत ज्यादा सामने आ रहे हैं, लंग्स बुरी तरह डैमेज होने के बाद मरीज कॉलेज में पहुंच रहे हैं। यदि हार्ट की दवा चलती है, तो रेग्युलर लें। घर का एक व्यक्ति भी यदि शुरुआती लक्षण में जांच करवा लेता है तो वह अपनी पूरी फैमिली को सेफ कर लेता है।

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