अंतरराष्ट्रीय नर्स डे आज: ‘सिस्टर’ का जुनून देखिए – रोजाना 6 घंटे PPE किट पहनकर कोविड पॉजिटिव का इलाज, बच्चों का भी रख रही ख्याल; गुजारिश : सरकार अब पक्की नौकरी का गिफ्ट दे दें

अंतरराष्ट्रीय नर्स डे आज: ‘सिस्टर’ का जुनून देखिए – रोजाना 6 घंटे PPE किट पहनकर कोविड पॉजिटिव का इलाज, बच्चों का भी रख रही ख्याल; गुजारिश : सरकार अब पक्की नौकरी का गिफ्ट दे दें


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खंडवा/सावन राजपूत4 मिनट पहले

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खंडवा कोविड अस्पताल में PPE किट पहनकर ड्यूटी दे रही नर्सेस।

  • ये वह नर्सेस है, जो कोविड संक्रमित मरीजों को अपना समझ संक्रमणकाल में निभा रही फर्ज

आज अंतरराष्ट्रीय नर्स डे है और भारतीय समाज ने नर्स को ‘सिस्टर’ का दर्जा दिया है। सिस्टर का फर्ज निभाते वह संक्रमण काल में भी वे पीछे नहीं हटी है। कार्य के प्रति जुनून या वफादारी देखिए कि भरी गर्मी में घंटों तक प्लास्टिक PPE किट पहनकर कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज तो परिवार व बच्चों की देखभाल भी कर रही। एक असल योद्धा बनकर वह महामारी से लड़ रही है। कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रही नर्सेस ने भास्कर से बातचीत में गुजारिश की है कि बस, सरकार पक्की नौकरी का गिफ्ट दे दें, ताकि ये सेवाएं जारी रख सकें।

– PPE किट में ड्यूटी : रोजाना 30 मरीजों का टारगेट फर्ज से निभाते

नर्स आरती वायकर, आउटसोर्सिंग के जरिये 10 माह से कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज में लगी है। वह बताती है कि साढ़े 6 घंटे PPE किट पहनना भरी गर्मी में मुश्किल होता है लेकिन ड्यूटी है फर्ज तो निभाना पड़ेगा। ड्यूटी टाइम में रोजाना 30 मरीजों को देखना होता है। शिद्दत के साथ मरीज की देखभाल और ईश्वर से प्रार्थना भी करते है कि वह स्वस्थ होकर घर लौटे। परिवार में 11 साल की बेटी प्रियशा और बेटा इशांक 6 साल का है। उनकी देखभाल भी जरूरी है। बस, गुजारिश करते है कि अब सरकार हमारी नौकरी पक्की कर दें।

अपने परिवार के साथ नर्स आरती वायकर

अपने परिवार के साथ नर्स आरती वायकर

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– पीछे नहीं हटे : आखिर संक्रमित लोग भी तो हमारे अपने है

नर्स रंजना चौहान ने इंदौर के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज से 2018 में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की। निजी अस्पताल में प्रैक्टिस के दौरान अप्रैल 2020 में कोविड से जंग में शामिल होने और अपने गृह जिले खंडवा में सेवा का मौका मिला। रंजना बताती है कि साल के 12 महीने कोविड की जंग में बीत गए। पढ़ाई के दौरान कभी सोचा न था कि भविष्य में ऐसी महामारी से भी लड़ेंगे। ड्यूटी के दौरान कभी पीछे नहीं हटी, आखिर संक्रमित लोग भी तो हमारे अपने है। उसी का परिणाम रहा कि बीते 9 मई काे मप्र शासन की नर्स भर्ती में सिलेक्शन हो गया। मूलत: गांव रोहिणी की रहने वाली रंजना के पिता नरेंद्रसिंह चौहान भी पंचायत सचिव है।

कोविड अस्पताल के ICU वार्ड में ड्यूटी दे रही नर्स रंजना चौहान

कोविड अस्पताल के ICU वार्ड में ड्यूटी दे रही नर्स रंजना चौहान

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