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- Corona Came Positive 7 Days Ago, Both Eyes Were Not Opening For 24 Hours, There Was Swelling, Last Breath On Wednesday Afternoon
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ग्वालियर8 मिनट पहले
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बीच में खड़े हैं मृतक रामकुमार
- कंपू थाना में बतौर वरिष्ठ प्रधान आरक्षक (लेखक) के रूप में थे पदस्थ
सात दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हुए कंपू थाना के HCM रामकुमार शुक्ला ने बुधवार दोपहर दम तोड़ दिया है। बीते 24 घंटे में तेजी से उनकी हालत बिगड़ी थी। पहले उनकी आंखों के नीचे सूजन आई फिर आंखें बंद हो गईं। डॉक्टरों को ब्लैक फंगल की आशंका है। पर अभी अचानक ऑक्सीजन स्तर गिरने से मौत बताई जा रही है। पुलिसकर्मी की मौत की खबर से कंपू थाना व शहर पुलिस में शोक की लहर दौड़ गई है। साथी उनको याद करते हुए अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं।
साथियों ने जबरदस्ती भेजा था सैंपल देने
- 58 वर्षीय रामकुमार शुक्ला वरिष्ठ प्रधान आरक्षक (हवलदार) हैं। वह वर्ष 2019 से ग्वालियर के कंपू थाना में पदस्थ थे। इससे पहले वह जनकगंज थाना में थे। कंपू थाना में पदस्थ पुलिसकर्मी अजय शर्मा बताते हैं कि 3 मई को उनको मामूली बुखार आया था। उसी दिन वह ठीक भी हो गए। हल्की सी थकान महसूस हो रही थी। जिस पर साथियों ने ही उनको कोरोना की जांच कराने के लिए कहा था। वह तो तैयार भी नहीं थे, लेकिन साथियों के कहने पर वह टेस्ट कराने चले गए। 5 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इसके बाद उन्हें इडक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। लंग्स में काफी संक्रमण होने पर 11 मई सुबह उन्हें सिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहां 24 घंटे में उनकी हालत बिगड़ी और उन्होंने बुधवार दोपहर दम तोड़ दिया।
ब्लैक फंगल की आशंका, पर पुष्टि नहीं
- सिम्स हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती करने के बाद अचानक की तबीयत खराब हुई थी। दोनों आंखों के नीचे काफी सूजन हो गई। एक आंख तो पूरी तरह बंद हो गई। इसके बाद बुधवार को अचानक रामकुमार ने दम तोड़ दिया। प्रारंभिक पड़ताल में सारे लक्षण ब्लैक फंगल की ओर इशारा कर रहे हैं। पर सिम्स के प्रबंधन का कहना है कि अचानक ऑक्सीजन का स्तर नीचे चले जाने के कारण रामकुमार शुक्ला की मौत हुई है।
हाल ही में नए घर में किया था प्रवेश
- रामकुमार शुक्ला के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे 27 वर्षीय पवन शुक्ला, राहुल शुक्ला, बेटी पूजा व दीपा हैं। एक बेटी व बेटा की वह शादी कर चुके हैं। अभी छोटा बेटा राहुल व बेटी पूजा की जिम्मेदारी उन पर थी। हाल ही में उन्होंने शताब्दीपुरम में नया घर बनवाया था। चार महीने पहले गृह प्रवेश किया था।
हमेशा मदद के लिए रहते थे तैयार
- कंपू थाने में उनके साथी अजय शर्मा ने बताया कि उम्र में रामकुमार उनसे काफी बड़े थे और पिता के समान थे। पर पूरे थाने में ऐसा कोई नहीं था जो अपने इस साथी के इस तरह छोड़कर चले जाने से दुखी नहीं था, क्योंकि रामकुमार हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।