इंदौर में अब ड्राइव इन वैक्सीनेशन: नगर निगम ने भेजा प्रस्ताव, कार में बैठकर जी लगवा सकेंगे वैक्सीन; भोपाल में पहले शुरू हो चुका है

इंदौर में अब ड्राइव इन वैक्सीनेशन: नगर निगम ने भेजा प्रस्ताव, कार में बैठकर जी लगवा सकेंगे वैक्सीन; भोपाल में पहले शुरू हो चुका है


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इंदौर12 मिनट पहले

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ड्राइव इन टेस्टिंग सेंटर का फा

ड्राइव इन वैक्सीनेशन सेंटर मुंबई में बनाया गया है, जो सफल साबित हुआ। यह संक्रमण से बचने में भी मददगार रहता है, क्योंकि ज्यादातर लोग कार में बैठकर सुरक्षित रहते हैं। बजाय खुले सेंटर में लाइन लगाकर खड़े होने के। इस संबंध में इंदौर में भी नगर निगम ने प्रस्ताव बनाकर भेजा है। इसके लिए दशहरा मैदान और नेहरू स्टेडियम का चयन किया गया है।

निगमायुक्त प्रतिभा पाल का कहना है, दोनों सेंटरों पर वैक्सीनेशन ड्राइव इन की सुविधा जल्द शुरू की जाएगी, क्योंकि दोनों सेंटर उसके लिए तैयार हैं। वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद इन दोनों सेंटरों को शुरू कर दिया जाएगा। अभी 18 से 44 साल उम्र के लोगों को रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद स्लॉट बुकिंग भी करवाना पड़ती है, उसके बाद ही संबंधित सेंटर पर वैक्सीन लगती है। लिहाजा, स्लॉट बुकिंग के जो सेंटर बनेंगे, उनमें इन दोनों ड्राइव इन सेंटरों को भी शामिल कर लिया जाएगा, ताकि स्लॉट बुकिंग में इन दोनों सेंटरों पर जितने वैक्सीन लगना है, उसकी बुकिंग ऑनलाइन हो जाएगी। फिर वैक्सीन लगवाने वाला व्यक्ति दोपहिया या चार पहिया वाहन में आकर वैक्सीनेशन करवा सकेगा।

नगर निगम ने इन दोनों ड्राइव इन कोविड टेस्ट सेंटर को सुविधायुक्त भी बनाया है। प्रदेश में यह सफल मॉडल भी रहा। दशहरा मैदान पर 460 और नेहरू स्टेडियम पर 148 यानी दोनों सेंटरों पर 608 लोगों ने कोविड टेस्ट करवाए।

निगमायुक्त का कहना है कि सुझाव अच्छा है। जल्द ही, वैक्सीन उपलब्ध होने पर ये दोनों सेंटर वैक्सीनेशन के लिए शुरू कर दिए जाएंगे। इसमें भी 18+ के दोनों सेंटर करने से स्लॉट बुकिंग में आसानी होगी, क्योंकि अभी इस वर्ग में बुकिंग से ही वैक्सीन लग रही है।

इससे पहले नगर निगम ने दशहरा मैदान में सोडाणी डायग्नोस्टिक और नेहरू स्टेडियम में सेंट्रल लैब की सहायता से ये ड्राइव इन कोविड टेस्टिंग सेंटर शुरू किए। हजारों की संख्या में कोविड टेस्ट इन दोनों सेंटरों पर लोगों ने करवाए। दोपहिया और कार में बैठे हुए ही सैंपल की सुविधा दी गई। हालांकि इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ही अनिवार्य रहा। शुरुआत में डेढ़ से दो हजार हो रहे थे, जो अब एक चौथाई तक घट गए, क्योंकि कोरोना का असर कम हो गया है।

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