कोविड से लड़ाई में मरीजों को जीत दिलाने का जज्बा: हमारे क्षेत्र के किसी मरीज की ऑक्सीजन की कमी से न टूटे सांसें, डेढ़ लाख खर्च करके लहार के युवक ने खरीदे ऑक्सीजन सिलेंडर, दस मरीजों को दे चुका फ्री में सेवा

कोविड से लड़ाई में मरीजों को जीत दिलाने का जज्बा: हमारे क्षेत्र के किसी मरीज की ऑक्सीजन की कमी से न टूटे सांसें, डेढ़ लाख खर्च करके लहार के युवक ने खरीदे ऑक्सीजन सिलेंडर, दस मरीजों को दे चुका फ्री में सेवा


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भिंड8 मिनट पहले

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राघव सिंह भदौरिया, ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ।

  • लोगों तक सेवा का संदेश देने के लिए वॉट्सऐप, ट्यूटर व फेसबुक का लिया सहारा।

लहार हमारी जन्मभूमि है। यहां की माटी में पले बढ़े हैं। इस आपदा के समय अपने क्षेत्र के लोगों की फिक्र मेरे मन में है। जब मैंने देखा कि मेरा एक दोस्त कोविड पीड़ित था और ऑक्सीजन के अभाव में खत्म हो गया। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में मेरे क्षेत्र के किसी व्यक्ति की सांसें न थमे इसलिए मैंने अपनी कमाई की पूंजी से पांच ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे। मेरी पहली प्राथमिकता लहार के लोगों को कोविड के दौरान सेवा करना है। इन सिलेंडरों के माध्यम से अब तक चंबल संभाग के दस मरीजों को फ्री में ऑक्सीजन सिलेंडर दिए है जिससे उन्हें ऑक्सीजन की कमी से नहीं जूझना पड़ा है। यह कहना खड़गपुर से IIT से इंजीनियरिंग स्नाकोत्तर की पढ़ाई करके पासआउट हो चुके युवा राघव सिंह भदौरिया का है।

राघव, इन दिनों आगरा में नौकरी कर रहे है। वे भिंड जिले के लहार कस्बे के भीकम पुरा रोड के निवासी है। उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने में मेरे एक साथी कोविड पॉजिटिव हुआ। इस दौरान उन्हें उपचार के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो सकी। ऑक्सीजन के अभाव में मेरे साथी की दम घुट गया और मौत हो गई। यह बात मेरे दिल और दिमाग पर बैठ गई। ऐसी हालात में मेरे अपने क्षेत्र के किसी व्यक्ति के साथ ऐसा हादसा न हो। इसलिए अपनी कमाई की डेढ़ लाख रुपए से पांच ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे।

आगरा में एक ऑक्सीजन रिफिलिंग करने वाली कंपनी से बातचीत की। यह फ्री सेवा देने के लिए कंपनी के मैनेजर से बातचीत हुई तो मरीज का डॉक्टर लिखित पर्चा आने पर ऑक्सीजन रिफिलिंग करने का भरोसा दिया। इसके बाद मैंने कोविड संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर देकर सेवा शुरू कर दी। यह सूचना वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्यूटर के माध्यम से लोगों को दी।

कोविड मरीजों की सेवा करके मिलता सुकून

राघव का कहना है कि अब तक इटावा, भिंड, लहार, आगरा में दस मरीजों की सिलेंडर देकर कोविड से लड़ाई में सहयोग कर चुका है। यह मरीज अब स्वस्थ है। मरीज के अटेंडर का फोन आने पर मैं सिलेंडर को रिफिल कर लेता हूं। मरीज ठीक होने पर अटेंडर सिलेंडर वापस कर देता है। इस दौरान मरीज के अटेंडर से डॉक्टर द्वारा ऑक्सीजन सपोर्ट का पर्चा लेता हूं। इसके अलावा कुछ नहीं। यह सेवा करके मुझे सुकून मिलता है।

कोविड संक्रमण में मरीजों को जीत दिलाने के लिए ऑक्सीजन सेवा दे रहे राघव।

कोविड संक्रमण में मरीजों को जीत दिलाने के लिए ऑक्सीजन सेवा दे रहे राघव।

मुझे बहुत दुख हुआ जब मरीज को नहीं मिल सकी ऑक्सीजन

राघव ने बातचीत के दौरान कहा कि दो रोज पहले मेरे पास दिल्ली से फोन आया। उनके परिवार के सदस्य कोविड पॉजिटिव थे। उनका लहार कस्बे के जनकपुरा में रहता था। फोन पर पूछा कि आपके पास सिलेंडर है। मैंने कहा हां अभी एक सिलेंडर है। तब बताया कि लहार में हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं है। मेरे परिजन की हालत खराब है। ऑक्सीजन लेवल 40 है। सिलेंडर चाहिए। मैंने कहा किसी को आगरा भेज दो। सिलेंडर में दे दूंगा। इसके बाद आधे घंटे बाद फोन आया कि मौत हो गई। तब मुझे बहुत दुख हुआ।

स्वास्थ्य केंद्रों पर है ऑक्सीजन की कमी

राघव का कहना है कि लहार सहित आस पास के स्वास्थ्य केंद्रों पर ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में इन मरीजों की जरूरत को पूरा करना मेरा धैय है।

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