पहली बार फाइनल खेलेंगे पुजारा
विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली वन-डे टीम का हिस्सा रह चुके हैं. रोहित शर्मा तो 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में अहम किरदार निभाने वालों में से एक थे. इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली टीम के बाकि कई खिलाड़ी या तो वन-डे या फिर टी20 वर्ल्ड कप में खेल चुके हैं या फिर खेलने की संभावना ज़्यादा है. संभवत: पुजारा ही इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके लिए किक्रेट के किसी भी फॉर्मेट में फाइनल खेलने का ये पहला और शायद आखिरी मौका है. इसलिए बाकि दूसरे खिलाड़ियों के मुकाबले पुजारा के लिए साउथैंपटन में जून में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ वो 5 दिन उनके करियर के सबसे यादगार 5 दिन साबित हो सकते हैं.

नई पीढ़ी के फैंस शायद सोशल मीडिया पर अक्सर रोहित शर्मा बनाम विराट कोहली में से महान कौन की बहस में उलझते दिखाई देते हैं. ऐसे में पुजारा की महानता की बात करें भी तो कौन करे? पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक दौरे पर पुजारा 6000 रन बनाने वाले क्लब में शामिल हुए तो ऐसा करने वाले वो सबसे तेज़ छठे भारतीय थे. जब मैंने पुजारा को सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और विराट कोहली का नाम बताया और कहा कि यही 5 उनसे आगे हैं तो उन्हें इस बात पर यकीन होता है क्योंकि अक्सर पुजारा का नाम आते ही लोगों को एक ‘धीमे बल्लेबाज़’ की ग़लत छवि ज़हन में आ जाती है.
आंकड़ों पर नहीं रहता पुजारा का ध्यान
पुजारा ने कहा, ‘देखिये ये किसको अच्छा नहीं लगेगा जब आप अपना नाम इतने महान बल्लेबाज़ों के साथ वाली लिस्ट में देखतें हैं. लेकिन, दूसरी सच्चाई ये भी है कि मैं कभी भी आंकड़ों पर ध्यान नहीं देता. मैं हमेशा इस बात पर फोकस रखता हूं कि मेरी भूमिका टीम के लिए क्या है और टीम को जीताने के लिए मैं क्या कर सकता हूं. उसी सोच के साथ में खेलने की कोशिश करता हूं. अभी तो फिलहाल करियर में काफी कुछ हासिल करना बाकि है और इसलिए ऐसी उपलब्धियों पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत नहीं है. अगर मैं देश के लिए लगातार अच्छा खेलता रहा तो अपने आप कई रिकॉर्ड बनते ही जायेंगे.’2 ऑस्ट्रेलिया दौरों पर छोड़ी है पुजारा ने छाप
पुजारा भारतीय इतिहास के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने लगातार 2 ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर अपनी छाप छोड़ी. 2018 में (521 रन) अगर उन्होंने सबसे ज़्यादा रन बनाये तो 2021 में भी उनके 271 रन (सिर्फ ऋषभ पंत से 3 रन कम, सबसे कामयाब बल्लेबाज़) भी बेशकीमती रहे थे. और यही वजह है कि जब-जब भारतीय क्रिकेट में ऑस्ट्रेलियाई के मिशन इंपोसिबल को लगातार 2 बार फतह करने का जिक्र होगा, पुजारा का नाम हमेशा लिया जायेगा.
पुजारा ने कहा, ‘ देखिये, ऑस्ट्रेलिया का हर दौरा आपके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन मेरे लिए 2018 वाली जीत ख़ास मायने रखती है. 2021 भी बहुत ख़ास रहेगी क्योंकि कितने सारे सीनियर खिलाड़ी टीम में अलग अलग वजह के चलते नहीं खेल पाये थे. मेरे लिए सौभाग्य की बात ये रही थी कि मैंने जो भी तैयारियां की थी उसका फल मुझे उन दोनों दौरो पर मिला. ऑस्ट्रेलिया निसंदेह दुनिया की बेहतरीन टीमों में से एक है और हमेशा कामयाबी का मानदंड वो तय करते हैं. ऐसे में एक बेहद उम्दा आक्रमण के ख़िलाफ़ अच्छा करना काफी गर्व वाली बात तो है. लेकिन, क्रिकेट ये भी हमें सीखाता है कि आप पूरानी उपलब्धियों पर फूले समाते हुए निश्चिंत नहीं रह सकते हैं. आपको हमेशा एक नई चुनौती और नई शुरुआत करनी पड़ती है.’
इंग्लैंड में पुजारा का प्रदर्शन
पुजारा ने अब तक अपने करियर में इंग्लैंड की सरज़मीं पर 9 टेस्ट खेले हैं और उनका औसत करीब 30 का रहा है. इसे शानदार तो कतई नहीं कहा जा सकता है लेकिन तसल्ली की बात ये है कि पुजारा ने अपना इकलौता शतक इंग्लैंड में उसी साउथैंपटन के मैदान पर बनाया है जहां पर न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ फाइनल है. अच्छी बात ये है कि अब टीम इस बात को मान चुकी है कि अगर ऋषभ पंत का काम धुआंधार अंदाज़ में आक्रमण की धज्जियां उड़ाना है तो पुजारा काम अपनी ही शैली में विरोधियों के हौसलों को पस्त करना है.
पुजा ने कहा, ‘देखिये, टीम मैनेजमेंट ने तो मुझे हमेशा ही बैक किया है. हर खिलाड़ी को अपनी योग्यता और मज़बूत पहलू के साथ खेलने की ज़रुरत पड़ती है ताकि टीम का सबसे ज़्यादा फायदा हो. भारत से बाहर वाले मैचों में नई गेंद की चुनौती का सामना करना एक अहम पहलू है और मेरी भूमिका साफ है कि नई गेंद के ख़िलाफ़ टीम के बहुत ज़्यादा विकेट ना गिरें. वही मेरी कोशिश रहती है. वहीं दूसरी तरफ पंत की भूमिका अलग किस्म की है. वो उस पर खरा होने की कोशिश करते हैं. टीमें तभी कामयाब होती हैं जब हर खिलाड़ी का रोल तय होता है. सामूहिक शक्ति ही इस टीम टीम की सबसे बड़ी ताकत है.
पुजारा की बेटी बनेगी क्रिकेटर?
सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज़ के खून में क्रिकेट है. पुजारा के पिता और चाचा दोनों ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल चुकें हैं. ऐसे में क्या ये उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में पुजारा की बेटी भी महिला टीम के लिए खेले? ‘ हाहाहा, ऐसा कहना फिलहाल बहुत जल्दबाज़ी होगी क्योंकि वो तो सिर्फ 3 साल की है. लेकिन, मै उस पर दबाव नहीं डालूंगा औऱ भविष्य में वो अपने फैसले खुद ले सकती है.’ ऐसा कहते हुए पुजारा ने गुज़ारिश की कि आधें घंटे की बातचीत का वक्त अपने पड़ाव पर आ चुका है और वो फिर बाद में दोबारा बात करेंगे. उनकी विनम्रता को सलाम करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था.
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
First published: May 13, 2021, 5:00 AM IST