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जबलपुर3 मिनट पहले
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मुफ्ती-ए-आजम मप्र मौलाना मोहम्मद हामिद अहमद सिद्दकी से मिलने पहुंचे कलेक्टर व एसपी।
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को परेशानियों में डाल रखा है। तेरा हर बंदा परेशानियों और मुश्किलों में फंसा है। ऐ मौला, हम तेरे इम्तेहान के लायक नहीं हैं। इस महामारी से हमारे शहर, सूबे, मुल्क को निजात अता फरमा। कुछ इस तरह की दुआएं ईद पर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने की।
ईदुल फितर के त्यौहार पर शहर में खुशियां मौजूद थीं लेकिन उनमें रंगत दिखाई नहीं दे रही थी। मस्जिदों में सीमित संख्या में लोग पहुंचे, शहर की सूनी सड़कें, बच्चों की किलकारियों से खाली माहौल। अधिकतर लोगों ने घरों में नमाज अदा की, खैर की दुआएं मांगी और बिना गले मिले, बिना मुसाफा (हाथ मिलाना) किए, दूर से एक दूसरे को मुबारकबाद दी।
आम तौर पर अल सुबह ईदगाह की तरफ बढ़ने वाला हुजूम इस बार गायब था। रानीताल ईदगाह, गोहलपुर, सदर, सुब्बाशाह मैदान सहित शहर की अधिकतर मस्जिदों में इक्का-दुक्का लोग ही नमाज पढ़ने पहुंचे। मस्जिदों के इमाम मुअज्जिन और कमेटी के चुनिंदा पदाधिकारियों ने नमाज अदा कर रस्म अदायगी कर ली। पांच-पांच की संख्या में लोगों को अनुमति दी गई थी।
मुफ्ती-ए-आजम ने की अपील
मुफ्ती-ए-आजम मप्र मोलाना मोहम्मद हामिद अहमद सिद्दकी ने प्रदेश की जनता को ईद की मुबारकबाद दी। उन्होंने सभी से अभी महामारी से बचाव, इसके लिए एहतियात, गाइडलाइन के पालन की अपील की। उन्होंने कहा कि पहले जिंदगी को सुरक्षित कर लिया जाए, उत्सव, पर्व और त्योहार मनाने के बहुत मौके आते रहेंगे। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा और एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा भी ईदगाह पहुंचे और भाईचारे का संदेश दिया।

मुफ्ती-ए-आजम मप्र मौलाना मोहम्मद हामिद अहमद सिद्दकी व अन्य लोग।
छोटी ओमती में 25 लोग साथ पहुंचे तो पुलिस ने दिखाई सख्ती
छोटी ओमती में रोक के बावजूद 25 लोग एक साथ ईद की नमाज अदा करने पहुंच गए। पुलिस ने सभी के नाम नोट किए। इस दौरान कुछ लोग बिना मास्क के निकले, तो उनका भी चालान बनाया गया। पूरे शहर में प्रमुख मस्जिदों, ईदगाह मैदानों व चौराहों-तिराहों पर पुलिस का सख्त पहरा लगाया गया है।
ऐसा था शहर का नजारा
- ईदगाह जाने वाले रास्ते अमूमन सूने पड़े थे। सियासी लोग, बुद्धिजीवी और शहर के रसूखदार इस बार नदारद थे।
- रानीताल, गोहलपुर ईदगाह के साथ सुब्बाशाह, सदर, बड़ी ओमती, छोटी ओमती, रामपुर, हनुमानताल, मदार छल्ला आदि मस्जिदों में भी सीमित संख्या में लोग नमाज अदा करने पहुंचे।
- गले लगकर ईद मुबारक कहने और हाथ मिलाकर बधाइयां देने की बजाए लोगों में दूर से ही सलाम दुआ हुई।
- छोटे मेले, झूले, ईद बाजार दिखाई नहीं दिए।
- अपनों को मुबारकबाद देने के लिए घरों से लोग कम संख्या में निकले। फोन पर ही सलाम, दुआ, मुबारकबाद कहते रहे।
- अल सुबह से पूरे शहर में बैरिकेडिंग टाइट कर दी गई थी। बेवजह सड़कों पर निकलने वाले लोगों को पुलिस ने वापस लौटा दिया।