कोरोना के बीच ब्लैक फंगस की डरावनी एंट्री: कलेक्टर बोले – बहुत डेंजरस बीमारी, म्यूकल क्लिनिक में होगा इलाज; सांसद बोले- दवा की समस्या, सालभर का स्टॉक सप्ताह में खत्म हुआ

कोरोना के बीच ब्लैक फंगस की डरावनी एंट्री: कलेक्टर बोले – बहुत डेंजरस बीमारी, म्यूकल क्लिनिक में होगा इलाज; सांसद बोले- दवा की समस्या, सालभर का स्टॉक सप्ताह में खत्म हुआ


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इंदौर37 मिनट पहले

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इंदौर में कोरोना के बीच अब ब्लैक फंगस नामक बीमारी ने लोगों की नींद उड़ा दी है। अचानक से बढ़ने वाली इस बीमारी के साथ ही इलाज को लेकर भी लोग अब परेशान होने लगे हैं। इसके लिए इलाज का प्रोटोकाॅल तैयार करने के साथ ही कैसे इसका इलाज और बीमारी का निदान कैसे हो, इसे लेकर मंत्री तुलसी सिलावट ने रेसीडेंसी कोठी में डॉक्टरों के साथ बैठक की।

इसमें बताया गया कि यह बहुत ही डेंजरस बीमारी है। बहुत तेजी से फैलने के साथ ही इसका इलाज बहुत मंहगा है। अभी दवाओं की भी कमी है। ऐसे में इसके इलाज के लिए शहर के कुछ अस्पतालों को चिन्हित किया जा रहा है, जिसे म्यूकल क्लिनिक के नाम से जाना जाएगा।

मंत्री तुलसी सिलावट ने बैठक में कहा कि कोरोना के इस कठिन समय में ब्लैक फंगस की शिकायत ने हमारी चिंता बढ़ाई है। यह एक नई आपदा है। यह हमारे लिए दूसरी चुनौती है। अस्पतालों में इसके लिए पृथक से यूनिट गठित करने की आवश्यकता है। शासकीय अस्पतालों में ब्लैक फंगस बीमारी का नि:शुल्क इलाज किया जाना होगा।

बैठक में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित शहर के सभी प्रमुख निजी हास्पिटल के संचालक उपस्थित थे।

बैठक में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित शहर के सभी प्रमुख निजी हास्पिटल के संचालक उपस्थित थे।

लालवानी बोले – जितनी दवा सालभर में बिका करती थी, उतनी एक सप्ताह में बिकी
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि फंगल बीमारी के प्राथमिक लक्षण पाए जाने पर तत्काल सूचना प्राप्त करने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि इसका इलाज संभव हो सके। डॉक्टर के साथ ही अस्पताल संचालक और मेडिकल वालों से भी बात की है। इसकी दवा की उपलब्धता को लेकर समस्या आ रही है। विक्रेताओं का कहना है कि पहले इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता था। जितनी दवा सालभर में बिका करती थी, वह एक सप्ताह में बिक गई है। प्रोडक्शन कंपनी का कहना है कि सालभर का प्रोडक्शन कुछ दिनों में ही खत्म हो गया। रॉ मटेरियल भी बाहर से आता है, इसलिए एक समस्या है। कोविड निगेटिव होने के बाद फंगल इंफेक्शन हो रहा है। इसलिए निगेटिव होने के एक महीने बाद तक शुगर को मेंटेन करना है।

कलेक्टर बोले- बहुत ही खतरनाक बीमारी है
कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि कोविड पेशेंट में फंगल इंफेक्शन की शिकायतें आ रही हैं। अस्पताल संचालकों से बात की गई है। लोगों की सुविधा के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन प्रशासन को एक प्रोटोकाल बनाकर दे रही है, कि मरीज क्या सावधानियां रखें। इलाज के साथ ही यह क्यों हो रहा है इस बारे में भी बताएंगे। यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है। यह बहुत तेजी से बढ़ती है। इसकी दवाइयों बहुत मंहगी होती हैं। हर कोई इतना सामर्थ नहीं है कि वह इसका इलाज करवा पाए। दवादयों का रॉ मटेरियल बाहर से आता है, उसे लेकर भी बात की जा रही है। यह एक बार किसी को हो गया तो बहुत डेंजरस है यह। शहर में अस्पतालों को चिन्हित किया जाएगा जो ब्लैक फंगल का इलाज करेंगे। अन्य अस्पताल भी इलाज कर सकते हैं, लेकिन लोगों के नॉलेज के लिए कुछ को चिन्हित किया जा रहा है। ऐसे अस्पताल म्यूकल क्लिनिक के नाम से जाने जाएंगे। ऐसे सभी मरीजों का डाटा सीएमएचओ आॅफिस में रखा जाएगा। ये डाटा स्टडी के लिए रखे जाएंगे।

शुगर का कंट्रोल जरूरी
डॉ. निशांत खरे ने इसके प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि आम जनता को भी इसकी जानकारी हो तो इसकी पहचान करने में आसानी होगी। इंडियन मेडिकल एसोशिएसन इसके प्रारंभिक लक्षणों की सूची जारी कर रहा है।

कोविड से रिकवरी के बाद इसकी मात्रा ज्यादा है। शुगर का कंट्रोल एस्ट्राइड का यूज, इसके अलावा समय-समय पर खुद का परीक्षण इसके लिए जरूरी है। वहीं, बैठक में उपस्थित अरविंदो अस्पताल के संचालक डॉ. विनोद भंडारी ने कहा कि उनके हास्पिटल में इस बीमारी के उपचार के लिए 10 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं।

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