रीवा जिले के भमरा गांव की ग्राउंड रिपोर्ट: 5500 की आबादी वाले गांव में दो माह के अंदर सिर्फ 5 पॉजिटिव मिले; नहीं जानता कोई मास्क-वास्क के बारे में

रीवा जिले के भमरा गांव की ग्राउंड रिपोर्ट: 5500 की आबादी वाले गांव में दो माह के अंदर सिर्फ 5 पॉजिटिव मिले; नहीं जानता कोई मास्क-वास्क के बारे में



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रीवा3 मिनट पहले

ग्राम पंचायत भमरा का क्वारंटाइन सेंटर

  • कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने से पहले 2700 मतदाता वाले गांव में 500 लोगों ने कराया वैक्शीनेसन

जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर भमरा गांव में कोरोना संक्रमण के भय नाम का कोई असर नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण गांव का जागरूक वर्ग संक्रमण की दूसरी लहर आने से पहले 2700 मतदाताओं में (45 से 60+ उम्र वाले) 500 लोगों ने वैक्सीनेशन करा रखा गया। नतीजन 5500 की आबादी वालें गांव में दो माह के अंदर सिर्फ 5 लोग ही पॉजिटिव मिले।

वो भी दूसरे राज्य से लौट कर आने वाले है। हालांकि अप्रैल के लास्ट और मई की शुरुआत में अब तक 50 लोग चोरी छिपे गांव आएं है, पर पॉजिटिव सिर्फ एक ही युवा आया है। जो 2 मई को प्रयागराज से लौटने के बाद सेमरिया स्थित फीवर क्लीनिक में आरटीपीसीआर की जांच कराई तो पॉजिटिव निकला था। वह अब होम आइसोलेशन में रहकर प्रोटोकाल का पालन कर रहा है।

सिर्फ एक युवा की दिल्ली में मौत
गांव के रोजगार सहायक शिव कुमार ​मिश्रा ने बताया कि कोरोना से दिल्ली में रहने वाले सिर्फ एक युवा की मौत हुई है। वहीं कोरोना संदिग्ध चार अन्य अलग अलग बीमारियों के कारण दम तोड़ चुके है। जबकि दो माह के अंदर बुजूर्ग और वृद्ध मिलाकर कुल 10 लोगों की मौत हुई होगी। जो करीब 80+ थे। अगर कोरोना से मौत की बात करे तो अभी तक पूरा गांव सुरक्षित है। यहां संक्रमण अभी तक नहीं पहुंच पाया है।

शादियों में रोक से संक्रमण पर हुआ काबू
भमरा गांव के 60 वर्षीय मजदूर ने बताया कि गांव में शादियों पर रोक लगने के कारण संक्रमण 80 फीसदी काबू हो गया है। हालांकि चोरी छिपे शादियां हो रही है लेकिन महज 5 से 10 लोग सीमित होकर काम चला रहे है। जिससे संक्रमण घर तक ही सीमित है। वहीं अन्य धार्मिक कार्यक्रम गांवों में पूरी तरह प्रतिबंध है। गांव की जनता शासन प्रशासन के निर्देश मिलते ही गाइड लाइन का पालन कर रही है।

जिनको बुखार, उनके लिए झोलाझाप डॉक्टर भगवान
गांव के कुछ लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जिनको बुखार आ भी रहा है, उनके लिए झोलाझाप डॉक्टर भगवान की तरह है। क्योंकि कोरोना को लेकर गांव से लेकर महानगरों की जो स्थितियां है, उससे बचने के लिए लोग झोलाझाप चिकित्सकों और नीम हकीमों का सहारा ले रहे है। सबका एक मत है अगर मरना लिखा ही होगा तो मर जाएंगे पर शहरों में दवा कराने नहीं जाएंगे। क्योंकि गांव में मरे तो मिटटी मिल जाएगी, पर अगर शहर में मौत हुई तो वहीं आधा अधूरा जला देंगे। बेटे और गांव के लोग कंधा तक देने वाला कोई नहीं होगा।

बगीचों में पेड़ के नीचे लगती है महफिल
कुछ लोगों ने बताया कि गांव में पहले के सालों की तरह ही बगीचों और पेड़ों के नीचे म​हफिल जमती है। हां ये जरूर है कि लोगों की संख्या कम हुई है। पहले गांव के ​लोग मिलकर साथ बैठते थे अब घर के लोगों तक महफिल सीमित होकर रह गई है। वहीं कई लोग अपने अपने खेतों व सब्जियों के बगानों की ओर समय काटते है। कई लोगों ने समय का सदउपयोग करने के लिए सब्जियां व मूंग की फसल उगाई है।

गांव में हर आदमी अभी भी नहीं जानता मास्क
भास्कर रिपोर्टर ने जब भमरा ग्राम पंचायत का भ्रमण किया तो ज्यादातर ​लोग बिना मास्क के दिखे। पूछताछ करने पर लोगों ने बताया कि यहां कोई मास्क वास्क नहीं जानता। सिर्फ परदेशी बाबू ही लौटकर आने वाले लगाते है। क्योंकि वो लोग खुद कोरोना के पास से होकर आएं है। ऐसे में उनको ज्यादा संक्रमण की चिंता है। गांव में तो लोग प्रकृति को वरदान समझकर रहते है। यहां सब ​ईश्वर की मर्जी से चलता है। ग्राम देवता व कुल देवता सबकी रक्षा करते है।

एक नजर में जानें गांव के बारे में
रीवा जिला से गांव की दूरी- 45 किमी.
विधानसभा क्षेत्र- सिरमौर
तहसील- सेमरिया
ग्राम पंचातय-भमरा
गांव की आबादी- 5500
गांव में मतदाता-2700
वैक्सीन लगवाने वाले युवा व वृद्ध-500

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