पशु आहार भी हुआ महंगा, डेयरी व्यवसाय हुआ ठप्प: कोरोना के कारण बढे खली के दाम, 2 महीने में ₹500 से ज्यादा महंगा हुआ पशु आहार, दुग्ध उत्पादक किसान परेशान

पशु आहार भी हुआ महंगा, डेयरी व्यवसाय हुआ ठप्प: कोरोना के कारण बढे खली के दाम, 2 महीने में ₹500 से ज्यादा महंगा हुआ पशु आहार, दुग्ध उत्पादक किसान परेशान


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छिंदवाड़ा8 मिनट पहले

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  • कोरोना काल मे दूध की खपत घटी, लेकिन पशुओं का आहार हो गया महंगा

छिंदवाड़ा। कोरोना काल में हर चीज के दाम बढ़े हुए है ऐसे में पशुओं को दिए जाने वाला आहार भी मंहगाई से अछूता नहीं रहा है, ऐसे में डेयरी व्यवसाय भी अन्य व्यवसायों की तरह घाटे का सौदा साबित हो रहा है, दरअसल कोरोना काल में दूध का उत्पादन तो हो रहा है लेकिन खपत कम हो गई है ऐसे में पशु पालकों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। गौर किया जाए तो दूध की खपत कम होने के बावजूद पशु आहार के दाम बढ़ गए है,कोरोना काल के पहले फरवरी माह में जो खली चूनी 2800 रूपए प्रति क्विंटल तक मिलती थी वह अब 3400 रूपए प्रति क्विंटल की दर में बिक रही है। ऐसे में दूध की बिक्री ना होने से दुग्ध उत्पादक किसानों को पशु आहार खरीदने में भी भगवान दिखने लगे है। खली चुनी विक्रेता के अनुसार बिनोला खली के दाम में प्रति क्विंटल 600 रूपए की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि चना चुनी में 130 रूपए, उड़द चुनी में 200 रूपए और गेंहू के चोकर में 350 रूपए की वृध्दि हुई है। उन्होंने बताया कि पशु आहार की बिक्री भी थोड़ी प्रभावित हुई है।

कच्चा माल हुआ मंहगा, तो बढ़ गए पशु आहार के दाम

गौर किया जाए तो कोरोना काल में चने, उड़द, और कपास के साथ-साथ उड़द के दाम में हुई वृध्दि के कारण पशु आहार भी मंहगा हो गया है। बता चना चूनी की करे तो चने के दाम में बढ़ोत्तरी होने के कारण चना चूनी के भाव भी बढ़ गए है, वहीं काटन सीड से बनने वाली विनोला खली, कपास के दाम बढऩे के कारण मंहगे दामों पर मिलने लगी है, यहीं हाल उड़द चूनी का भी है, उड़द के दामों में हुई बढ़ोत्तरी के कारण उड़द चूनी 200 रूपए प्रति क्विंटल तक मंहगी हो गई है।

दूध की नहीं हो रही खपत, क्या करे डेयरी संचालक

कोरोना काल में एक तरफ पशु आहार के दाम आसमान छू रहे है जबकि दुग्ध बिक्री तेजी से घट रही है ऐसे में पशु पालकों के माथे पर चिंता की लकीर देखी जा रही है, उनका कहना है कि मंहगाई बढऩे के कारण पशु आहार मंहगे दामों पर खरीदकर वे पशुओं को खिला रहे है लेकिन दूध की खपत कम हो गई ऐसे में डेयरी चलाना टेढी खीर साबित हो रहा है।

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